भगवान गणेशजी का संपूर्ण परिचय- श्री गणेश हिंदुओं के अति प्राचीन आदि देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द का प्रयोग हुआ है। यजुर्वेद मे भी यह बखान है। कई पुराणों में गणेश की विरुदावली प्रदर्शित है। पौराणिक हिंदू धर्म में शिव के परिवार के सदस्य के रूप में गणेश को अति विशिष्ट स्थान दिया गया है। हर एक शुभ कार्य से पूर्व गणेश का पूजन अनिवार्य है। श्री गणेश को यह दर्जा कब से प्रदान किया गया, इस बारे में कई मान्यताएं रही हैं।
एक मान्यता के अनुसार आदिम काल में कोई दैत्य राक्षस लोगों को परेशान करता था। कार्यों को बाधा के बिना पूर्ण करने के लिए उसे प्रसन्न करना जरूरी था। इस कारण उसकी पूजा होने लगी और कुछ समय बाद यही विघ्नेश्वर या विघ्न विनायक रूप में जाने गए, जो विद्वान गणेश को आर्येतर देवता स्वीकारते हुए इनके ‘आर्य देव परिवार’ में तदंतर प्रविष्ट होने की बात करते हैं, इनके अनुसार आर्येतर गण में हाथी का पूजन प्रचलित था। इसी से गज काया गणेश की कल्पना व पूजा की शुरुआत हुई। यह भी माना जाता है कि आर्येतर जातियों में ग्राम देवता स्वरूप में गणेश का रक्त से अभिषेक किया जाता था। आर्य देवमंडल में शामिल होने के पश्चात् सिंदूर चढ़ाना इसी का साक्ष्य है। शुरुआती गणराज्यों में गणपति के बारे में जो भावना थी, उसके आधार पर देवमंडल में गणपति की सोच को भी एक वजह स्वीकारा जाता है।
यह मान्यता भी रही है कि गणेश सर्वप्रथम शिव के गण कहे गए। रुद्र के मरुत आदि अनगिनत गणों के पति को विनायक या गणपति पुकारा गया। तथापि इन्हें आधुनिक विद्वान आर्य देवता ही मानते हैं।
पुराणों में गणेश के बारे में कई कथाएं वर्णित हैं। एक के तहत शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जलकर भस्म हो गया। इस पर व्यथित पार्वती से ब्रह्मा ने कहा, ‘जिसका सिर सबसे पहले मिले, उसे गणेश के सिर पर लगा दो।’ प्रथम सिर हाथी के बच्चे का ही प्राप्त हुआ। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए। दूसरी कथा के अनुसार गणेश को द्वार पर बिठाकर पार्वती स्नान करने गई। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में जाने लगे। तब गणेश ने इन्हें रोका तो कुपित शिव ने इनका सिर काट दिया। एकदंत होने के बारे में कथा मिलती है कि शिव और पार्वती अपने शयनकक्ष में थे और गणेश द्वार पर बैठे थे। तभी वहां परशुराम आए और उसी पल शिवजी से मिलने की जिद्द करने लगे। जब गणेश ने रोका तो परशुराम ने अपने फरसे से इनके एक दांत का क्षय कर दिया।
गणेश का जन्म ‘अयोनिज’ कहा गया है। इस मान्यता की पुष्टि इस पौराणिक कथा से भी होती है कि स्नान करने से पहले पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक बालक का निर्माण किया और उसे ही द्वार पर पहरा देने के लिए तैनात किया था।
गणेश के बाह्य रूप की विवेचना विद्वानों ने नाना प्रकार से की है। हाथी का सिर बुद्धिमानी व गंभीरता का प्रतीक है। यह भी मान्यता रही है कि शिव प्राचीनकाल में ‘भूतान’ (भूटान) के राजा थे और इसी कारण भूतपति कहलाए। तब भूटान निवासी हाथी के मुखौटे का प्रयोग करते थे। इसी से गणेश के गजानन होने की कल्पना का आविर्भाव हुआ। गणेश के वाहन चूहे को एक गंधर्व कहा जाता है, जो ऋषि वामदेव के श्राप से चूहा बन गया था।
गणेश की प्रसिद्धि शीघ्र लिखने के बारे में भी है। ये वेदव्यास के कहने पर इस शर्त के साथ महाभारत लिखने के लिए तत्पर हुए थे कि वेदव्यास अविराम गति से बोलते रहेंगे। वेदव्यास ने भी शर्त रखी कि गणेश समझकर ही लिखेंगे। कहते हैं कि वेदव्यास द्वारा कहने के मध्य कोई कठिन श्लोक कहा जाता था। जितनी देर में गणेश श्लोक को समझ पाते, व्यास आगे के कथ्य की कल्पना कर लेते थे।
जो भी हो, आज शाश्वत सत्य यह है कि श्री गणेश एक सर्वमान्य देवता हैं। शिव मंदिर में भी गणेश की मूर्ति होना अपरिहार्य है। शुरू में इनकी दो भुजा की मूतियां बनीं, तदंतर सोलह भुजाओं तक की मूर्तियों का निर्माण हुआ। उत्तर भारत में अकेले गणेश के मंदिर कठिनाई से ही मिलेंगे, लेकिन महाराष्ट्र व दक्षिण भारत में इनकी अधिकता है। ‘तिलक’ के काल से ही महाराष्ट्र के गणेशोत्सव ने धार्मिक के साथ राजनीतिक महत्व को भी अंगीकार कर लिया था।
गणेश का अर्थ क्या है?
गणेश का अर्थ है ‘गणों का प्रमुख’ (दिव्य प्राणियों की एक सेना) या ‘प्रजा के भगवान’।
भगवान गणेश जी अपने हाथों में क्या धारण करते हैं?
भगवान गणेश को चित्र और मूर्तियों में कुछ गोल आकार की मिठाइयाँ पकड़े हुए दिखाया जाता है जिन्हें ‘लड्डू’ / ‘मोदक’ कहा जाता है। शंख, कमल भी गणेश जी हाथों में धारण करते हैं। कुल्हाड़ी गणेश जी का अस्त्र है।
भगवान गणेश जी का वाहन क्या है?
भगवान गणेश का वाहन मूषक है जो प्रतीकात्मक है- आंतरिक अंधकार को समाप्त करने यानी इच्छाओं पर अंकुश लगाने का।
भगवान गणेश जी का परिवार
गणेश जी के पिता भगवान शिव हैं (जो त्रिदेवों में से एक हैं), और ‘तमोगुण युक्त’ हैं, अर्थात क्रोध और विनाश के प्रतीक हैं और देवी पार्वती उनकी माता हैं। गणेश जी के बड़े भाई का नाम ‘कार्तिकेय’ है जिन्हें युद्ध का देवता’ माना जाता है और बहन का नाम ‘अशोकसुंदरी’ है।
क्या भगवान गणेश जी का विवाह हुआ है?
हां, भगवान गणेश विवाहित हैं। उनकी दो पत्नियाँ हैं जिनका नाम ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (आध्यात्मिक शक्ति) हैं और ‘शुभ’ और ‘लाभ’ नाम के दो बेटे हैं, यही कारण है कि ये शब्द अक्सर उनकी मूर्ति के साथ लिखे होते हैं।
भगवान गणेश जी की पत्नी कौन है?
भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि। ये प्रजापति विश्वरूप की दो सुंदर पुत्रियाँ हैं।
भगवान गणेश जी के पुत्रों का नाम क्या है?
‘शुभ’ और ‘लाभ ’भगवान गणेश के दोनो बेटों के नाम हैं, यही वजह है कि ये शब्द अक्सर उनकी मूर्ति के साथ लिखे होते हैं।
आइए हम यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि भगवान गणेश की पूजा का सही तरीका क्या है?
भगवान गणेश जी की पूजा का सही तरीका क्या है?
इससे पहले कि हम यह वर्णन करें कि भगवान गणेश की पूजा का सही तरीका क्या है? आइए सबसे पहले इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि हिंदू भक्तों द्वारा वर्तमान में प्रचलित प्रथाएं क्या हैं?
त्योहारों पर जश्न मनाना- गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती
भाद्रपद (अगस्त / सितंबर) के महीने में, गणेश चतुर्थी मनाई जाती है जिसमें गणेश जी की मूर्ति की पूजा दस दिनों तक की जाती है और अंतिम दिन उस मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
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