गुरु रामदास का जीवन परिचय (Guru Arjan Dev Biography in Hindi)- सिखों के चौथे गुरु रामदास 1574 में गद्दी पर बैठे और 1581 तक इन्होंने गुरु पद का दायित्व संभाला। ये तीसरे गुरु अमरदास के दामाद थे। इन्होंने 1577 में अमृतसर शहर की स्थापना की और ‘अमृतसर’ और ‘संतोषसर’ नामक दो पवित्र सरोवरों के निर्माण का कार्यारंभ किया। इनके समय में लोगों से ‘गुरु’ उपदेश पर धर्म कार्यों हेतु चंदा या दान लेना आरंभ हुआ। ये बड़े साधु स्वभाव के शख्स थे। सम्राट अकबर भी इनकी सज्जनता का सम्मान करता था। इनके कहने पर ही अकबर ने एक वर्ष पंजाब से लगान प्राप्त नहीं किया। इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से खासा धन प्राप्त हो पाया था।
गुरु रामदास के पश्चात् गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में आरंभ हुई। इन्होंने अपने पुत्र अर्जुन देव को अपने पश्चात् गुरु पद का उत्तराधिकारी घोषित किया।
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