Biography

समुद्रगुप्त का जीवन परिचय | Biography of Samudragupta in Hindi

समुद्रगुप्त का जीवन परिचय
समुद्रगुप्त का जीवन परिचय

समुद्रगुप्त का जीवन परिचय (Biography of Samudragupta in Hindi)- हिंदू शासकों में समुद्रगुप्त का नाम बेहद आदर के साथ लिया जाता है। समुद्रगुप्त का शासन 330 से 380 तक रहा था। इस प्रकार 50 वर्षों तक यह महान शासक विजेता की भांति हिंदुस्तान को संभाले हुए था। इतिहासकारों का मानना है कि इस समय तक बाहरी मुस्लिम शासकों या लुटेरों ने हिंदुस्तान की ओर आंख उठाकर देखने का साहस नहीं किया था। इससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि जब-जब कोई हिंदुस्तानी शासक चक्रवर्ती सम्राट के रूप में शासन करने लगा था, तब-तब भारतभूमि का सभी प्रकार से विकास किया जाना भी संभव हुआ। यह तो संभव ही नहीं है कि उस समय हिंदुस्तान के आस-पास के इलाकों में मुस्लिम हमलावर शासक न रहे हों। ये अवश्य ही थे, लेकिन उस समय तक संगठित शासन स्वरूप के कारण ये हिंदुस्तान पर हमला करने से भय खाते थे। सच्चाई यही है कि चौथी शताब्दी तक हिंदुस्तान में मुस्लिम हमलावरों का कोई भी दखल नहीं था।

Samudragupta History in Hindi-

नाम समुद्रगुप्त
उपाधि भारत का नेपोलियन
पिता का नाम चंद्रगुप्त प्रथम
माता का नाम कुमारदेवी
पुत्र रामगुप्त एवं चंद्रगुप्त|
शासनकाल 333 से 380 ईसवी
समुद्रगुप्त की राजधानी पाटिलपुत्र ( आधुनिक पटना)
मृत्यु 380 ईसवी

समुद्रगुप्त महान शासक रहे चंद्रगुप्त प्रथम का पुत्र और शासन का उत्तराधिकारी भी था। समुद्रगुप्त की महानता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि आगे चलकर इस अद्वितीय शासक, इस महान योद्धा व विजेता सम्राट की विजयों का बखान अशोक द्वारा स्थापित प्रयाग के शिला स्तंभ में उत्कीर्ण किया गया था। इसने उत्तर भारत के कई राजाओं जैसे पूर्वी बंगाल, नौ गांव, आसाम, कामरूप, गढ़वाल प्रदेश, जालंधर पूर्वी व मध्य पंजाब, मालवा और पश्चिमी हिंदुस्तान के प्रदेशों तथा कुषाणों व शकों को अपने शासन के अंतर्गत किया।

इसके पश्चात् वह विशाल सेना लेकर दक्षिण की तरफ बढ़ा। वहां इसने दक्षिण के बारह राजाओं को परास्त कर दिया, लेकिन इनका राज्य नहीं लिया। महज उनसे अधीनता स्वीकार करा कर और धन लेकर ही वापस लौट गया। इस प्रकार समुद्रगुप्त की हुकूमत हिमालय से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक और पूर्व में ब्रह्मपुत्र से लेकर पश्चिम में यमुना और चंबल नदियों तक कायम हो गई। यह समुद्रगुप्त की विलक्षण उपलब्धि थी। इसके पश्चात् इसने अश्वमेध यज्ञ करवाया। विदेशों में भी इसकी कीर्ति फैली। श्रीलंका के शासक मेघवर्मा ने इसके दरबार में उपहार भेजे और समुद्रगुप्त की अनुमति लेकर इसने भिक्षुओं के लिए बोधगया में विहार का भी निर्माण कराया।

समुद्रगुप्त में विभिन्न गुण थे। इसने परास्त हुए राजाओं के प्रति समानता का व्यवहार भी किया। वह स्वंय विद्वान था और विद्वानों का सहायक भी था। शास्त्र ज्ञानी, संगीत ज्ञाता, सर्व धर्म संरक्षक होने के अतिरिक्त वह स्वयं कवि भी था। पराक्रम और उच्च संस्कारों से युक्त समुद्रगुप्त का शासन भारतीय संस्कृति का स्वर्णिम युग था।

दोस्तों मै आशा करता हूँ आपको ”समुद्रगुप्त का जीवन परिचय (Biography of Samudragupta in Hindi) वाला Blog पसंद आया होगा अगर आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे लोगो को भी इसकी जानकारी दें।

इसे भी पढ़ें…

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment