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देवकीनंदन खत्री का जीवन परिचय | Devaki Nandan Khatri biography in Hindi

देवकीनंदन खत्री का जीवन परिचय
देवकीनंदन खत्री का जीवन परिचय

देवकीनंदन खत्री का जीवन परिचय (Devaki Nandan Khatri biography in Hindi)

लेखक के कृतित्व को भारत में दो दर्जों में बांटा गया है। एक दर्जे में साहित्य को रखा जाता है और दूसरे दर्जे में लोकप्रिय साहित्य को। इस कारण देवकीनंदन खत्री के साहित्य को दोयम दर्जे का माना गया। हिंदी के इस प्रसिद्ध लेखक और सर्वप्रथम लोकप्रिय उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री का जन्म 1861 में ननिहाल मुजफ्फरपुर (बिहार) में हुआ । इनके पिता लाला ईश्वरदास को बनारस के चकिया और नौगढ़ के वनों का ठेका मिला था, इस कारण देवकीनंदन को इन वनों में घूमने और जर्जर भवनों के खंडहर देखने का मौका मिला। इस माहौल ने इनके सृजक मन को उद्वेलित किया और ये उपन्यास लिखने लगे।

इनका सर्वप्रथम उपन्यास रहा, ‘चंद्रकांता’। चार भागों का यह उपन्यास 1888 में शाया हुआ और चंद ही दिनों में इसके कई संस्करण बिक गए। इस कामयाबी से उत्साहित होकर इन्होंने 24 भागों में ‘चंद्रकांता संतति’ का सृजन किया। खत्री जी के अन्य उपन्यास- ‘नरेंद्र मोहिनी’, ‘वीरेंद्र वीर’, ‘कुसुम ‘कुमारी’, ‘काजर की कोठरी’, ‘भूतनाथ’, ‘गुप्त गोदना’, ‘अनूठी बेगम’ व ‘नौलखा हार’ भी रहे हैं।

इनके उपन्यासों का अपने समय में हिंदी के प्रचार में भारी योगदान रहा है। लोग बेहद रुचि से इनके उपन्यासों को पढ़ते थे। अनेक लोगों ने तो इन उपन्यासों का लुत्फ उठाने के लिए ही हिंदी भाषा सीखी थी।

हिंदी में ऐयारी-तिलस्मी उपन्यासों का आरंभ करने वाले खत्री जी के उपन्यासों में आधुनिक हिंदी आलोचक मनोवैज्ञानिक चित्रण और रमणीय भावों की अनुपम स्थिति तो बताते हैं, लेकिन इन्हें उच्च साहित्यिक दर्जे की रचनाएं भी नहीं मानते। इन्होंने अपनी रचनाओं भारतीय नैतिक आदर्शों की सभी प्रकार से रक्षा की है। साथ ही आपने हिंदी भाषा के औपन्यासिक स्वरूप का श्रीगणेश किया।

अपने पाठकों को मनोरंजन की इतनी रोचक सामग्री पेश की कि भारतेंदु के पश्चात् ये हिंदी जगत के प्रथम और सर्वाधिक प्रकाशवान तारे समझे गए। अगस्त, 1913 में खत्री जी का निधन हो गया। इनके उपन्यास आज भी प्रकाशित होते हैं और आज नव- पाठक उनका रसास्वादन करता है। इनकी अपार लोकप्रियता को देखने के पश्चात् इनके उपन्यासों को गैर-साहित्यिक बसंत कहना शायद करोड़ों पाठकों की भावनाओं के साथ अन्याय करना ही होगा। इस पुस्तक में इसी कारण खत्री जी को स्थान दिया गया है, ताकि त्रुटि सुधार की दिशा में मैं पहल कर सकूं।

देवकीनंदन खत्री किस युग के उपन्यासकार हैं?

देवकीनंदन खत्री भारतेंदु युग के उपन्यासकार हैं। यह बात सत्य है की उनकी रचना भारतेंदु युग में हई। लेकिन कुछ विद्वान इसे पृथक कर देखते हैं। उनका मानना है ही उनका उपन्यास केवल तिलिस्मी और ऐयारी है।

देवकीनंदन खत्री का पहला उपन्यास कौन सा है

देवकीनंदन खत्री का पहला उपन्यास चंद्रकांता है। जो एक तिलिस्मी और ऐयारी उपन्यास है।

अनूठी बेगम किसकी रचना है?

अनूठी बेगम देवकीनंदन खत्री की प्रसिद्ध रचना है।

चंद्रकांता उपन्यास के लेखक कौन हैं?

चंद्रकांता एक तिलिस्मी और ऐयारी उपन्यास है। इसके लेखक देवकीनंदन खत्री जी हैं।

काजल की कोठरी और भूतनाथ नामक उपन्यास के लेखक कौन है?

काजल की कोठरी और भूतनाथ नामक उपन्यास के लेखक देवकीनंदन खत्री साहब हैं।

चंद्रकांता संतति कौन सी रचना है?

चंद्रकांता संतति देवकीनन्दन खत्री की तिलिस्मी और ऐयारी रचना है। कुछ विद्वान चंद्रकांता संतति को भारतेन्दु युग की रचना मानते हैं। लेकिन इस बात को लेकर विद्वानों में मतांतर है।

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