कुमार स्वामी कामराज का जीवन परिचय- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष व विख्यात नेता कुमार स्वामी कामराज का जन्म 15 जुलाई, 1903 को तमिलनाडु के रामनाद जिले मे नादर परिवार में हुआ था। नादर अंत्यज माने जाते थे। ये के. कामराज के नाम से ज्यादा विख्यात रहे। कामराज छह साल के थे, तभी इनके पिता की मृत्यु हो गई। अतः 12 वर्ष की उम्र के पश्चात् पढ़ने नहीं जा सके।
कामराज जब 18 वर्ष के थे, तब गांधी जी के असहयोग आंदोलन की इन्हें ज्ञात हुई और ये राष्ट्रीय आजादी के संघर्ष में शामिल हो गए। उस समय के प्रसिद्ध नेता एस. सत्यमूर्ति से कामराज की भेंट हुई, जिन्हें कामराज अपना राजनैतिक आदर्श मानते थे। 1930 के नमक सत्याग्रह में भाग लेने की वजह से उन्हें 2 वर्ष की कैद हुई और इसके पश्चात् प्रत्येक आंदोलन में भाग लेने के कारण ये छह बार जेल गए।
1940 में कामराज तमिलनाडु कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और 1947 में भारतीय कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्य चयनित हुए। इससे पूर्व 1937 में ये निर्विरोध मद्रास विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1946 में ये फिर से मद्रास विधानसभा और साथ ही साथ संविधान सभा के लिए भी चुने गए। 1952 में ये लोकसभा पहुंचे, लेकिन 1954 में मद्रास के मुख्यमंत्री बन जाने पर उन्होंने लोकसभा की सीट त्याग दी। इनके मुख्यमंत्रित्व में मद्रास प्रदेश (अब तमिलनाडु) ने पर्याप्त तरक्की की। तब ये भारत के अकेले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्हें अंग्रेजी का ज्ञान लगभग नहीं था, लेकिन प्रशासन की वह गहरी समझ रखते थे । इन्होंने शिक्षा, कृषि, विद्युतीकरण, ग्राम्य विकास इत्यादि पर खासा जोर दिया।
‘कामराज योजना’ के कारण भी ये चर्चित रहे थे। 1963 में ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इन्होंने प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को परामर्श दिया कि कुछ विशिष्ट नेताओं को मंत्रीपद त्याग संगठन के कार्य में लग जाना चाहिए। कांग्रेस कार्य समिति द्वारा इनकी योजना मंजूर कर लेने पर 6 केंद्रीय मंत्रियों और छह मुख्यमंत्रियों ने अपने पद छोड़ दिए थे। नेहरू जी एवं लाल बहादुर शास्त्री के अवसान के पश्चात् देश के नए प्रधानमंत्री के चयन में कामराज की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के दौरान कामराज संगठन कांग्रेस के साथ बने रहे। एक गरीब परिवार में जन्म लेने व शिक्षा के अवसर न मिलने पर भी अपनी मेहनता और निष्ठा से कोई व्यक्ति कितनी ऊंचाइयों तक जा सकता है, कामराज का जीवन इसका ज्वलंत साक्ष्य है। 1975 में इनका निधन हुआ, तब तक ये अपने जीवन को सार्थक कर चुके थे।
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