पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय (Prithviraj Chauhan Biography in Hindi)- पृथ्वीराज चौहान उस समय के शासनकाल का प्रतिनिधित्व करते प्रतीत होते हैं, जब हमलावर मुस्लिम शक्तियों के विरुद्ध स्थानीय शासक अधिक ताकतवर थे। यह वह समय भी था, जब स्थानीय शासक परस्पर संघर्ष करके स्वयं को कमजोर कर रहे थे। पृथ्वीराज चौहान का जीवन वृत भी इसे प्रदर्शित करता है। पृथ्वीराज चौहान का जन्म साकंभरी के चौहानपुर नामक स्थल पर हुआ था। इन्हीं पृथ्वीराज चौहान ने आगे चलकर अजमेर और दिल्ली पर शासन किया था।
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय (Prithviraj Raj Chauhan Biography in Hindi)
पूरा नाम | पृथ्वीराज चौहान |
अन्य नाम | भरतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय, हिन्दूसम्राट, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा |
व्यवसाय | क्षत्रिय |
जन्मतिथि | 1 जून, 1163 |
जन्म स्थान | पाटण, गुजरात, भारत |
मृत्यु तिथि | 11 मार्च, 1192 |
मृत्यु स्थान | अजयमेरु (अजमेर), राजस्थान |
उम्र | 43 साल |
आयु | 28 साल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
वंश | चौहानवंश |
जाति | क्षत्रिय या जाट ( विवाद हैं) |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पराजय | मुहम्मद गौरी से |
पृथ्वीराज चौहान का जन्म, परिवार एवं शुरूआती जीवन (Prithviraj Chauhan Birth, Family, Early Life)
पिता | सोमेश्वर |
माता | कर्पूरदेवी |
भाई | हरिराज (छोटा) |
बहन | पृथा (छोटी) |
पत्नी | 13 |
बेटा | गोविंद चौहान |
बेटी | कोई नहीं |
इनके पिता राजा सोमेश्वर वीर और योग्य शासक थे। इनके अनुरक्षण में पृथ्वीराज को उचित शिक्षा प्राप्त हुई। पिता के निधन के समय पृथ्वीराज की उम्र ज्यादा नहीं थी। इस कारण 1177 में इनके राजगद्दी पर आसीन होने के पश्चात् भी कुछ समय तक राज्य का कार्य इनकी माता कस्तूरी देवी द्वारा देखा जाता रहा। पृथ्वीराज ने उचित समय आने पर अपने राज्य को विस्तारित करने की बात सोची, किंतु उसी दौरान गौर के शासक शहाबुद्दीन गौरी ने हिंदुस्तान पर हमला कर दिया और सोमनाथ के मंदिर को नष्ट कर दिया, किंतु इसके इस हमले में पृथ्वीराज से गौरी की भिड़ंत नहीं हुई, क्योंकि वह गुजरात के राजा से परास्त होकर लौट गया था। अतः पृथ्वीराज को राज्य विस्तार हेतु अवसर प्राप्त हो गया। इसने रेवाड़ी व भिवानी इत्यादि को राज्य में मिला लिया।
इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण संघर्ष बुंदेलखंड के राजा परमाल के साथ हुआ। इसमें परमाल की सेना के आल्हा-ऊदल की बहादुरी का किस्सा आज भी कहा जाता है। महोबा पर पृथ्वीराज का कब्जा हो गया। पृथ्वीराज की राजधानी अजमेर थी व इसके राज्य की सीमाएं उत्तर-पश्चिम में हिसार और सरहिंद तक और उत्तर में दिल्ली भी उसमें सिमटी थी। इनका एक सामंत गोबिंद राज दिल्ली का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
एक बार परास्त होने के पश्चात् शहाबुद्दीन गौरी ने पुनः हिंदुस्तान पर हमला किया। 1190-91 में दिल्ली से कुछ दूर तराइन के रणक्षेत्र में पृथ्वीराज ने उसको कड़ी टक्कर दी। तब जख्मी शहाबुद्दीन को रणक्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा, लेकिन वह और बड़ी सेना लेकर पुनः आया। 1192 में तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की सेना की हार हो गई, क्योंकि गौरी ने इस बार संधि की बात कहकर पीछे से हमला कर दिया था।
कुछ विद्वानों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान रणक्षेत्र में ही मारे गए, लेकिन कुछ अन्य इतिहासकारों की मान्यतानुसार दुश्मनों ने इन्हें पकड़ लिया था और इनकी ही राजधानी अजमेर में ले जाकर इसका वध कर दिया।
पृथ्वीराज चौहान कन्नौज के राजा जयचंद के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी थे। जयचंद की पुत्री संयोगिता ने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ स्वयंवर में पृथ्वीराज का वरण किया था और पृथ्वीराज ने 1175 में संयोगिता का अपहरण कर उससे विवाह कर लिया।
पृथ्वीराज चौहान का नाम भारत के वीर राजाओं में शामिल है, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार इनमें कूटनीतिक योग्यता का अभाव था। इसने अपनी उत्तर-पश्चिमी सीमा की रक्षा का उचित प्रबंध करने की तरफ ध्यान दिया होता तो भारत में गजनी के मुसलमानों का शासन कदापि न हुआ होता। पृथ्वीराज के साथ ही चौहान वंश भी समाप्त हो गया था, लेकिन पृथ्वीराज चौहान की हार ने इतिहास की धारा मोड़ने का कार्य किया।
FAQ
Ans : पृथ्वीराज चौहान एक क्षत्रीय राजा थे, जो 11 वीं शताब्दी में 1178-92 तक एक बड़े साम्राज्य के राजा थे. ये उत्तरी अमजेर एवं दिल्ली में राज करते थे.
Ans : पृथ्वीराज चौहान का जन्म सन 1166 में गुजरात में हुआ था.
Ans : युध्द के पश्चात पृथ्वीराज को बंदी बनाकर उनके राज्य ले जाया गया, वही पर यातना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.
Ans : कहते है संयोगिता ने पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद, लाल किले में जोहर कर लिया था. मतलब गरम आग के कुंड में कूद के जान दे दी.
Ans : ये महान हिन्दू राजपूत राजा था, जो मुगलों के खिलाफ हमेशा एक ताकतवर राजा बन कर खड़े रहे. इनका राज उत्तर से लेकर भारत में कई जगह फैला हुआ था.
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