कस्तूरबा गांधी का जीवन परिचय- महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा का जन्म 1869 में पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था। ये उम्र में गांधी जी से कुछ माह बड़ी थीं। दोनों एक ही मुहल्ले में निवास करते थे। कस्तूरबा के पिता वस्त्र और कपास का कारोबार करते थे। उस समय के सामाजिक बंधनों की वजह से कस्तूरबा को विद्याध्ययन का मौका नहीं मिला। 7 वर्ष की उम्र में ही मोहनदास गांधी के साथ इनकी सगाई हो चुकी थी और 13 वर्ष की उम्र में दोनों की शादी भी संपन्न हो गई। 16 वर्षीया कस्तूरबा ने पहले बच्चे को जन्म दिया, जो कुछ दिन ही जी पाया था। विवाह के पश्चात् गांधी जी ने कस्तूरबा को पढ़ाना चाहा, किंतु अनेक कारणों से इसमें सफलता नहीं मिली और ये सामान्य गुजराती पढ़ना-लिखना भर ही सीख सकीं। अपठित होने से कोई अज्ञानी नहीं हो जाता। भारतीय नारी के शास्त्रीय संस्कार और व्यवहार बुद्धि कस्तूरबा में पर्याप्त थी। गांधी जी के सान्निध्य से इसमें लगातार वृद्धि होती रही। गांधी जी ने अपनी जिंदगी में जितने प्रयोग किए, चाहे वह आश्रम व्यवस्था हो, निजी जीवन का कठिन संयम हो या राजनीतिक आंदोलन हो, उन सभी में कस्तूरबा ने भी इनका पूर्ण सहयोग दिया। संस्कारवश शुरू में कुछ झिझक भी हुई तो आखिर में पतिपरायणा कस्तूरबा ने पति प्रदर्शित मार्ग को ही अपनाया। कस्तूरबा का निज व्यक्तित्व बेहद स्वतंत्र प्रकृति का था। इन्होंने गांधी जी की गिरफ्तारियों के पश्चात् मर्जी से आंदोलनों में भाग लिया और कई बार जेल की यातनाएं भी भोगीं। कस्तूरबा का निश्चय दृढ़ रहता था । मृत्युशय्या स्थिति में भी चिकित्सक के परामर्श पर मांस का शोरबा लेने के लिए मना कर दिया, क्योंकि मांसाहार इनके वैष्णव संस्कारों में वर्जित रहा था । इन्होंने कभी दबकर जीना नहीं सीखा। ये निडरता से अपनी बात प्रकट करती थीं। गृहव्यवस्था में दक्ष कस्तूरबा के अनुरक्षण में ही गांधी जी के आश्रमों की पूर्ण व्यवस्था रहती थीं। चार पुत्रों की माता कस्तूरबा को इनके व्यवहार की वजह से संपूर्ण राष्ट्र की माता रूप में सम्मान मिला था।
कस्तूरबा गाँधी का जीवन परिचय
पूरा नाम | कस्तूरबाई गोकुलदास कपाड़िया |
जन्म | 11 अप्रैल 1869, पोरबंदर(अरब सागर के तट पर) |
माता-पिता | श्रीमती वृजकुवरंबा कपाड़िया, श्री गोकुलदास कपाड़िया |
जीवनसाथी | मोहनदास करम चंद गाँधी(महात्मा गाँधी) |
भूमिका | भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता |
संतान | हरिलाल, मणिलाल, देवदास, रामदास |
मृत्यु | 22 फरवरी 1944, पुणे(महाराष्ट्र) |
जयंती | 11 अप्रैल(राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व के रूप में) |
‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के पश्चात् गांधी जी गिरफ्तार कर लिए गए। उस दौरान सरकार की तरफ से कस्तूरबा से कहा गया कि आप गिरफ्तार नहीं की गई हैं, किंतु चाहें तो अपने पति के साथ रहने के लिए जा सकती हैं। कस्तूरबा को सरकार की यह दया मंजूर नहीं थी। अगले ही दिन मुंबई की एक विशाल सभा में इन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ जोशीला वक्तव्य दिया। इस पर गिरफ्तार करके इन्हें पुणे के आगा खां महल में भेज दिया गया, जहां गांधी जी भी कैद में रखे गए थे। जेल में बा रुग्ण हुईं और 22 फरवरी, 1944 को वहीं इनका निधन भी हो गया। सरकार ने इनकी पार्थिव देह बाहर नहीं आने दी और आगा खां महल के भीतर ही इनका अंतिम संस्कार किया गया। गांधी जी बा को अपना आदर्श मानते थे। 62 वर्ष तक दोनों ने साथ जीवन गुजारा। इनकी मृत्यु पर गांधी जी ने कहा था- बा के बिना मैं अपने जीवन की लय व ताल को ठीक-ठाक नहीं बैठा सकता हूं। गांधी जी फिर चार वर्ष और जीवित रहे।
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