महर्षि दधीचि का जीवन परिचय- यह एक वैदिक ऋषि थे, जिन्हें कहीं पर अर्वा व चिति का पुत्र व कहीं पर कर्दभ ऋषि की कन्या शांति के गर्भ से पैदा अथर्वा का पुत्र कहा गया है। ये प्रकांड ज्ञानी थे और इन्होंने इंद्र से अनन्य विद्याओं को पाया था। अश्विनी कुमार इन विद्याओं को प्राप्त करना चाहते थे, किंतु जब दधीचि ने इंद्र द्वारा विद्या निषेध की सूचना दी तो अश्विनीकुमारों ने दधीचि का सिर काटकर धड़ के ऊपर अश्व का सिर जोड़ दिया। इस तरह अश्व के मुख से इन्होंने ये विद्याएं ग्रहण कर लीं। इस रहस्य की जानकारी होने पर इंद्र ने दधीचि का अश्व वाला सिर काट दिया तो अश्विनी कुमारों ने इनका वास्तविक सिर पुनः लगा दिया।
अपनी हड्डियां वृत्तासुर राक्षस के वध हेतु दान देने के प्रसंग में भी दधीचि की महानता का बखान किया गया है। अपनी इस दानशीलता के लिए ये सदैव के लिए अमरत्व पा गए। महाभारत के अनुसार, ‘दक्ष के महायज्ञ के समय दधीचि ने राय दी थी कि दूसरे जामाताओं की तरह दक्ष शिव को भी न्यौता दें, दक्ष ने जब इनकी राय स्वीकार नहीं की थी, तब ये यज्ञ में शामिल नहीं हुए थे।’
महर्षि दधीचि कौन थे?
प्राचीन काल में एक परम तपस्वी हुए, जिनका नाम महर्षि दधीचि था। उनके पिता एक महान ऋषि अथर्वा जी थे और माता का नाम शांति था।
दोस्तों मै आशा करता हूँ आपको ”महर्षि दधीचि का जीवन परिचय (Biography of Maharishi Dadhichi in Hindi)” वाला Blog पसंद आया होगा अगर आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे लोगो को भी इसकी जानकारी दें।
इसे भी पढ़ें…
- गुरु तेग बहादुर का जीवन परिचय
- गुरु गोबिंद सिंह का जीवन परिचय
- चांद बीबी का जीवन परिचय
- कित्तूर रानी चेन्नम्मा का जीवन परिचय
- गुरु हरगोविंद का जीवन परिचय
- गुरु हर राय का जीवन परिचय
- टी.एन. शेषन का जीवन परिचय
- स्वामी रामतीर्थ का जीवन परिचय
- अनंत लक्ष्मण कन्हेरे का जीवन परिचय
- अनंतलाल सिन्हा का जीवन परिचय
- महाश्वेता देवी का जीवन परिचय
- प्रकाश आम्टे का जीवन परिचय
- मंदाकिनी आम्टे का जीवन परिचय
- सत्य साईं बाबा का जीवन परिचय
- सर गंगाराम का जीवन परिचय
- मीराबाई का जीवन परिचय