मुस्लिम काल की शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य | Objectives of Muslim Education in Hindi
मध्यकालीन युग में अरब की सामाजिक तथा सांस्कृतिक नीतियों का प्रभाव भारत के समाज विशेषकर कला एवं संस्कृति पर पड़ा। इसी प्रभाव का असर हमारी तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा, इसके फलस्वरूप शिक्षा जगत भी प्रभावित हुए बिना न रह सका। 11वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणों की जो शृंखला प्रारम्भ हुई वह मोहम्मद गोरी, महमूद गजनवी, चंगेज खान, तैमूर लंग, नादिरशाह, अहमदशाह अब्दाली तथा मुगल वंश के प्रारम्भ तक चलती रही तथा सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत इन आक्रमणों को झेलते हुए सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक रूप से प्रभावित होता रहा तथा इसी क्रम में भारतीय शिक्षा जगत भी प्रभावित हुए बिना न रह सका।
इस सम्बन्ध में टी. एन. सिक्वेश के शब्दों में-“भारत की मुस्लिम विजय इस्लामी शिक्षा के इस अंधकारपूर्ण युग की समकालीन थी जबकि विद्यार्थियों ने संस्कृति के अपने आदर्शों को खो दिया था।”
मुस्लिम युग में शिक्षा के उद्देश्य
मुस्लिम युगीन शिक्षा के निम्न उद्देश्य थे-
1. शिक्षा का प्रसार एवं प्रचार-भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों के कारण मुस्लिम बने या बाहर से आये मुस्लिमों में धार्मिक ज्ञान का विस्तार शिक्षा के माध्यम से ही हो सकता था।
2. धर्म का विस्तार-मुस्लिम काल में शिक्षा का आधार धर्म था इसी कारण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य भी धर्म का प्रचार करना था। शिक्षा ग्रहण करने के लिए मकतबों व मदरसों का निर्माण, मस्जिदों के निर्माण के साथ ही होता था।
3. धार्मिक कानूनों का प्रसार-इस्लाम धर्म के कानूनों का प्रसार तथा कुरान की शरीयतों का प्रचार एवं प्रसार शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव था।
4. भौतिक उन्नति-मुस्लिम काल की शिक्षा धार्मिक होने के साथ-साथ भौतिक उन्नति का रास्ता भी खोलती थी। मुस्लिम धर्म में पुनर्जन्म तथा परलोक में विश्वास नहीं किया जाता है इसलिए इसी जन्म में शिक्षा के साथ-साथ सांसारिक सुख प्राप्त करने के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार आवश्यक था।
5. शासन व्यवस्था उत्तम बनाना-मुस्लिम शासकों को अपनी शासन प्रणाली को दृढ़ बनाने के लिए शिक्षा पर ही भरोसा था। उनका विश्वास था कि शिक्षा के अभाव में वे अपना शासन सुदृढ़ नहीं बना सकते हैं।
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