गुरु अमरदास का जीवन परिचय (Guru Amar Das Biography in Hindi)– सिखों के तीसरे गुरु अमरदास का जन्म 1479 में अमृतसर के करीब बसरका नामक ग्राम में एक खत्री परिवार में हुआ था। ये शुरू में वैष्णव मत के थे और कृषि तथा विपणन कार्य से जीवन निर्वाह करते थे। एक बार गुरु नानक का पद इन्होंने सुना, जिससे प्रभावित होकर अमरदास सिखों के दूसरे गुरु अंगद के पास गए और उनका शिष्यत्व धारण किया। गुरु अंगद ने 1552 में अपने आखिरी समय में इन्हें गुरुपद द्वारा प्रतिष्ठित किया। उस समय गुरु अमरदास की आयु 73 वर्ष की थी, लेकिन अंगद के पुत्र दातू द्वारा इनका अपमान किया गया। गुरु अमरदास के भी कुछ पद गुरु ग्रंथ साहब में सम्मिलित हैं। इनकी एक विख्यात कृति ‘आनंद’ है, जिसका उत्सवों में गायन किया जाता है। उन्हीं के आदेश पर चौथे गुरु रामदास ने अमृतसर के करीब ‘संतोषसर’ नामक तालाब खुदवाया था, जो अब गुरु अमरदास के नाम पर अमृतसर के नाम से विख्यात है।
गुरु अमर दास | |
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गुरु अमर दास – गोइंदवाल |
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धर्म | सिख धर्म |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
जन्म | अमर दास 5 अप्रैल 1479 बसारके, पंजाब, भारत |
निधन | 1 सितम्बर 1574 (उम्र 95) गोइंदवाल साहिब, पंजाब, भारत |
जीवनसाथी | मंसा देवी |
बच्चे | भाई मोहन (1507 – 1567) भाई मोहरी (1514 – 1569) बीबी दानी (1526 – 1569) बीबी भानी (1532 – 1598) |
पद तैनाती | |
कार्यकाल | 1552–1574 |
पूर्वाधिकारी | गुरु अंगद |
उत्तराधिकारी | गुरु राम दास |
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