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विद्यालय समय सारणी के उद्देश्य, प्रकार, आवश्यकता और महत्व

विद्यालय समय सारणी के उद्देश्य, प्रकार, आवश्यकता और महत्व
विद्यालय समय सारणी के उद्देश्य, प्रकार, आवश्यकता और महत्व

विद्यालय समय सारणी के उद्देश्य, प्रकार, आवश्यकता और महत्व

विद्यालय समय सारणी आवश्यकता और महत्व

समय-सारणी की आवश्यकता

विद्यालय के प्रत्येक कार्य को सुचारु रूप से समय के अनुसार करने के लिए प्रधानाचार्य को एक ही दृष्टि में अनेक शिक्षकों, कक्षाओं तथा उनके विषयों का ज्ञान कराने हेतु समय सारणी की आवश्यकता होती है।

समय सारणी का महत्व

समय-सारणी का विद्यालय में महत्व- विद्यालय की प्रगति के लिए सुनियोजित, सुव्यवस्थित तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित समय-सारिणी की अहम् भूमिका होती है। समय-सारणी के अभाव में विद्यालय की शैक्षिक प्रक्रिया सुव्यवस्थित न चल सकेगी। विद्यालय में शैक्षिणिक सम्बन्धी अनेक कार्यक्रम होते हैं उन्हें व्यवस्थित ढंग से करने की आवश्यकता होती है। कुछ कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं जिन्हें प्रतिदिन करना पड़ता है और कुछ कार्य सप्ताह में एक या दो बार ही होते हैं। इन सब कार्यों को व्यवस्थित और समय पर करने के लिए समय-सारणी का उचित प्रयोग किया जाये। विद्यालय में दैनिक कार्यक्रमों को करने के लिए समय-सारणी का उचित प्रयोग महत्वपूर्ण होता है।

समय-सारणी बनाने के लिए निर्धारित समय को सात या आठ भागों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक भाग को घण्टा कहते हैं। प्रत्येक अध्यापक के लिए प्रति सप्ताह निश्चित घण्टे पढ़ाई के नियम होते है। समय विभाजन से अध्यापक को अपने पाठ्यक्रम को पूर्ण कराने में सुविधा होती है। समय-सारणी तैयार करना अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य है, इसके निर्माण के लिए की आवश्यकता होती है। अतः प्रधानाचार्य को इसे स्वयं तैयार करना चाहिए।

समय सारणी तैयार करना प्रधानाचार्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य है।

संक्षेप में समय-सारणी का निम्नलिखित महत्व है-

(1) समय-सारणी द्वारा विद्यालय के सम्पूर्ण कार्यक्रम तथा विभिन्न गतिविधियों को लम्बे अनुभव समुचित स्थान मिलता है।

(2) इसके द्वारा अध्यापकों और छात्रों को अपने निर्धारित समय का ज्ञान होता है।

(3) समय-सारणी कार्य की पुनरावृत्ति और अराजकता को रोकने में सहायक होती है।

(4) समय-सारणी इस बात का ज्ञान कराती है कि किस समय, कौन-सा कार्य करना है? अत: समय और शक्ति के अपव्यय की सम्भावना नहीं रहती।

(5) समय-सारणी द्वारा यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस अध्यापक को किस मात्रा में, कितना और कैसा कार्य-भार सौंपा गया है।? यदि किसी अध्यापक को कम कार्य-भार सौंपा गया है तो उसे अधिक दिया जा सकता है और जिसे अधिक सौंपा गया है तो उसके कार्य-भार को हल्का किया जा सकता है।

(6) इसके द्वारा विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विभिन्न विषयों को सुविधानुसार समय मिल जाता है।

(7) समय-सारणी की रचना में रुकावट को दूर करने तथा मस्तिष्क को ताजा रखने के सिद्धान्त को ध्यान में रखा जाता है।

समय-सारणी के प्रकार (Kinds of Time-Table)

  1. शिक्षक के अनुसार (Teacher-wise)
  2. कक्षा के अनुसार (Class-wise)
  3. विषय के अनुसार (Subject Activities)

समय-सारणी के उद्देश्य

इसके उद्देश्य निम्न हैं-

  1. विद्यालय के विद्यार्थियों को वर्षभर कार्य में व्यस्त रखना।
  2. विद्यालय के पाठ्यक्रम को निर्धारित समय के अन्तराल में ही पूर्ण करना।
  3. विद्यालय की समय-सारणी के अन्तर्गत शिक्षकों को उनकी मानसिक सामर्थ्य एवं क्षमता के अनुसार अध्यापन कार्य देना।
  4. विद्यालय के अन्तर्गत पाठ्यक्रम का विषय विभाजन बच्चों की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति के अनुरूप ही करना चाहिए।
  5. विषय को उसकी उपयोगिता एवं कठिनाई के आधार पर समय एवं स्थान की व्यवस्था करना है।
  6. छात्र एवं अध्यापक को अपने कार्य के प्रति सजग बनाना।
  7. कम समय में अधिक लाभ उठाना।
  8. विद्यालय के अन्तर्गत व्यवस्थित एवं योजनाबद्ध कार्य का संचालन करना।
  9. विद्यालय में होने वाली पाठ्यक्रम-सहगामिनी क्रियाओं को उचित स्थान देना
  10. प्रधानाध्यापक के निरीक्षण कार्य को सरल बनाना।

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