मानी गयी आयें क्या हैं? Deemed Incomes in Hindi
मानी गयी आयें क्या हैं? (Deemed Incomes)- प्रत्येक करदाता चाहता है कि उसे कम-से कम आय-कर देना पड़े। इसके लिए करदाता अपनी सम्पत्तियों एवं आय को अपने परिवार सदस्यों एवं रिश्तेदारों को हस्तान्तरित करते हैं तथा कुछ विनियोगों को छुपा लेते हैं। इन छुपाये विनियोगों का प्रमाण भी नहीं रखते हैं। इस प्रकार करदाता आय-कर की चोरी करते हैं। वर्तमान में आय-कर खण्ड पद्धति (Slab System) के आधार पर लगाया जाता है। आय के आधार पर कर की दरें निर्धारित की जाती हैं जो कि खण्ड पद्धति पर आधारित हैं। फलस्वरूप अधिक आय प्राप्त करने वालों को अधिक आय कर चुकाना पड़ता है। प्रत्येक करदाता अपनी आय पर कर चुकाने के लिए उत्तरदायी है, किन्तु कभी-कभी कुछ करदाताओं को दूसरों की आय पर भी कर चुकाना पड़ता है। ऐसी आयें करदाता की आय में जोड़ दी जाती हैं। जिन्हें मानी गई आयें कहते हैं। कर की चोरी को रोकने के सम्बन्ध में आयकर अधिनियम की धाराएँ 60 से 65 तक निम्न प्रकार हैं-
1. बिना सम्पत्ति हस्तान्तरित किये आय हस्तान्तरित करना (Transfer of Income without Transfer of Assests) (धारा 60 ) – यदि कोई करदाता अपनी सम्पत्ति को हस्तान्तरित किये बगैर स्वामित्व की सम्पत्ति से कमाई गई आय को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित कर देता है तो ऐसी आय सम्पत्ति के स्वामी (हस्तान्तरणकर्त्ता) की आय मानी जायेगी तथा ऐसी आय को करदाता की आय में जोड़कर ही कर लगाया जायेगा।
2. सम्पत्तियों का खण्डनीय हस्तान्तरण (Revocable transfer of Assets) ( धारा 61 ) – किसी व्यक्ति द्वारा कमाई जाने वाली ऐसी आय को जो उसे सम्पत्ति खण्डनीय हस्तान्तरण के द्वारा प्राप्त हुई हो, हस्तान्तरणकर्ता की आय माना जायेगा तथा उसे उसकी आय में जोड़कर उस पर कर लगाया जायेगा ।
खण्डनीय हस्तान्तरण से आशय ऐसे खण्डनीय हस्तान्तरण से है-
(i) जिसमें ऐसा कोई भी प्रावधान जिसके द्वारा सम्पत्ति या उसके किसी भाग को हस्तान्तरणकर्ता को वापस हस्तान्तरित किया जा सकता है।
(ii) जिसमें जब सम्पत्ति का हस्तान्तरण करने वाले को यह अधिकार प्राप्त हो कि वह सम्पत्ति अथवा उसके किसी भाग को वापस प्राप्त कर सकता हो ।
ऐसी सम्पत्ति के हस्तान्तरण में कोई भी बन्दोबस्त, ट्रस्ट, प्रसंविदा(Contract) ठहराव शामिल होता है। धारा 63 (b) 1
अपवाद (Exception) (धारा 62 )- निम्नलिखित दशाओं में सम्पत्ति के खण्डनीय हस्तान्तरण को दशा में सम्पत्ति से प्राप्त अय हस्तान्तरणकर्ता की आय में नहीं जोड़ी जायेगी-
(i) जब सम्पत्ति का हस्तान्तरण ट्रस्ट के अन्तर्गत किया गया हो तथा लाभ प्राप्तकर्ता के जीवनकाल में अखण्डनीय हो या
(ii) अन्य हस्तान्तरण की दशा में हस्तान्तरी (हस्तान्तरण पाने वाले) के जीवनकाल में अखन्डनीय हो । या
(iii) 1.4.1961 से पहले किये गये हस्तान्तरण तथा जिन्हें 6 वर्ष या अधिक अवधि के लिए खण्डनीय नहीं किया जा सकता हो।
किन्तु हस्तान्तरण करने वाले को इनसे कोई लाभ या आय प्राप्त न हुई हो।
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(3) एक व्यक्ति की आय में जीवन साथी, पुत्रवधु तथा अवयस्क की आय जोड़ना (Addition of the Income of Spouse, Daughter-in-Law and Minor in the | Income of an Individual) [ Sec. 64] एक व्यक्ति की आय में निम्न को शामिल किया जाता है
(i) जीवन साथी का पारिश्रमिक (Remuneration to the spouse)- किसी व्यक्ति के जीवन साथी को प्राप्त पारिश्रमिक (वेतन, कमीशन आदि) जिस संस्था से प्राप्त होता है। यदि उस संस्था में व्यक्ति का सारवान हित है तो ऐसे पारिश्रमिक को उस व्यक्ति की कुल आय में जोड़ दिया जायेगा। यदि जीवन साथी को प्राप्त पारिश्रमिक उसकी योग्यताओं के कारण प्राप्त होता है तो ऐसा पारिश्रमिक जीवन साथी की निजी आय होगी और ऐसी आय को व्यक्ति की कुल आय में नहीं जोड़ा जायेगा।
यदि पति एवं पत्नी दोनों एक ही संस्था से पारिश्रमिक प्राप्त करते हों तो जिसका (पति अथवा पत्नी) भी पारिश्रमिक अधिक होगा उसकी आय में दूसरे का पारिश्रमिक जोड़ दिया जायेगा। ऐसी स्थिति में कम्पनी में दोनों का सारवान हित होना चाहिए।
नोट- यदि किसी जीवन साथी की आय दूसरे साथी जीवन की आय में जोड़ दी जाती है तो यह सदैव ऐसे ही जोड़ी जायेगी, जब तक कि आयकर अधिकारी की सम्पति से परिवर्तन अपेक्षित न हो।
(ii) बिना प्रतिफल जीवनसाथी को हस्तान्तरित सम्पत्ति से आय (Income from assets transferred to the spouse without consideration) Sec. 64 (1) (iv) मकान सम्पत्ति को छोड़कर कोई सम्पत्ति पति द्वारा पत्नी को अपनी पत्नी द्वारा पति को बिना पर्याप्त प्रतिफल के हस्तान्तरित कर दी जाती है तो ऐसी सम्पत्ति की आय उस जीवनसाथी की आय में जोड़ी जायेगी जिसने सम्पत्ति का हस्तान्तरण किया है।
(iii) बना या उचित प्रतिफल के पुत्रवधू को हस्तान्तरित सम्पत्तियों से आय (Income from assets transferred to son’s wife without fair consider action) धारा 64 (1) (vi) किसी करदाता द्वारा अपनी कोई सम्पत्ति बिना या उचित प्रतिफल के 1.6.1973 को या इसके बाद अपनी पुत्रवधू को हस्तान्तरित कर दी है तो ऐसी सम्पत्ति से प्राप्त होने वाली आय करदाता की कुल आय में जोड़ दी जाती है।
किन्तु यदि ऐसी सम्पत्ति का हस्तान्तरण 31.5.1973 को या इससे पहले हुआ है, तो ऐसी आय को करदाता की आय में नहीं जोड़ा जायेगा।
(iv) जीवन साथी या पुत्रवधू को हस्तान्तरित सम्पत्ति के विनियोग से आय (Income from an asset transferred to spouse of son’s wife)- यदि किसी करदाता ने कोई सम्पत्ति जीवन साथी या पुत्रवधू को हस्तान्तरित कर तो ऐसी राशि की गणना निम्न प्रकार की जायेगी। तो ऐसी राशि का गणना निम्न प्रकार की जायेगी।
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