Biography

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय जयंती 2024 | Adi Shankaracharya biography Jayanti in hindi

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय
आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय जयंती 2024 | Adi Shankaracharya biography Jayanti in hindi- वैदिक काल की हिंदू धर्म परंपरा व अध्यात्म के मार्ग का परिशोधन समय- समय पर अनेक विद्वानों द्वारा किया जाता रहा है और शंकराचार्य भी उन्हीं में से एक माने जाते हैं। सनातन विचार भी स्थाई रहें तो ठहरे हुए जल की भांति दूषित हो जाते हैं। अतः समय-समय पर विभिन्न विद्वानों ने (शंकराचार्य उनमें से एक हैं) उनमें समयकालिक सुधार किया है।

आदिशंकराचार्य जी का जीवन परिचय (Shankaracharya history)

आदिशंकराचार्य जी साक्षात् भगवान का रूप थे . आप केरल के साधारण ब्राह्मण परिवार मे जन्मे थे . आपकी जन्म से आध्यात्मिक क्षेत्र मे रूचि रही है जिसके चलते, सांसारिक जीवन से कोई मोह नही था . आपको गीता,उपन्यास, उपनिषद् , वेदों और शास्त्रों का स्वज्ञान प्राप्त था, जिसे आपने पूरे विश्व मे फैला है-

जन्म(Birth Date) 788 ई.
मृत्यु (Death) 820 ई.
जन्मस्थान केरल के कलादी ग्राम मे
पिता (Father) श्री शिवागुरू
माता (Mother) श्रीमति अर्याम्बा
जाति (Caste) नाबूदरी ब्राह्मण
धर्म (Religion) हिन्दू
राष्ट्रीयता (Natinality) भारतीय
भाषा (Language) संस्कृत,हिन्दी
गुरु (Ideal) गोविंदाभागवात्पद
प्रमुख उपन्यास (Famous Noval) अद्वैत वेदांत

अद्वैत मत के पोषक शंकराचार्य का जन्म 788 में केरल राज्य में पूर्णा नदी के किनारे पर मौजूद काटली नामक ग्राम में संपन्न हुआ। इनके पिता का नाम शिवगुरु था और माता का सुभद्रा देवी। विलक्षण प्रतिभा से संपन्न ये बालक दो वर्ष की उम्र में ही पुराणों आदि की कथा सुनकर इन्हें स्मृति में रखने लगा था। पांच वर्ष की आयु में शंकर का यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ और सात वर्ष की उम्र में ही वेद तथा वेदांगों का अध्ययन करके गुरुकुल की शिक्षा पूर्ण कर लौट आए। जब ये तीन वर्ष के थे, तब पिता का निधन हो गया था। शिक्षा पूर्ण करके ये संन्यास लेना चाहते थे, लेकिन विधवा मां इसके लिए राजी नहीं थी।

एक दंतकथा यह रही है कि मां के साथ नदी में स्नान करते समय शंकर को मगर ने पकड़ लिया था। जब मां द्वारा संन्यास लेने की अनुमति दी गई, तभी इन्होंने शंकर को छोड़ा था। एक दूसरी दंतकथा भी प्रचलन में रही है कि एक बार शंकर मां के साथ नदी पार कर रहे थे। आकंठ पानी में डूबने के पश्चात् जब संन्यास की अनुमति न देने पर शंकर ने जल समाधि लेने की धमकी दी तो मां को पुत्र को इजाजत देनी ही पड़ी थी। इन्होंने मां को यह वचन दिया कि इनकी मृत्यु के समय ये अवश्य मौजूद रहेंगे। इन्होंने केरल से चलकर नर्मदा तट पर स्वामी गोविंद भगवत्पाद से संन्यास की दीक्षा प्राप्त की थी।

शंकराचार्य कम उम्र में ही योग सिद्धज्ञाता हो गए। गुरु के आदेश पर ये काशी आए। इनके शिष्यों की संख्या में वृद्धि होती गई। शिष्यों को शिक्षित करने के अलावा ये सृजन का कार्य भी करते थे। ऐसी मान्यता है कि शिव ने चांडाल रूप में दर्शन देकर शंकराचार्य को ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखने हेतु आदेश दिया था। इसी तरह ब्राह्मण रूपधारी वेदव्यास ने इन्हें अद्वैतवाद को प्रचारित करने की अनुमति दी थी। काशी से ये कुरुक्षेत्र और वहां से श्रीनगर गए तथा शारदा देवी के सिद्ध पीठ में अपने भाष्य को प्रमाणित कराया। वहां से बदरिकाश्रम गए और अपने दूसरे ग्रंथों का सृजन किया।

अपने सभी ग्रंथ इन्होंने बारह से पंद्रह वर्ष लगाकर ही पूर्ण कर लिए थे। फिर प्रयाग में कुमारिल भट्ट से मिलकर महिष्मती नगरी में मंडन मिश्र और इनकी पत्नी को शास्त्रार्थ में परास्त कर दिया। महाराष्ट्र जाने पर शंकर ने शैवों तथा कापालिकों के तंत्र का भी मानमर्दन किया। दक्षिण में तुंगभद्रा के किनारे मंदिर का निर्माण करके वहां पर कश्मीर की शारदा देवी की स्थापना की। यही मंदिर अब ‘ ‘श्रृंगेरी पीठ’ के किया। गुजरात में, द्वारिका में शारदा पीठ, बदरीनाथ के पास जोशी मठ में नाम से विख्यात है। यहां इन्हें मां की सन्निकट मृत्यु की अनुभूति हुई और घर जाकर बेहद विषम परिस्थितियों में इन्होंने मां का अंतिम संस्कार किया। अद्वैत मत को प्रचारित करने हेतु शंकराचार्य ने संपूर्ण देश का दौरा ज्योतिषपीठ, पुरी में गोवर्धन पीठ और कुंभ कोणम का कामकोटि पीठ इन्हीं के स्थापित किए हुए हैं। इनके रचित प्रधान ग्रंथ ‘ब्रह्मसूत्र भाष्य’, ‘उपनिषद भाष्य’, ‘गीता भाष्य’, ‘विवेक चूड़ामणि’, ‘प्रबोध सुधारक’, ‘उपदेश साहसी’, ‘पंजीकरण’, ‘पंचसारतत्व’, ‘मनीषापंचक’ और ‘आनंद लहरी स्तोत्र’ इत्यादि रहे हैं। बौद्धधर्म की त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाकर वैदिक धर्म की फिर से स्थापना करने वाले शंकराचार्य ने सिर्फ 32 वर्ष का जीवन पाया और 820 में हिमालय में केदारनाथ मंदिर के पास ये स्वर्गवासी हुए, ऐसा माना जाता है।

शंकराचार्यजी द्वारा अनमोल वचन (Shankaracharya quotes )

shankaracharya quotes

शंकराचार्यजी जयंती 2024 मे कब है (Shankaracharya Jayanti 2024 Date)

हम अपनी इस वेबसाइट पर आने वाले पांच वर्षो की जयंती की दिनांक और वर्षगाठ बता रहे है. इस वर्ष शंकराचार्य जयंती 12 मई 2024 को है.

shankaracharya jayanti

इसे भी पढ़ें…

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment