वाणिज्य / Commerce

वित्तीय उपकरण का अर्थ | उपकरणों का वर्गीकरण | वित्तीय बाजार के नवीन उपकरण

वित्तीय उपकरण का अर्थ

वित्तीय उपकरण का अर्थ– मुद्रा बाजार के उप-बाजारों में जिन परिसम्पत्तियों के लेन-देन होते हैं, उसे उपकरण कहते हैं। अल्प सूचना साख, विनिमय, ट्रेजरी बिल, अल्पकालीन सरकारी प्रतिभूतियाँ इत्यादि उपकरण के उदाहरण है।

उपकरणों का वर्गीकरण (Classification of Instruments)

मुद्रा बाजार के उपकरणों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है :

उपकरणों का वर्गीकरण

उपकरणों का वर्गीकरण

वित्तीय बाजार के नवीन उपकरण

नवीन उपकरणों की विवेचना निम्नलिखित प्रकार है-

1. पुनर्खरीद नीलामी रिपोज (Repurchase Auctions Repos)– रिपोज एक प्रतिभूति की बिक्री और बाद में पुनर्खरीद का समझौता होता है।

रिपोज मुद्रा बाजार का अल्पकालिक सौदा है जिसमें एक पार्टी दूसरी को नकद के बदले में प्रतिभूति की ब्रिकी इस वायदे से करती है कि विक्रेता भविष्य में किसी निर्धारित तिथि पर क्रेता से पुनः इसे वापस खरीद लेगा। भारतवर्ष में दिसम्बर 1992 से केन्द्र सरकार की तिथिबद्ध प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में पुनर्क्रय नीलामी को आरम्भ किया गया और अब यह रिजर्व बैंक की खुले बाजार क्रियाओं का एक सामान्य अंग बन गयी है। मुद्रा बाजार की अल्पकालीन तरलता में समानता लाना सरकारी प्रतिभूतियों की पुनर्क्रय नीलामी का एक उद्देश्य रहा है। जब सरकारी प्रतिभूतियों को पुनः खरीदा जाता है तो वाणिज्य बैंकों को मुद्रा का भुगतान किया जाता है जिससे बैंकों की तरलता में वृद्धि होती है। मुद्रा बाजार के तीव्र उतार-चढ़ावों को कम करने में (Repos) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

2. मुद्रा बाजार पारस्परिक निधियाँ (Money Market Mutual Funds, MMMFs) – भारतवर्ष में (RBI) ने निजी क्षेत्र की संस्थाओं MMMFs को स्थापित करने की स्वीकृत दी। सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य व्यक्तियों को मुद्रा बाजार के उपकरण उपलब्ध कराना था। नरसिंहम कमेटी ने विशेष गैर-बैंक वित्तीय संस्थाओं को भी मुद्रा बाजार में कार्य करने की अनुमति देने की सिफारिश की है।

मनी मार्केट म्यूचुअल फण्ड्स अभी तक अपने संसाधनों का निवेश केवल कॉल मुद्रा बाजार, वाणिज्यिक प्रपत्रों (CPs), जमा प्रमाण-पत्रों (CDs) तथा एक वर्ष तक के परिपक्वता वाले ट्रेजरी बिलों व सरकारी प्रतिभूतियों में ही कर सकते थे। नई नीति के अन्तर्गत इन कोषों का निवेश निगमों के मूल्यांकित (Rated) बॉण्डों व डिबेन्वरों में भी करने की अनुमति दी गयी लेकिन इनकी परिपक्वता एक वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। किसी एक कम्पनी द्वारा जारी वाणिज्य पत्र में MMMFs विनियोग उस म्युचुअल फण्ड के संसाधनों का 3% से अधिक नहीं हो सकता। से इस उच्चतम सीमा में बॉण्ड और ऋण-पत्र दोनों शामिल हैं।

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