नियन्त्रण का क्षेत्र या विस्तार से आप क्या समझते हैं?
नियन्त्रण का क्षेत्र, सीमा या विस्तार नियन्त्रण की सीमा, क्षेत्र या विस्तार का सम्बन्ध इस बात से है कि उच्च पदाधिकारी अपने अधीन कितने कर्मचारियों के कार्य का नियन्त्रण कर सकता है। नियन्त्रण का विस्तार है। यह अवधारणा वी. ग्रेक्यूनस द्वारा वर्णित ध्यान के विस्तार क्षेत्र (Span of Attention) के सिद्धान्त से सम्बन्धित है। मानवीय क्षमता की भी सीमाएँ होती हैं। यदि निरीक्षण का क्षेत्र बहुत विस्तृत कर दिया जाता है, तो उसके परिणाम असन्तोषजनक होंगे। अतः विद्वानों ने यह खोज की है कि विस्तार क्षेत्र की सीमा क्या होनी चाहिये? कुछ इसे तीन व्यक्तियों तक, कुछ सात तक और अन्य कुछ बीस व्यक्तियों तक सीमित करते हैं। एक अधिकारी के अधीन कितने अधीनस्थ होने चाहिये इस पर कोई एक मत नहीं है, किन्तु यह सभी मानते हैं कि विस्तार क्षेत्र जितना छोटा होगा, उतना ही सम्पूर्ण तथा नियन्त्रण अधिक प्रभावशाली होगा।’
नियन्त्रण की सीमा से आशय
नियन्त्रण की सीमा से हमारा अभिप्राय अधीनस्थ कर्मचारियों की उस संख्या से है, जिसके कार्यों का अधीक्षक एक अधिकारी क्षमतापूर्वक कर सकता है। दूसरे शब्दों में, “नियन्त्रण की सीमा से आशय अधीनस्थ कर्मचारियों की उस संख्या से है, जिस पर उच्च अधिकारी प्रभावशाली नियन्त्रण रख सकता है।” प्रो. जियाउद्दीन खान के अनुसार, “नियन्त्रण की सीमा उन मातहतों की या कार्य की संख्या है, जिनका संचालन प्रधान कार्यकारी स्वयं कर सकता है।”
“नियन्त्रण की सीमा क्या होनी चाहिये? संगठन में नियन्त्रण की आवश्यकता स्वयं सिद्ध है? बिना नियन्त्रण के प्रशासन सुचारू रूप से संचालित नहीं किया जा सकता। मिलेट के शब्दों में “अनुभव एवं मनोवैज्ञानिक अनुसंधान दोनों ने इस बात की पुष्टि की है कि किसी भी प्रशासकीय अधिकारी को पर्यवेक्षण क्षमता की सीमा रहती है, परन्तु यह सीमा कितनी होनी चाहिये, इस प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद है कि । फेयॉल के अनुसार, “एक बड़े उद्यम के शिखर स्थित प्रबन्धक के नीचे पाँच या छह से अधिक अधीनस्थ कर्मचारी नहीं होने चाहिये।” उरविक के मतानुसार “उच्च पदाधिकारियों के लिए आदर्श संख्या चार होगी और निम्न स्तर के कर्मचारियों के लिए आठ या बारह।” ग्रेक्यूनस के शब्दों में, “कोई उच्च अधिकारी पाँच या छह अधीनस्थ कर्मचारियों से अधिक अच्छी तरह से कार्य का उचित निरीक्षण नहीं कर सकता है।” सर हेमिल्टन के मत में, “एक औसत मानवीय मस्तिष्क तीन से छह अन्य मस्तिष्कों का ही प्रभावशाली निरीक्षण कर सकता है। “
नियन्त्रण की यह सीमा नीचे से प्रारम्भ होती है। उदाहरण के लिए एक पुलिस विभाग में सबसे निम्न श्रेणी के 1,000 कान्सटैबिल हैं और वहाँ की परिस्थितियों के अनुकूल वहाँ ‘स्थान ऑफ कन्ट्रोल’ 5 है, तो वहाँ पद-सोपान निम्न प्रकार होगा-
1 – एस.पी.
2 – डी.एस.पी.
8 -इन्स्पेक्टर
40 – असि. इंस्पेक्टर
1,000 – कान्स्टेबिल
प्रत्येक 1,000 कॉन्स्टेबिलों पर 200 हवलदार आवश्यक होंगे। 40 असिस्टेन्ट इन्स्पेक्टर, 8 इन्स्पेक्टर, 2 डी.एस.पी. तथा 1 एस.पी. चाहिये।
नियन्त्रण की सीमा के निर्धारक अथवा नियन्त्रण के क्षेत्र को प्रभावित करने वाले तत्त्व
नियन्त्रण क्षेत्र की सीमा के सम्बन्ध में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। वास्तव में, कोई आदर्श संख्या निश्चित नहीं की जा सकती। व्यवहार में नियन्त्रण का क्षेत्र कुछ तत्त्वों पर निर्भर करता है।
ये तत्त्व हैं—कार्य, (2) समय, (3) स्थान और (14) व्यक्तित्व।
1. कार्य- कार्य से तात्पर्य कार्य की प्रकृति से है। एक-सी प्रकृति के कार्य हो, तो उनकी निगरानी करना कठिन न होगा। जैसे-जब, जजों के काम को, इंजीनियर, इंजीनियरों के कार्य को और डॉक्टर, डॉक्टरों के कार्यों को देखे, तो निरीक्षण का कार्य आसानी का हो जावेगा, परन्तु यदि किसी अधिकारी को ऐसे विभाग का नियन्त्रण सौंप दिया जावे, तो जिसमें इंजीनियर, डॉक्टर एवं अन्य लोग तो स्पष्ट है कि वह उतनी आसानी से निरीक्षण एवं नियन्त्रण का काम नहीं चल सकेगा।
2. समय— एक जमी-जमाई और पुरानी व्यवस्था में ‘नियन्त्रण’ नयी व्यवस् की तुलना में कही आसानी से हो जाता है, क्योंकि पुरानी व्यवस्था में नियन्त्रण के तौर-तरीके नजीर के रूप बन चुके होते हैं। इसलिए कोई प्रश्न उठने पर समाधान के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड़ता।
3. स्थान- निरीक्षण एवं नियन्त्रण वहाँ आसानी से हो सकता है, जहाँ पर संगठन एक ही छत के नीचे हो। जहाँ पूरा संगठन दूर-दूर तक फैला होगा, निरीक्षण एवं नियन्त्रण का प्रश्न कठिन बन जायेगा।
4. व्यक्तित्व- अधीक्षक और प्रधान कार्यकारी की क्षमता तथा व्यक्तित्व भी नियन्त्रण क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। कोई भी स्फूर्तिवान और योग्य प्रशासकीय कार्यकारी अपेक्षाकृत कम क्षमतावान सहयोगी की अपेक्षा अधिक क्षेत्र का नियन्त्रण और निरीक्षण कर सकता है।
प्रो. जियाउद्दीन खान के अनुसार नियन्त्रण क्षेत्र को निम्न चार तत्व भी प्रभावित करते हैं 1. वैयक्तिक पृष्ठभूमि, 2. मानवीय पृष्ठभूमि, 3. प्राविधिक पृष्ठभूमि तथा 4. संगठनात्मक पृष्ठभूमि।
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