विष्णु शर्मा का जीवन परिचय (Vishnu Sharma Biography in Hindi)- ‘विष्णु शर्मा’ और ‘पंचतंत्र’ पर्यायवाची शब्द का भ्रम देते प्रतीत होते हैं। इससे ही विष्णु शर्मा के लेखन का महत्व समझ में आ जाता है। भारतीय संस्कृति में दृष्टांत कथाओं के माध्यम से नीति ज्ञान कराने की प्राचीन परंपरा चली आ रही है। विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र के माध्यम से उसमें अभिवृद्धि की। विख्यात नीतिपरक एवं अर्वाचीन संस्कृत कथा ग्रंथ ‘पंचतंत्र’ के सृजन विष्णु शर्मा का जन्म कब व देश के किस भाग में हुआ था, यह जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह उल्लेख अवश्य मिलता है कि उस दौरान दक्षिण-भारत के महिलारोप्य नगर में अमरकीर्ति नामक राजा का शासन था। अपने पुत्रों को ज्ञानवान बनाने का काम राजा अमरकीर्ति ने विष्णु शर्मा नामधारी ब्राह्मण के सुपुर्द किया। विष्णु शर्मा शास्त्र तथा लोक व्यवहार दोनों में निपुण थे। इन्होंने राजकुमारों को सीमित समय में ही व्यवहार कुशल, सद्व्यवहारी व नीतिज्ञ बनाने के लिए ही पंचतंत्र की संग्रह कथाओं की सृष्टि की।
पंचतंत्र में पांच तंत्र या पांच भाग हैं, मित्र भेद, मित्र लाभ, संधि विग्रह, लब्ध प्रमाण एवं अपरीक्षित कारक। इसकी रचना लगभग 300 ई. के लगभग अनुमानित की जाती है। विद्वानों का मानना है कि पंचतंत्र की कथाओं का मूलरूप प्राचीन ग्रंथों में भी मौजूद रहा है। पंचतंत्र नीति कथाओं का प्राचीन तथा लोकप्रिय ग्रंथ है। भारत की लगभग तमाम भाषाओं में और विश्व की भी ज्यादातर भाषाओं में भी अनुवाद पश्चात् यह उपलब्ध रहा है और आज भी इसकी अपार लोकप्रियता बनी हुई है। यह विष्णु शर्मा की विद्वता, कल्पनाशीलता और वर्णन शैली का असर है कि इन्होंने पशु-पक्षियों को जरिया बनाकर ऐसे आम ग्रंथ की रचना की, जिससे नीति संबंधी ज्ञान प्राप्त होता है।
पंचतंत्र के रचयिता विष्णु शर्मा
पंचतंत्र के परिचय में, विष्णु शर्मा को काम के लेखक के रूप में पहचाना जाता है। चूंकि उनके बारे में कोई अन्य स्वतंत्र बाहरी प्रमाण नहीं है, “यह कहना असंभव है कि वे ऐतिहासिक लेखक थे या स्वयं एक साहित्यिक आविष्कार हैं”।
कहानियों में वर्णित विभिन्न अभिलेखों, भौगोलिक विशेषताओं और जानवरों के विश्लेषण के आधार पर, विभिन्न विद्वानों द्वारा कश्मीर को उनका जन्मस्थान होने का सुझाव दिया गया है।