प्रसार शिक्षा का अर्थ
प्रसार शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा है। प्रसार शिक्षा का शाब्दिक अर्थ जानना चाहें तो बहुत आसान है प्रसार शिक्षा अर्थात् शिक्षा का फैलाव। भारत में प्रसार शिक्षा को गाँवों से जोड़ा गया है। इसका एक विशेष कारण यह था कि अनौपचारिक शिक्षा समय, स्थान, स्थिति की मांग के अनुसार दी जाती है। भारत एक गांवों का देश हैं जहाँ की आबादी का मुख्य धन्धा कृषि है अतः भारत में प्रसार शिक्षा गाँवों के विकास के लिये ही प्रारम्भ की गई। भारतवर्ष में भारत के विद्वान नेता तथा समाज सुधारक इस तथ्य से अच्छी तरह से परिचित थे कि यदि भारत का विकास करना है तो ग्रामीण इलाकों का विकास आवश्यक है। वहाँ से जुड़े उद्योगों का विकास आवश्यक है अन्यथा शहरी चकाचौंध से प्रभावित होकर ग्रामीण शहर भागना चाहेगा। अतः स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंचवर्षीय योजनाओं में इस प्रकार की सामुदायिक योजनाएँ प्रारम्भ की गईं जो गाँवों के विकास में सहायता कर सकें। इन्हीं योजनाओं का एक रूप कृषि प्रसार भी है जिसे प्रसार शिक्षा के रूप में भी जाना गया क्योंकि इसके अन्तर्गत केवल कृषि विकास पर ही ध्यान नहीं दिया गया कृषि के साथ-साथ गाँव मे पनपने वाले उद्योग धन्धों सम्बन्धी जानकारी भी दी गई ताकि उस धन्धे से जुड़े लोग अपनी कार्यक्षमता तथा कार्यकुशलता बढ़ा सकें। प्रसार शिक्षा सम्बन्धी कार्य गाँवों को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते हैं। यह एक निरन्तर चलने वाली शिक्षा है जिसके लिये निश्चित पाठ्यक्रम नहीं होता पर योजना निश्चित होती है। इसमें शिक्षार्थी तथा शिक्षक दोनों ही एक-दूसरे से कुछ न कुछ सीखते हैं । प्रसार शिक्षा केवल भारत में ही नहीं है अपितु विश्व के विभिन्न देशों जैसे-चीन, जापान, अमेरिका, रूस में भी चलाई जा रही है तथा वहाँ इसका प्रसार भारत से भी पहले प्रारम्भ हो गया था।
ज्ञान तथा विज्ञान ने हर क्षेत्र में नई तकनीक को विकसित किया है। ये नई तकनीकें उत्पादन को बढ़ाने की क्षमता रखती हैं। ये नये आविष्कार केवल शहरी क्षेत्रों तथा हर प्रकार के औपचारिक शिक्षा के लिये नहीं हैं ये नई तकनीक नये आविष्कार हमारे कृषिक्षेत्र तथा लघुउद्योगों से भी जुड़े हैं। प्रसार शिक्षा द्वारा ग्रामीणों को खेती तथा उनके उद्योगधन्धों से जुड़ी नई-नई जानकारियाँ दी जाती हैं, उन्हें अपनी कार्यक्षमता तथा कार्यकुशलता बढ़ाने के तरीकों से परिचित कराया जाता है। विश्व के किस कोने में किस प्रकार के नये शोध हो रहे हैं नये आविष्कार हो रहे हैं इससे जुड़ी जानकारियाँ प्रसार शिक्षा कार्यक्रम के कार्यकर्ता ग्रामीणों को जाकर देते हैं। उनकी समस्याओं को सुनते हैं, उन्हें दूर करने का प्रयत्न करते हैं। प्रसार शिक्षा एक निरन्तर लगातार चलने वाली शिक्षा है जो किसी भी उम्र में प्राप्त की जा सकती है। ग्रामीण अपने उद्योगों से जुड़ी नई जानकारियाँ प्राप्त कर अपनी कार्यक्षमता, कार्यकुशलता, उत्पादन में वृद्धि कर अपने रहन- सहन के स्तर में सुधार लाते हैं। यहाँ व्यक्ति अपने अनुभवों को दूसरों से बाँटता है, दूसरे के अनुभवों से नया सीखता है। अनौपचारिक शिक्षा के अन्तर्गत प्रसार शिक्षा पढ़ने-पढ़ाने, सीखने सिखाने की एक महत्वपूर्ण तथा उत्तम विधि है जो कि मनुष्य जीवन के तीन पहलुओं से प्रभावित होती है अतः उन्हीं तीन पहलुओं पर आधारित भी हैं।
(1) ज्ञान तथा जानकारियों में परिवर्तन लाना- मनुष्य की यह स्वाभाविक प्रकृति है कि किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने के पूर्व वह उसके सम्बन्ध में विस्तृत नहीं तो कुछ मूलभूत जानकारियां अवश्य प्राप्त करना चाहता है जिन्हें आधार बनाकर वह अपना काम शुरू करता है। इस प्रकार की जानकारियों का जो लाभ प्राप्त होता है वह है मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होना जो कि उसे पुरानी तथा नयी कार्यविधियों में अन्तर करना सिखाती है ताकि वह अपने विवेक से नई जानकारियों को लाभ-हानि के तराजू में तौलकर कार्य करने के सही तरीके अपना सके।
(2) कार्य कौशल या कार्य करने के ढंग में परिवर्तन- नई जानकारियों द्वारा मनुष्य अपने कार्य करने के ढंग में इस प्रकार परिवर्तन लाने की कोशिश करता है कि उसकी कुशलता में वृद्धि हो क्योंकि कार्य कुशलता में वृद्धि उसके रहन-सहन के स्तर में सुधार की भी सूचक है। क्योंकि कार्य करने के ढंग में जितना कौशल प्राप्त करता जायेगा उतना परिणाम सुखद होता जायेगा। आज बदलते युग में कार्य करने की नई तकनीक जहाँ अच्छे परिणाम देती है वहीं कार्य सरलीकरण भी सिखाती है जिससे समय और शक्ति की बचत होती है।
(3) विचारों तथा मनोवृत्तियों में परिवर्तन- जब प्रसार शिक्षा नये ज्ञान तथा जानकारियों से काम करने के तरीकों में परिवर्तन लाती है तो वह हमारी सोच में भी परिवर्तन लाती है। सोच का यह परिवर्तन हमारी मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाता है। मनोवृत्तियों का यह परिवर्तन एक नया आत्मविश्वास लेकर आता है
प्रसार शिक्षा का उपयोग गाँववासियों की जानकारी में परिवर्तन लाने, उनके काम करने के तरीकों में आधुनिक तकनीकों को शामिल करने तथा उन ग्रामवासियों की सोच में परिवर्तन लाने के लिये है क्योंकि सोच तथा मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाने से बाकी दोनों पहलू भी प्राप्त किये जा सकते हैं। प्रसार शिक्षा गाँव में रहने वालों के बीच फैली गरीबी, अन्धविश्वास तथा उन कुरीतियों को दूर करने का प्रयास है जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकते हैं। प्रसार शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा की वह विधि है जो सरल-सुगम तरीकों से शिक्षा फैलाने के साथ-साथ शिक्षा प्राप्त करने वालों की सोच में परिवर्तन लाकर उनके सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास में सहायक होती है। तथा यह सब जानने सीखने के लिये शिक्षार्थी शिक्षक के पास नहीं जाता बल्कि शिक्षक जो प्रसार शिक्षा कार्यकर्त्ता होते हैं वे स्वयं शिक्षार्थी के पास जाते हैं।
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