
छत्रपति शिवाजी का जीवन परिचय (Biography of Chhatrapati Shivaji Maharaj in Hindi)- आजाद मराठा राज्य के संस्थापक शिवाजी भोंसले का जन्म अप्रैल, 1627 में शिवनेर दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले था व माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी अहमदनगर के मुस्लिम राज्य की ओर से अपने पिता भालोजी को मिली एक जागीर में रहते थे। उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों के चलते शाहजी को अपनी पत्नी और पुत्र को पृथक कर देना पड़ा। इस तरह शिवाजी की परवरिश और शिक्षा-दीक्षा माता जीजाबाई, स्थानीय संरक्षक दादाजी कोणदेव एवं जीजाबाई के गुरु समर्थ स्वामी रामदास के सान्निध्य में हुई। उन्होंने शिवाजी को किताबी ज्ञान देने के साथ ही इन्हें देश की तत्कालीन स्थिति से भी परिचित कराया। शिवाजी को बताया गया कि विधर्मी शासक देश, समाज, गौ और ब्राह्मणों पर जो अत्याचार कर रहे हैं, उससे आजादी दिलाना इनका प्राथमिक कर्तव्य है। इस तरह शिवाजी के भीतर बाल्यकाल से ही राष्ट्रीयता की भावना का उदय हुआ। वह स्थानीय युवाओं से हिल-मिल गए और इनका एक छोटा-सा दल बनाकर इन्होंने 19 वर्ष की आयु में ही पूना के करीब तोरण के किले पर कब्जा कर लिया। फिर बीजापुर के सुल्तान की राज्य सीमा के रामगढ़, चाकन, सिंहगढ़ और पुरंदर के दुर्ग भी इनके कब्जे में आ गए।
शिवाजी महाराज के बारे में संक्षिप्त जीवनी और तथ्य
नाम | छत्रपति शिवाजी महाराज |
पूरा नाम | शिवाजी शाहजी राजे भोंसले |
जन्म | 19 फ़रवरी 1630, शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 3 अप्रैल 1680, महाराष्ट्र |
पिता का नाम | शाहजी राजे भोंसले |
माता का नाम | जीजाबाई |
पत्नी | सईबाई निंबालकर, सोयराबाई मोहिते, पुतलाबाई पालकर, लक्ष्मीबाई विचारे, काशीबाई जाधव, सगणाबाई शिंदे, गुणवंतीबाई इंगले, सकवारबाई गायकवाड |
संतान | संभाजी भोसले या शम्भू जी राजे, राजाराम, दिपाबाई, सखुबाई, राजकुंवरबाई, रानुबाई, कमलाबाई, अंबिकाबाई |
शिवाजी के राज्य विस्तार से नाराज बीजापुर के सुल्तान ने अफजल खां को इनको सबक सिखाने के लिए भेजा। अफजल खां ने संधिवार्ता के नाम पर शिवाजी को आमंत्रित किया। अफजल दानवाकार शख्स था। उसने एक भयानक षड्यंत्र रचा था। वह शिवाजी को दबोचकर मार डालना चाहता था, किंतु शिवाजी भी पूर्व से ही तैयार थे। इन्होंने अपने गुप्त अस्त्र बघनखा से अफजल खां का पेट फाड़कर उसे ही मौत के घाट उतार दिया और उसकी सेनाओं को भी मुंह की खाने पर मजबूर कर दिया।
तत्कालीन मुगल सम्राट औरंगजेब भी मराठों के राज्य विस्तार को बर्दाश्त नहीं कर पाया। इसने अपने मामा व सेनाध्यक्ष शाइस्त खां को शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा, किंतु उसे भी अपना एक बेटा और अपने हाथ की तीन अंगुलियां खोकर मैदान से जान बचाकर भागना पड़ा। इसके पश्चात् औरंगजेब ने राजा जयसिंह को भेजा। जयसिंह की फौजों ने जब इनके कुछ दुर्गों पर कब्जा कर लिया तो शिवाजी को 1665 में पुरंदर की संधि करके 23 दुर्ग मुगलों के सुपुर्द करने पड़े, जयसिंह ने इन्हें सुरक्षा का पूरा भरोसा दिया तो ये औरंगजेब के दाबार में आगरा भी गए, किंतु वहां इन्हें उपयुक्त सम्मान प्राप्त न हुआ तो उन्होंने पतिकार किया तो शिवाजी को कैद कर लिया गया, किंतु ये चालाकी से अपने अल्पवयस्क पुत्र शंभूजी सहित रात्रि में जेल से फरार हो गए और साधु के वेश में रायगढ़ पहुंच गए। तब विवश होकर औरंगजेब को शिवाजी को ‘राजा’ मानना पड़ा।
इस दौरान के दो वर्ष के शांतिकाल में शिवाजी ने अपनी शासन-व्यवस्था मजबूत की और 1670 के पश्चात् एक-एक का सभी किलों पर अधिकार कर लिया, जो मुगलों के सुपुर्द कर दिए गए थे। 1674 में रायगढ़ के किले में महाराष्ट्र के स्वतंत्र राज्य के शासक के रूप में शिवाजी का राज्याभिषेक भी हुआ और इन्होंने ‘छत्रपति’ की उपाधि भी धारण की। अप्रैल, 1680 में जब इनका निधन हुआ, इनका राज्य बेलगांव से लेकर तुंगभद्रा नदी के तट तक फैला हुआ था। शिवाजी सभी धर्मावलंबियों के प्रति सहिष्णु थे। इन्होंने मंदिरों के साथ मस्जिदों का भी उद्धार करवाया था। मराठी सेना में कई मुसलमान अधिकारी भी तैनात थे।
FAQ’s Shivaji Maharaj Biography in Hindi
Q. छत्रपति शिवाजी कौन थे?
Ans. मराठा साम्राज्य के संस्थापक और महान शासक।
Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती कब है?
Ans. 19 फरवरी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है।
Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाए जाने की शुरुआत किसने की थी?
Ans. 19 फरवरी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाएं जाने की शुरुआत ज्योतिबा फुले द्वारा की गई थी।
Q. साल 2023 में आने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज की कौन सी जयंती है?
Ans. 19 फरवरी 2023 में आने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज की 393 वीं जयंती है।
Q. छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म कब हुआ?
Ans. 19 फरवरी 1630 में शिवारी महाराज का जन्म हुआ था।
Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु कब हुई?
Ans. 3 अप्रैल 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हई थी।
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