पुनर्वसु आत्रेय का जीवन परिचय (Biography of Punarvasu in Hindi)
एक प्राचीन आयुर्वेद जिनका ग्रंथ ‘आत्रेय संहिता’ विख्यात है। ये अत्रि ऋषि के पुत्र थे, अतः पुनर्वसु आत्रेय के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। इनकी मां का नाम चंद्रभागा था। ऋषि अत्रि स्वयं भी आयुर्वेदाचार्य थे। इंद्र ने अत्रि, कश्यप, वशिष्ठ व भृगु ऋषियों को आयुर्वेद का ज्ञान दिया था। पुनर्वसु व भारद्वाज ऋषि एक ही काल के थे और अपने पिता अत्रि व भारद्वाज से शिक्षा प्राप्त करके आयुर्वेदाचार्य बने। अश्वघोष ने ‘बुद्ध चरित’ में लिखा है कि आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र का, जो भाग इनके पिता द्वारा नहीं लिखा जा सका, उसे पुनर्वसु ने पूर्ण किया। तिब्बती इतिहास के अनुसार ये तक्षशिला में शिक्षा प्रदान करते थे और बौद्ध भिक्षु जीवक इनका सर्वप्रिय शिष्य था।
पुनर्वसु कभी भी टिककर नहीं रहते थे। ये घूमते हुए ही लोगों को आयुर्वेद का परामर्श दिया करते थे। चरक संहिता के मूल ग्रंथ ‘अग्निवेश तंत्र’ के रचयिता अग्निवेश को भी इन्होंने शिक्षा प्रदान की। इनके और भी कई शिष्यों के नाम प्राप्त हैं। वर्तमान समय में पुनर्वसु आत्रेय के नाम से आयुर्वेद में ही 30 योग होना माना जाता है।
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