व्यक्तियों के लिए कर-नियोजन-Tax-Planning for Individuals in Hindi
व्यक्तियों के लिए कर-नियोजन (Tax-Planning for Individuals)– एक व्यक्ति निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर अपने कर दायित्व को कम कर सकता है।
1. कृषि आय (Agriculture Income)
2. हिन्दू अविभाजित परिवार को चालू रखकर (To be continued the business of HUF)
3. उपहार (Gifts)
4. अवयस्क बच्चे की आय (Income of minor child)
5. जीवन साथी की आय (Life partner’s Income)
6. पुत्र-वधू की आय (Income of daughter in law)
1. कृषि आय- धारा 10 (1) के अनुसार यह आय सभी करदाताओं के लिए करमुक्त होती है। यदि किसी व्यक्ति, साझेदार या फर्म को कृषि आय में से ब्याज, पारिश्रमिक आदि मिलता है तो यह उस व्यक्ति की कृषि आय मानी जायेंगी। यहाँ यह ध्यान रखने की बात है कि प्रत्येक व्यक्ति को इसकी माँग करनी चाहिए।
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2. हिन्दू अविभाजित परिवार को चालू रखकर- यदि कोई व्यक्ति हिन्दू अविभाजित परिवार का सदस्य है। उसे अपनी सदस्यता को खत्म नहीं करना चाहिए क्योंकि जो सम्पत्तियाँ उसे उसके पूर्वजों से प्राप्त हुई हैं और उन पर कोई आय प्राप्त होती है तो वह परिवार की आय मानी जायेगी जिस वजह से उसकी व्यक्तिगत आय कम होगी और उसे कम कर देना पड़ेगा और परिवार से जो आय (Profit) उसे मिलेगा। वह करमुक्त होगा।
3. उपहार- (1) प्रत्येक माता-पिता को कर की बचत के लिए चाहिए कि वे उपहार अवयस्क बच्चों की जगह वयस्क को उपहार दें। जिससे इसकी इन उपहारों की वजह से कोई
आय यदि बनती है तो वह उस व्यक्ति की आय मानी जायेगी जिसको यह प्राप्त हुआ है। न कि माता-पिता की।
2. यदि परिवार में कोई अपंग बच्चा है तो उपहार उस बच्चे को दिये जाने चाहिए ताकि उपहारों से प्राप्त आय बच्चे की आय में शामिल की जा सके। न कि माता-पिता की।
4. अवयस्क बच्चे की आय-आयकर अधिनियम के अनुसार अवयस्क बच्चे की आय इसके माता-पिता की आय में शामिल की जाती है। परन्तु यदि हम निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखे तो हम कर दायित्व को कम कर सकते हैं।
1. अवस्यक बच्चे के विनियोगों को ऐसे कोष, अंश अथवा बॉण्ड में लगाना चाहिए, जिनकी आय करमुक्त हो। इससे भी माता-पिता का कर दायित्व कम हो जायेगा।
उदाहरण के लिए-(i) यदि अवयस्क के विनियोगों से सोना-चाँदी आदि खरीदी जाती है और उसके वयस्क (major) होने पर उनकी बिक्री कर दी जाती है तो इस अवस्था में उसे लागत स्फीति सूचकांक का लाभ मिलेगा।
(ii) यदि परिवार के पास कोई रहने का मकान नहीं है तो उसके विनियोगों से मकान खरीदा जा सकता है या बनवाया जा सकता है। इस प्रकार मकान की आय शून्य मानी जाती है। अतः कर दायित्व कम हो जाता है।
5. जीवन साथी की आय – (i) यदि शादी से पूर्व होने वाले जीवन साथी (would) be wife ) को कोई सम्पत्ति हस्तान्तरित की जाती है तो इस सम्पत्ति की आय सम्पत्ति हस्तान्तरित करने वाले व्यक्ति की आय में शामिल नहीं होती। बल्कि यह उसकी व्यक्तिगत आय बन जाती है जिससे आयकर दायित्व कम हो जाता है।
(ii) एक जीवनसाथी अपने दूसरे जीवनसाथी की सम्पत्ति बेचकर अपने कर दायित्व को कम कर सकता है।
6. पुत्र वधू की आय- इस अवस्था में हम कर दायित्व को कम करने के लिए निम्नलिखित प्रावधानों की सहायता ले सकते है।
(a) शादी से पहले सम्पत्ति का हस्तान्तरण ।
(b) पुत्र-वधू के विनियोगों को करमुक्त आय वाले विनियोगों के विनियोजित करना चाहिए।
(c) यदि करदाता के पास एक से अधिक रहने के मकान हों तो ऐसी अवस्था में एक मकान पुत्र-वधू को उसके रहने के लिए दे देना चाहिए। यदि ऐसे मकान से कोई आय प्राप्त होती है तो उसकी आय मानी जायेगी न कि हस्तान्तरण करने वाले की अर्थात् देने वाले की।
एक व्यक्ति को कर नियोजन की उपयोगिता, महत्व, सिद्धान्त, अनिवार्यता आदि के बारे में बताया जाये। एक व्यक्ति के लिए कर नियोजन में निम्नलिखित शामिल होते हैं-“
1. निवासीय स्थिति के सम्बन्ध में कर नियोजन
2. वे शीर्षक के अन्तर्गत कर नियोजन
3. मकान सम्पत्ति शीर्षक के अन्तर्गत कर नियोजन
4. व्यापार तथा पेशे के लाभ शीर्षक के अन्तर्गत कर नियोजन
5. पूँजी लाभ शीर्षक के अन्तर्गत कर नियोजन
6. अन्य साधनों से आय सम्बन्ध में कर नियोजन
7. मानी गई आय के सम्बन्ध में कर नियोजन
8. धारा 80 की कटौतियों के सम्बन्ध में कर नियोजन
9. वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर नियोजन
10. हानियाँ की पूर्ति के सम्बन्ध में कर नियोजन ।
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