बलराम का जीवन परिचय
श्रीकृष्ण के सौतेले भ्राता, वसुदेव व रोहिणी की संतति बलराम श्रीकृष्ण से तीन महीने ही बड़े थे। जब वसुदेव व देवकी कंस के कारागृह में कैद थे, उस समय इनका जन्म हुआ। पुराणों के विवरणानुसार ये सात माह तक कारागृह में देवकी के गर्भ में रहे। वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी गोकुल मे आवासित थी। फिर योगमाया से ये रोहिणी के गर्भ में चले गए, उसी गर्भ से फिर जन्म भी हुआ। प्रथमदृष्टया बेहद रूपवान होने के कारण इन्हें ‘राम’ और बलवान होने के कारण ‘बल’ यानि बलराम नाम मिला। श्रीकृष्ण के साथ बलराम ने भी सांदीपनि ऋषि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। ये गदायुद्ध में बेहद कुशल थे। यह कला दुर्योधन और भीम ने भी इन्हीं से प्राप्त की थी।
बलराम को नागराज अनंत का मूल माना जाता है। ये सदैव नीले वस्त्र और कमलों की माला पहना करते थे। हल व मूसल इनके विशिष्ट अस्त्र थे। जरासंध को सत्रह बार परास्त करने में इनका पर्याप्त योगदान रहा। राजा रेवत की पुत्री रेवती से इनका पाणिग्रहण हुआ था। कहते हैं रेवती इक्कीस हाथ लंबी थी। उसे अपने हल द्वारा खींचकर बलराम ने कम किया।
बलराम के सात सगे भ्राता और एक बहन सुभद्रा भी थी, जिसका श्रीकृष्ण की सहमति से अर्जुन ने हरण कर लिया था। दुर्योधन की कन्या लक्ष्मणा के स्वयंवर में जब श्रीकृष्ण का पुत्र सांब उसका हरण कर लाया तो विकट संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई। कौरव वंशी यादवों को अपनी पुत्री नहीं देना चाहते थे। कौरवों ने सांब को बंदी बना लिया था। तब अपनी शक्ति द्वारा बलराम ही उसे रिहा करवाने में सफल रहे थे। महाभारत युद्ध में इनका झुकाव कौरव पक्ष की तरफ था। इन्होंने श्रीकृष्ण से भी कौरवों का पक्ष लेने का आग्रह किया था। जब श्रीकृष्ण ने इनका आग्रह नहीं माना तो युद्ध शुरू होने से पूर्व ही बलराम तीर्थ भ्रमण पर चले गए। तीर्थयात्रा करते हुए जब ये नैमिषारण्य पहुंचे तो वहां पुराणचर्चा में व्यस्त रोमहर्षण नामक ऋषि उठकर इनका स्वागत नहीं कर सके। इससे कुपित होकर बलराम ने इनका वध कर दिया। इस ब्रह्म हत्या के प्रायश्चित के लिए इन्हें ग्यारह वर्ष तक पुनः तीर्थयात्रा करनी पड़ी।
महाभारत युद्ध के पश्चात् ये द्वारिका चले गए। वहां जब गृहकलह में संपूर्ण यादव कुल नष्ट हो गया तो बलराम ने यौगिक क्रिया से देह त्याग दी। मान्यता है कि उस समय इनके मुख से सांप निकला और प्रभास के समुद्र में समा गया।
बलराम जी के जन्म की कहानी क्या है?
देवकी के गर्भ से खींचे जाने के कारण शेष जी को लोग संसार में ‘संकर्षण’ कहेंगे, लोकरंजन करने के कारण ‘राम’ कहेंगे और बलवानों में श्रेष्ठ होने कारण ‘बलभद्र’ भी कहेंगे। … बेचारी देवकी का यह गर्भ तो नष्ट ही हो गया। फिर यदूकुल के चंद्रवंश में माता रोहिणी जी से बलराम का अवतार (जन्म) हुआ।
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