भास्कराचार्य का जीवन परिचय (Biography of Bhaskaracharya in Hindi)- हम अपने भारतीय विद्वानों की इस तर्ज पर अनदेखी ही करते आए हैं- ‘घर का जोगी जोगणा, आन गांव का सिद्ध।’ महान भास्कराचार्य ने संसार को 12वीं सदी के मध्य में दशमलव प्रणाली से परिचित करवाया था। इन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों को भी बताया गया, जो न्यूटन ने 800 वर्षों पश्चात् उद्घाटित किए, लेकिन हम भास्कराचार्य को नहीं आइजक न्यूटन को जानते हैं। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य हमारे पूर्वज हैं और हमें अपने महान पूर्वजों का भी ज्ञान न हो तो हमें किसी भी बात के लिए किसी अन्य को दोष नहीं देना चाहिए, जो देश अपनी संस्कृति व अपने महापुरुषों को भूल जाता है, वह देश फिर समाप्त भी हो जाता है। अर्वाचीन भारत के विश्वविख्यात गणितज्ञ भास्कराचार्य का जन्म पाटन के करीब 1114 में हुआ था। 1150 में इन्होंने संस्कृत श्लोकों द्वारा गणित की पुस्तक ‘सिद्धांत शिरोमणि’ की चार भागों में रचना की।
भास्कराचार्य का परिचय (Introduction to Bhaskaracharya)
नाम | भास्कर द्वितीय |
प्रचलित नाम | भास्कराचार्य |
जन्म | 1114 ईस्वी, बिज्जरगी, कर्नाटक (भारत) |
पिता | महेश्वर (महेश्वर उपाध्याय) |
पत्नी | अज्ञात |
पुत्र | लोकसमुद्र |
पुत्री | लीलावती (संभवतया) |
प्रसिद्धि का कारण | महान खगोल वैज्ञानिक और गणितज्ञ |
खोज-क्षेत्र | बीजगणित, अंकगणित, ग्रहगणित, खगोल विज्ञान, ज्यामिति, संख्यिकी, त्रिकोणमिति |
मृत्यु | 1185 ईस्वी, उज्जैन (भारत) |
इनमें से ‘पाटीगणिताध्याय’ या ‘लीलावती’ (पुत्री के नाम पर) तथा ‘बीजगणिताध्याय’ स्वतंत्र ग्रंथ से है तथा शेष दो भाग- ‘ग्रह गणिताध्याय’ और गोलध्याय सिद्धांत शिरोमणि’ के नाम से जाने जाते रहे हैं।
भास्कराचार्य प्रथम गणितज्ञ थे, जिन्होंने दशमलव प्रणाली की क्रमिक रूप से विवेचना की थी। अपने ‘गोलाध्याय’ ग्रंथ में इन्होंने माध्यकर्षणत्व के नाम से गुरुत्वाकर्षण के जिन नियमों की व्याख्या की है, उसी की व्याख्या इनके आठ सौ वर्ष बाद न्यूटन ने की थी। गणित के अलावा इन्होंने ‘भास्कर व्यवहार’ एवं ‘भास्कर विवाह पटल’ नामक ज्योतिष ग्रंथों का भी सृजन किया। इनके ग्रंथों की कई टीकाएं तथा देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित होते रहे हैं। 12वीं शताब्दी के अंत में इनका निधन हुआ।
सिद्धांत शिरोमणि – भास्कराचार्य की रचना (Bhaskaracharya’s Creation – Siddhanta Shiromani)
सिद्धांत शिरोमणि के मुख्यतः चार भाग हैं। ये सभी भाग गणित की ही शाखाएं हैं।
- लीलावती (अंकगणित)
- बीजगणित
- ग्रह गणित
- गोलाध्याय
बार-बार पूछे गए प्रश्न (FAQs)
भास्कराचार्य एक महान भारतीय खगोल विज्ञानी तथा गणितज्ञ थे जिन्होंने गणित की कई सारी शाखाओं जैसे बीजगणित, अंकगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, ग्रहगणित, सांख्यिकी इत्यादि में अपना योगदान दिया। उनका जन्म 1114 ईस्वी को कर्नाटक के एक छोटे से गांव में हुआ था। बचपन से वह बहुत प्रतिभाशाली छात्र रहे थे तथा उन्होंने अपने पिता से गणित सीखी।
भास्कराचार्य का जन्म 1114 ईस्वी को कर्नाटक के बिज्जरगी में हुआ था।
भास्कराचार्य ने ही सिद्धांत शिरोमणि की रचना की थी जिसमें उन्होंने गणित की कई शाखाओं के आधारभूत ज्ञान व सूत्रों का वर्णन किया है।
भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि की रचना की थी जिसके मुख्यतः तीन भाग हैं – लीलावती (अंकगणित), बीजगणित, ग्रहगणित। इसके अलावा उन्होंने खगोल विज्ञान, ज्यामिति तथा त्रिकोणमिति में भी अपना बहुत योगदान दिया।
71 साल की उम्र में 1185 को उज्जैन में भास्कराचार्य की मृत्यु हुई थी। वे एक बहु प्रतिभाशाली वैज्ञानिक व गणितज्ञ थे जिन्होंने खगोल विज्ञान व गणित में बहुत सारे सिद्धांतों व सूत्रों का प्रतिपादन किया।
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