मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुण और दोष | Merits and Demerits of Muslim Education in Hindi
मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुण
मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुणों का उल्लेख निम्न प्रकार है-
साहित्य और इतिहास का विकास- भारतीय हिन्दू शासकों की रुचि कभी भी इतिहास में प्रसिद्ध प्राप्त करने की न रही। इसलिए प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी पुराणों आदि को छोड़कर कहीं प्राप्त नहीं होती है। किसी भी सम्राट ने सच्ची सांसारिक घटनाओं व जीवन के वास्तविक अनुभवों को लिपिबद्ध नहीं किया। इसके अलग हम मुसलमान शासकों में देखते हैं कि वे स्वयं अपने अनुभवों को लिपिबद्ध करते थे। मुस्लिम शासकों की इस प्रवृत्ति ने अनेक इतिहासकारों को इस कार्य-क्षेत्र में ला खड़ा किया और उस समय की सांसारिक घटनाओं का वर्णन ऐतिहासिक ग्रन्थों में किया गया।
उस समय के शासकों के जीवन में सांसारिक भोग-विलास तथा कृत्रिम सौन्दर्य, नृत्य व संगीत का महत्त्वपूर्ण स्थान था। उनकी इस प्रवृत्ति का प्रभाव सरल साहित्य के सृजन में सहायक हुआ और साहित्यिक क्षेत्र में कोमल भावनाओं से सम्बन्ध रखने वाले गद्य और पद्य का सृजन हो गया।
शिक्षा का निःशुल्क प्रबन्ध-मुस्लिमकालीन शिक्षा में विद्यार्थी को किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ता था। शिक्षा पूर्णतया निःशुल्क थी। शिक्षा-संस्थाओं का सम्पूर्ण व्यय राज्य अथवा किसी समिति द्वारा वहन किया जाता था। यहाँ तक वर्णन मिलता है कि छात्रावासों में रहने के साथ-साथ खाने का भी प्रबन्ध किया जाता था। वहाँ उनको पौष्टिक खुराक मिलती थी, जो एक विद्यार्थी के मानसिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक थी।
अन्य विशेषतायें-उपर्युक्त गुणों के अतिरिक्त इस्लामी शिक्षा-पद्धति में शिक्षा संस्थाओं का निर्माण प्रायः शान्त और मनोरम स्थान पर सांसारिक कोलाहल से दूर किया जाता था, जिससे छात्र अधिक रुचि से व पूर्ण मनोयोग से अध्ययन कर सकें। विद्यार्थी को ध्ययन के अतिरिक्त और कोई भी कार्य नहीं रहता था तथा उनको छात्रवृत्तियों एवं पुरस्कारों द्वारा विद्याध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। सफलता का मापदण्ड परीक्षा न होकर वास्तविक योग्यता होने के कारण विद्यार्थियों में चरित्र-निर्माण व मानसिक दृढ़ता की भी रुचि स्वतः उत्पन्न हो जाती थी।
मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुण दोष अथवा इस्लामिक शिक्षा के दोष
शिक्षा संस्थायें अस्थायी-मुस्लिम शिक्षा-संस्थायें राज्य पर निर्भर थीं। शासन व्यवस्था में शिक्षा-विभाग जैसा कोई प्रबन्धकारक विभाग न था जो स्थायी रूप से शिक्षा-संस्थाओं का निरीक्षण एवं निर्माण करता। बहुधा धन के अभाव में ये संस्थायें बन्द हो जाया करती थीं और शीघ्र ही विद्यालय उजड़ जाते थे। वैसे भी कहीं-कहीं पर शिक्षक अपने घर पर ही विद्यार्थियों को शिक्षा देता था। यह व्यवस्था केवल उस शिक्षक की मनोवृत्ति द्वारा ही संचालित होती थी। अत: मुस्लिम शिक्षा में यह एक बड़ा दोष था।
शिक्षा की जागरूकता एवं व्यापकता का अभाव-शिक्षा संस्थाओं के वातावरण पर धार्मिक कट्टरता की पूर्ण मोहर लगी थी इसलिए हिन्दू जनता इन शिक्षा-संस्थाओं से लाभ नहीं उठा पाती थी, क्योंकि किसी प्रकार प्रवेश पा लेने के पश्चात् भी पूर्ण स्वाधीनता का अभाव उनको इस लाभ से दूर रखता था। मुसलमानों में उच्च वर्ग ही इससे अधिक लाभान्वित हो पाता था। बड़े-बड़े नगरों में जहाँ मुसलमानों की संख्या अधिक थी अथवा कोई अमीर उमराव रहता था, वहीं पर मकतब और मदरसे बनते थे। इसमें जनसाधारण के बालक शिक्षा पाने से वंचित रह गये।
- मुस्लिम काल की शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य
- मुस्लिम काल की शिक्षा की प्रमुख विशेषतायें
- प्राचीन शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
- बौद्ध शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
- वैदिक व बौद्ध शिक्षा में समानताएँ एवं असमानताएँ
- बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषताएँ
Important Links
- मानवीय मूल्यों की शिक्षा की आवश्यकता | Need of Education of Human Value
- मानवीय मूल्यों की शिक्षा के सिद्धान्त | मानवीय मूल्यों की शिक्षा के उद्देश्य
- मानवीय मूल्यों के विकास में विद्यालय की भूमिका | Role of School in Development of Human Values
- मानवीय मूल्यों की शिक्षा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि | Historical Background of Education of Human Values
- मानवीय मूल्यों की शिक्षा की अवधारणा एवं अर्थ | Concept and Meaning of Education of Human Values
- मानवीय मूल्य का अर्थ | Meaning of Human Value
- मानवीय मूल्यों की आवश्यकता तथा महत्त्व| Need and Importance of Human Values
- भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Globlisation
- वैश्वीकरण के लाभ | Merits of Globlisation
- वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?
- जनसंचार माध्यमों की बढ़ती भूमिका एवं समाज पर प्रभाव | Role of Communication Means
- सामाजिक अभिरुचि को परिवर्तित करने के उपाय | Measures to Changing of Social Concern
- जनसंचार के माध्यम | Media of Mass Communication
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता की आवश्यकता एवं महत्त्व |Communal Rapport and Equanimity
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता में बाधाएँ | Obstacles in Communal Rapport and Equanimity
- प्रधानाचार्य के आवश्यक प्रबन्ध कौशल | Essential Management Skills of Headmaster
- विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता | Types & importance of school library- in Hindi
- पुस्तकालय की अवधारणा, महत्व एवं कार्य | Concept, Importance & functions of library- in Hindi
- छात्रालयाध्यक्ष के कर्तव्य (Duties of Hostel warden)- in Hindi
- विद्यालय छात्रालयाध्यक्ष (School warden) – अर्थ एवं उसके गुण in Hindi
- विद्यालय छात्रावास का अर्थ एवं छात्रावास भवन का विकास- in Hindi
- विद्यालय के मूलभूत उपकरण, प्रकार एवं रखरखाव |basic school equipment, types & maintenance
- विद्यालय भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ |Meaning & characteristics of School-Building
- विद्यालय वातावरण का अर्थ:-
- विद्यालय के विकास में एक अच्छे प्रबन्धतन्त्र की भूमिका बताइए- in Hindi
- शैक्षिक संगठन के प्रमुख सिद्धान्त | शैक्षिक प्रबन्धन एवं शैक्षिक संगठन में अन्तर- in Hindi