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बाबा आमटे का जीवन परिचय | Baba Amte Biography in Hindi

बाबा आमटे का जीवन परिचय
बाबा आमटे का जीवन परिचय

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यूं तो पीड़ित मानवता की सेवा करने का अनुकरणीय कार्य कई लोगों ने किया है, किंतु कम ही हैं ये लोग, जिन्होंने इस सेवा को ही अपना जीवन व्रत बना लिया हो। बाबा आम्टे भी ऐसा ही एक नाम है। कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए इन्होंने इतना कुछ किया है कि अनेकानेक लोग इनके सेवाकार्य से प्रभावित होकर सामाजिक सरोकारिता के कार्यों में सहभागी हो रहे हैं।

बाबा आमटे का जीवन परिचय (Baba Amte Biography in Hindi)

नाम बाबा आमटे
जन्म 26 दिसंबर 1914
जन्म स्थान हिंगनघाट, वर्घा, महाराष्ट्र
मृत्यृ 9 फरवरी 2008
जाति पता नहीं
पिता का नाम देवीदास आमटे
माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे
पत्नी का नाम साधना गुलेशास्त्री
कॉलेज वर्घा लॉ कॉलेज
आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, आनंदवन, भारत जोड़ी, लोक बिरादरी प्रचार, नर्मदा बचाओ आंदोलन
संपत्ति पता नहीं

बाबा आम्टे का पूरा नाम मुरलीधर देवीदास आम्टे है। इनका जन्म 24 दिसंबर, 1914 को वर्धा के एक जागीरदार घराने में हुआ था। बाल्यकाल में इन्हें ‘बाबा’ के नाम से पुकारा जाता था। कहते हैं कि नौ वर्ष की उम्र में एक नेत्रहीन भिखारी को देखकर ये इस हद तक द्रवित हुए कि इन्होंने अपने पास के सारे रुपये उसकी झोली की मिल्कियत बना दिए थे। अतः कहा जा सकता है कि बाल्यकाल से ही सेवा करने का एक सपना इनके साथ ही परवान चढ़ रहा था ।

बाबा आम्टे ने कानून की शिक्षा प्राप्त की थी। फिर इन्होंने वकालत का कार्य भी आरंभ किया, लेकिन इनका ध्यान गरीबों, अंत्यजों व हरिजनों के उपकार पर ही लगा हुआ था। इस कारण इन्होंने निश्चय किया कि ये सामाजिक न्याय के लिए कार्य करेंगे।

भारतवर्ष के सर्वाधिक सम्मानित नेता के रूप में इन्होंने सामाजिक उत्थान एवं नैतिक नेतृत्व का कार्य किया। आगे चलकर इन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। इनकी शादी भी साधना नाम की एक सेवाधर्मी युवती के साथ विचित्र परिस्थितियों में हुई। इन्होंने ग्यारह साप्ताहिक चिकित्सालय कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए स्थापित किए। इन्होंने कुष्ठ रोग का औषधियों का परीक्षण किया था। आनंदवन का इनका आश्रम सारी दुनिया के निदान करने के लिए कुष्ठ रोग के विषाणुओं को स्वयं के शरीर पर रखकर लिए सम्मान का केंद्र बना। इन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा बिना किसी प्रकार की नफरत किए व भय खाए की।

1985 में बाबा आम्टे ने ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ का भी आरंभ किया। यह आंदोलन कश्मीर से कन्याकुमारी तक और 1988 में आसाम से गुजरात तक भी चलाया गया था। इन्होंने शांति और सद्भाव के साथ ही पर्यावरण की जानकारी एवं पर्यावरण को बचाए रखने की जाग्रति भी लोगों तक पहुंचाने की मुहिम आरंभ की। इन्होंने प्राप्त सभी प्रकार का धन (15 मिलियन) आनंदवन आश्रम को चलाने के लिए व्यय किया। 1990 में बाबा आम्टे ने आनंदवन का भी त्याग कर दिया और सामाजिक अन्याय का विरोध करने के लिए नर्मदा जा पहुंचे। 25 दिसंबर, 1999 को इन्हें कुष्ठ रोगियों की सेवा, चिकित्सा और इनके पुनर्वास के कार्य तथा श्रमिक विद्यापीठ की इनकी अवधारणा के लिए ‘गांधी शांति पुरस्कार’ के लिए भी चुना गया। वैसे तो आनंदवन का पंजीयन सरकार के सहयोग से 1951 में ही कर दिया गया था, क्योंकि सरकार द्वारा ही इस सेवाकार्य के लिए भूमि प्रदान की गई थी। बाबा आम्टे के प्रयत्नों का ही नतीजा था कि दो अस्पताल निर्मित हुए, एक विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, एक अनाथालय भी खोला गया और नेत्रहीनों के लिए विद्यालय के साथ ही तकनीकी शिक्षा की भी व्यवस्था हुई। आनंदवन में हजारों व्यक्ति रहते हैं और अपनी आजीविका स्वयं चलाकर आत्मनिर्भरता का पाठ भी पढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति महोदय द्वारा इन्हें इनकी सेवाओं के लिए पद्म विभूषण के सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

बाबा आम्टे का निधन 9 फरवरी, 2008 को 94 वर्ष की अवस्था में हुआ। इनका सेवाभावी व लंबा जीवन भी यही शिक्षा देता है कि परोपकार की भावना से श्वासित व्यक्ति संसार में निरोगी जीवन गुजारता है। बाबा आम्टे जैसे निःस्वार्थ तबियत के लोग ही मानवता की मशाल थामे हुए हैं और इसी कारण हम भी इंसान होने का दम भर सकते हैं। यह सृष्टि ऐसे ही लोगों के कारण कायम है और आगे भी कायम रहेगी।

बाबा आमटे पुरस्कार और सम्मान (Baba Amte Awards) 

वर्ष पुरस्कार
1971 भारत सरकार से पद्मश्री
1979 जमनालाल बजाज सम्मान
1980  नागपुर विश्वविद्यालय से डी-लिट उपाधि
1983 अमेरिका का डेमियन डट्टन पुरस्कार
1985 रेमन मैगसेसे (फिलीपीन) पुरस्कार मिला
1985-86 पूना विश्वविद्यालय से डी-लिट उपाधि
1988 घनश्यामदास बिड़ला अंतरराष्ट्रीय सम्मान
1988 संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ऑनर
1990 टेम्पलटन पुरस्कार
1991 ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान
1992 स्वीडन का राइट लाइवलीहुड सम्मान
1999 गाँधी शांति पुरस्कार
2004 महाराष्ट्र भूषण सम्मान

FAQ

Q : कौन थे बाबा आमटे?

Ans : बाबा आमटे एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे।

Q : कब हुआ बाबा आमटे का जन्म?

Ans : बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर 1914 को हुई।

Q : बाबा आमटे की मृत्यृ कब हुई?

Ans : बाबा आमटे की मृत्यृ 9 फरवरी 2008 को हुई।

Q : कहां के रहने वाले थे बाबा आमटे?

Ans : हिंगनघाट के रहने वाले थे बाबा आमटे।

Q : बाबा आमटे की पत्नी का नाम क्या था?

Ans : बाबा आमटे की पत्नी का नाम साधना गुलेशास्त्री।

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