जमदग्नि ऋषि का जीवन परिचय (Biography of Maharshi Jamadagni in Hindi)- यह भृगुकल के ऋषि ऋचिक व गाधिराज की पुत्री सत्यवती से जन्मे थे। वैदिक पुराण के अनुसार इनका विवरण वेद, ब्राह्मणग्रंथों, पुराणों और महाभारत में बारंबार किया गया है। इनका पैतृक नाम आर्चिक था। रेणुका इनकी पत्नी का नाम था। क्रोधी वृत्ति का जमदग्नि जब एक बार सूर्य को ही बाण से छेदने के लिए तत्पर हो गया तो इसके घर में जन्म लेने का वचन देकर सूर्य ने जीवनरक्षा की। जमदग्नि के घर परशुराम सूर्य के रूप में ही पैदा हुए थे। इसके चार दूसरे पुत्र भी हुए थे।
एक बार हैहेय नृप कार्तवीर्य जमदग्नि के आश्रम में आया तो ऋषि ने कामधेनु की मदद से इनका श्रेष्ठ सत्कार किया। लालच के वशीभूत कार्तवीर्य ने यज्ञ-पशु कामधेनु का हरण कर लिया। इसका ज्ञान जब परशुराम को हुआ तो इसने कार्तवीर्य का वध करके कामधेनु प्राप्त कर ली। पिता के वध की सूचना मिलने पर उसके पुत्रों ने परशुराम की अनुपस्थिति में जमदग्नि का वध कर दिया।
इसी की प्रतिक्रिया में परशुराम ने इक्कीस बार क्षत्रियों का नाश करने का प्रण किया था। पिता के आदेश पर परशुराम ने अपनी मां रेणुका का सिर भी काट डाला था। यह इनकी पितृभक्ति को दर्शाता है।
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