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पराशर ऋषि का जीवन परिचय | Biography of Maharishi Parashar in Hindi

पराशर ऋषि का जीवन परिचय
पराशर ऋषि का जीवन परिचय

पराशर ऋषि का जीवन परिचय (Biography of Maharishi Parashar in Hindi)- यह विख्यात वैदिक ऋषि थे, जो मंत्रदृष्टा और स्मृतिकार होने के अतिरिक्त ज्योतिष और आयुर्वेद के भी ज्ञानी थे। ये महर्षि वशिष्ठ के पौत्र व शक्ति ऋषि के पुत्र थे। एक वर्णन के अनुसार एक बार ऋषि शक्ति पुष्प चयन हेतु वन में गए हुए थे। वहां विश्वामित्र के लोगों ने पकड़कर इन्हें अग्नि में झोंक दिया, जिससे इनका निधन हो गया। दूसरे विवरण के अनुसार शक्ति की मृत्यु राक्षसों के हाथों हुई थी। पराशर उस समय मां के गर्भ में थे। पुत्र की मृत्यु के कारण वंश नाश की वेदना से पीड़ित वशिष्ठ अपने आश्रम से जाने लगे तो शक्ति की विधवा अदृश्यंती भी इनके साथ हो ली, ऋषि जब पीछे से आती वेद ध्वनि सुनकर रुके तो इन्हें भान हुआ कि यह ध्वनि इनकी पुत्रवधू के गर्भ में स्थित शिवा की है। वंश वृद्धि की उम्मीद में ये लौट आए। समय आने पर पराशर का जन्म हुआ और ऋषि ने पुत्रवत इनका पालन-पोषण भी किया।युवा होने पर जब पराशर ने अपनी मां से राक्षसों द्वारा अपने पिता के मारे जाने की बात सुनी तो इन्होंने राक्षसों के विनाश के लिए ‘राक्षस सत्र’ का आयोजन किया। इसमें कई निरपराध राक्षस भी मारे जाने लगे। तब ऋषियों ने समझा बुझाकर पराशर को उस आयोजन से रोका। पराशर अनेक वैदिक मंत्रों के ज्ञाता थे। इनके नाम से कई ग्रंथ प्रचलित हैं। इनमें ‘पराशर स्मृति’ सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके अलावा ‘वृहत्त पराशर संहिता’, ‘वृहत्त पराशर स्मृति’, ‘ज्योतिपराशर’ व ‘वृहत्त पराशर होराशास्त्र’ जैसे ग्रंथों के भी नाम लिए जाते हैं।

वेदव्यास अथवा कृष्ण द्वैपायन के पिता स्वरूप में भी पराशर ऋषि विख्यात हैं। एक बार तीर्थयात्रा में इन्होंने यमुना के तट पर उपरिचर वसु राजा की पुत्री सत्यवती को देखा। यद्यपि उसके शरीर से मछली की महक आती थी, तथापि उसके रूप व यौवन पर मुग्ध ऋषि ने उससे प्रेम याचना की। सत्यवती द्वारा संदेह प्रकट करने पर पराशर ने उसे वरदान दिया कि उसके साथ शारीरिक संसर्ग करने के पश्चात् भी उसका कन्या स्वरूप बना रहेगा और उसके शरीर से ऐसी सुगंध आने लगेगी, जो एक योजन तक फैल जाएगी। इसके पश्चात् इन्होंने धुंध का आवरण पैदा कर दिया। दोनों के मिलन से सत्यवती ने तदंतर व्यास को जन्म दिया। द्वीप में जन्म होने के कारण ये द्वैपायन कहे गए। इन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहते हैं। इसकी दो वजह कही जाती हैं। एक, ये श्याम वर्ण के थे, दूसरा ये कि सत्यवती का भी एक नाम ‘काली’ था। अतः व्यास का नाम कृष्ण द्वैपायन पड़ गया।

ऋषि पराशर कौन थे?

पराशर मुनि महर्षि वशिष्ठ के पौत्र तथा शक्ति मुनि के बेटे एवं वेद व्यास के पिता थे। पराशर गोत्र का संबंध उनसे ही है।

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