बाबर का जीवन परिचय (Babar Biography in Hindi)- बाबर की निजी जिंदगी में सर्वाधिक महत्वपूर्ण चीज आज की जेनेटिक साइंस (वंशानुगत विज्ञान) के परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता है और वह यह है कि जिस बाबर ने हिंदुस्तान में मुगल सल्तनत की स्थापना की थी, इनका पिता तैमूर का वंशज था और उसकी मां चंगेज खां के परिवार से रिश्ता रखती थी। अतः यह तो शायद तय ही था कि बाबर में उन दोनों सल्तनत के गुणसूत्र मौजूद थे।
बाबर जीवन परिचय
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | बाबर जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | जहिरुदीन मुहम्मद बाबर |
2. | जन्म | 23 फ़रवरी 1483 |
3. | जन्म स्थान | फरगना घाटी, तुर्किस्तान |
4. | माता-पिता | कुतलुग निगार खानम, उमर शेख मिर्जा |
5. | पत्नी | आयशा सुल्तान, जैनब सुल्तान, मासूमा सुल्तान, महम सुल्तान, गुलरुख बेगम, दिलदार, मुबारका, बेगा बेगम |
6. | बेटे-बेटी | हुमायूँ, कामरान मिर्जा, अस्करी मिर्जा, हिंदल, अहमद, शाहरुख़, गुलजार बेगम, गुलरंग,गुलबदन, गुलबर्ग |
7. | मृत्यु | 26 दिसम्बर, 1530 आगरा, भारत |
बाबर का जन्म 1483 में हुआ था। ग्यारह वर्ष की आयु में ही पिता के निधन पश्चात् यह एक मामूली रियासत का मालिक बना, किंतु परिवार के दूसरे रिश्तेदारों ने इससे वह रियासत भी छीन ली। इससे यह निराश नहीं हुआ। शक्ति एकत्र करके 21 वर्ष की आयु में इसने काबुल पर कब्जा जमा लिया।
इसके पश्चात् बाबर की दृष्टि हिंदुस्तान की तरफ उठी। भारत में दिल्ली की हुकूमत दम तोड़ने के कगार पर थी। दक्षिण भारत आजाद हो चुका था। कश्मीर, मालवा, गुजरात व बंगाल के राजा और राजपूताना के राजपूत भी आजाद थे। मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह के दिल में उत्तर भारत में पुनः हिंदू राज्य स्थापित करने का विचार हिलोरे ले रहा था। पंजाब पर विद्रोही अमीरों का अधिकार हो गया था। इब्राहिम लोदी का चाचा अलाउद्दीन आजम खां उसे दिल्ली के सिंहासन से बेदखल कर खुद उस पर अधिकार जमाना चाहता था। दिल्ली की कमजोरी और छोटे-छोटे राज्यों के परस्पर संघर्ष के मध्य अलाउद्दीन आजम खां और पंजाब के सूबेदार दौलत खां ने दिल्ली के सुल्तान के खिलाफ बाबर से मदद मांगी। इस पर बाबर अपनी सेना के साथ हिंदुस्तान आया और 1524 में इसने लाहौर पर अधिकार कर लिया। जब इसने तैमूर की तरह हिंदुस्तान से वापस न जाकर यहीं रुकने का फैसला किया तो दौलत खां और आजम खां, जिनकी नजर दिल्ली के सिंहासन पर थी, इसके खिलाफ हो गए।
इस पर एक बार बाबर लौट अवश्य गया, लेकिन फिर भारी सेना के साथ लौट आया। इसने दौलत खां को परास्त किया और 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद मार भी डाला। इस तरह दिल्ली और आगरा पर इनका कब्जा हो गया, किंतु अनेक अफगान सरदार व मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह ने इसकी दासता स्वीकार नहीं की। इन्होंने बाबर के खिलाफ साझी सेना नहीं बनाई। इस कारण बाबर को इनसे अलग-अलग निपटने का अवसर मिल गया। 1527 में इसने राणा पर जीत दर्ज की और 1529 में बंगाल और बिहार के अफगान सरदारों को परास्त कर दिया। इन विजयों के पश्चात् अफगानिस्तान से बंगाल की सीमा तक और हिमालय से ग्वालियर तक बाबर द्वारा स्थापित मुगल साम्राज्य कायम हो गया, लेकिन अभी मुश्किल से एक वर्ष ही गुजरा था कि बाबर का निधन हो गया और इसे अपनी शासन-व्यवस्था को सुदृढ़ करने का पूरा मौका तक नहीं मिला।
FAQ
Ans- बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को हुआ।
Ans- बाबर की मृत्यृ 26 दिसंबर 1530 में हुई।
Ans- हुमायूँ, कामरान मिर्जा, अस्करी मिर्जा, हिन्दाल मिर्जा, फख-उन-निस्सा, गुलरंग बेगम, गुलबदन बेगम।
Ans- आयेशा सुलतान बेगम, जैनाब सुलतान बेगम, मौसमा सुलतान बेगम, माहिम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफझाई, गुलनार अघाचा।
Ans- मुगल वंश का संस्थापक थे।
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