राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में मैकियावेली के योगदान
प्रस्तावना- मैकियावेली आधुनिक चिन्तन का प्रथम विचारक माना जाता है। मैकियावेली के चिन्तन में मध्ययुग के अध्यात्मवाद का पुट नहीं है। मध्ययुग में धार्मिक सत्ता का व्यक्ति के जीवन पर अत्यन्त प्रभाव था, धर्म एक व्यक्तिगत विषय न होकर एक सार्वजनिक विषय था, धर्म का राजनीति पर विशेष प्रभाव था। मैकियावेली ने राज्य के स्वरूप स्पष्ट करते समय राज्य को मानवीय कृति की संज्ञा देते हुए उसके दैवी स्वरूप को स्वीकार नहीं किया है। राज्य का सम्बन्ध केवल लौकिक जीवन से है। वह धर्म को केवल एक व्यक्तिगत विषय मानता है, जो राज्य के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए एक साधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। बोदाँ ने भी मध्ययुग के चिन्तन का प्रारम्भ किया है और उसके सम्प्रभुता सिद्धान्त को राजनीतिक चिन्तन में विशेष महत्त्व प्राप्त है, किन्तु मैकियावेली के समान बोदाँ मध्ययुग के प्रभावों से अपने आपको पूर्णतः अलग नहीं कर पाया था। मैकियावेली ने अपने चिन्तन में जिन बातों को स्पष्ट किया, आधुनिक चिन्तन में उसका विशेष प्रभाव है। उसके द्वारा वर्णित सिद्धान्त आधुनिक राज्यों में भी परिलक्षित होता है।
मैकियावेली आधुनिक राजनीतिक चिंतन का जनक
मैकियावेली के निम्नलिखित विचारों के कारण उसे आधुनिक युग का प्रथम विचारक माना जाता है-
1. ईश्वरीय या दैवी विधियों के प्रति असहमति व्यक्त करना- मैकियावेली ने अपनी रचनाओं में मध्ययुगीन विचारों का प्रबल विरोध किया। उसने ईश्वरीय तथा दैविक कानूनों को अस्वीकार करके केवल मानवीय कानूनों के अस्तित्व को ही स्वीकार किया और राज्य को सर्वोच्चता प्रदान की। उसने निरंकुश पोपतन्त्र की कटु आलोचना की और राज्य को प्रभुत्व सम्पन्न तथा चर्च को उसका अनुगामी बताया।
2. व्यक्ति और जीवन की सुरक्षा को अधिकार घोषित करके व्यक्तिवाद के सिद्धान्त का सूत्रपात- मैकियावेली ने एक तरफ तो राज्य को सर्वोच्च बताया और दूसरी ओर व्यक्ति एवं जीवन की सुरक्षा के अधिकार को घोषित किया। उसने शासक यह मुख्य धर्म बतलाया कि व्यक्तिगत धन और जीवन का सम्मान किया जाय। सम्पत्ति के अपहरण को उसने गम्भीर अपराध की संज्ञा दी।
3. राष्ट्रीय राज्य के लिए सार्वभौमिकता का आविर्भाव- मैकियावेली ने आधुनिक राष्ट्र राज्य की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता सार्वभौमिकता के आविर्भाव के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया। यद्यपि उसने इस पर अथवा इससे सम्बन्धित समस्याओं पर कोई प्रकाश नहीं डाला, किन्तु मध्यकालीन समाज के संगठन और सामन्तवादी विचार का खण्डन करके तथा उसके स्थान पर सम्पूर्ण नागरिकों एवं समुदायों पर एक सर्वशक्तिमान केन्द्रीय शक्ति को प्रतिष्ठित करके स्पष्ट रूप से सार्वभौमिक विचार के आविर्भाव की भूमि तैयार कर दी।
4. ऐतिहासिक या पर्यवेक्षणात्मक पद्धति का प्रयोग- मध्यकाल की धार्मिकता से परिपूर्ण और अन्धविश्वासों तथा मूढ़ताओं से भरी अध्ययन पद्धति में प्रगति और वास्तविकता के लिए कोई जगह न थी। मैकियावेली ने अपने कार्य के लिए सर्वप्रथम ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति को अपनाया। उसने अपने सिद्धान्तों की पुष्टि में धार्मिक दृष्टान्तों का सहारा नहीं लिया, बल्कि ऐतिहासिक तर्क एवं पर्यवेक्षणात्मक पद्धति ग्रहण की, जिसमें उसकी चतुरता तथा सहनबुद्धि काम करती थी। यद्यपि मैकियावेली की पद्धति दोष रहित न थी तथापि उसने एक नवीन मार्ग का निर्देशन किया और उसके बाद के प्रायः सभी विचारकों ने ऐतिहासिक पद्धति का सहारा लिया।
5. राज्य का प्रकृतिवादी सिद्धान्त- मैकियावेली ने राज्य के प्रकृतिवादी सिद्धान्तों को सम्भव बनाया और इस बात से इन्कार किया कि मानव जीवन का कोई अतिप्राकृतिक लक्ष्य भी होता है तथा मानव जीवन किसी दैविक या प्राकृतिक कानून से विनियमित होता है। राज्य को एक प्राकृतिक संस्था के रूप में प्रकट करना मैकियावेली की एक महान देन है। जोन्स का कहना है कि ‘मैकियावेली का यह विश्वास था कि प्राकृतिक शक्तियों से ही राज्य का जन्म होता है और उन्हीं के बीच वह रहता है।” मैकियावेली का यह विचार आधुनिक युग के मार्क्स और उन समस्त विचारकों पर पड़ा, जिनका मत था कि “राजनीति शक्ति संघर्ष तथा उस पर नियन्त्रण का अध्ययन है।”
6. सीमित प्रभुसत्ता के सिद्धान्त का प्रतिपादन- मैकियावेली ने सीमित प्रभुसत्ता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। शासन और सम्प्रभुता के प्रति उसका दृष्टिकोण मर्यादित, उपयोगितावादी तथा यथार्थवादी वस्तुवादी था। इसके अतिरिक्त उसने राज्य को साधन तथा साध्य दोनों ही रूपों में स्वीकार किया। यह विचार बाद में हीगल द्वारा प्रतिपादित किया गया।
7. धर्म और नैतिकता को राज्य से अलग रखना- मैकियावेली धर्म और नैतिकता को राज्य से पूर्णतः अलग रखा है। उसने कहा है कि धर्म का सम्बन्ध व्यक्तिगत जीवन से है, राजनीति से धर्म बिल्कुल अलग है। बाद में इस मत को व्यापक समर्थन मिला और आधुनिक युग में प्रायः प्रत्येक प्रगतिशील राज्य अपने आपको धर्म के बन्धनों से मुक्त रखता है। मैकियावेली धर्मनिरपेक्ष राज्य का प्रथम जन्मदाता है
8. सामन्तवाद का विरोध व एक सर्वशक्तिमान सत्ता का समर्थन- मैकियावेली ने सामन्तवादी विचार का खण्डन करके तथा उसके स्थान पर सम्पूर्ण नागरिकों एवं समुदायों पर एक सर्वशक्तिमान सत्ता का समर्थन किया है।
9. राजतन्त्र के साथ गणतन्त्र की महत्ता को स्वीकार करना- मैकियावेली ने राजतन्त्र के साथ गणतन्त्र को भी महत्त्व दिया है। उसका मत है कि जनता शासक से अधिक बुद्धिमान होती हैं और गणतन्त्र में व्यक्ति तथा राष्ट्र की स्वतन्त्रता उचित रूप से सुरक्षित रह सकती है। इसी का सहारा लेकर आधुनिक विद्वानों ने गणतन्त्र का समर्थन किया और वर्तमान समय में अधिकांश राज्यों ने गणतन्त्र को अपना लिया है।
10. व्यवहारवादी विचारक- मैकियावेली को आधुनिक राजनीतिक विचारक होने का एक महत्त्वपूर्ण कारण उसका व्यवहारवादी होना है। मैकियावेली ने जो कुछ कहा है, वह यथार्थ सत्य है। यथार्थवादिता वैज्ञानिक राजनीतिक चिन्तन का पहला कदम है।
Important Links
- मैकियावेली अपने युग का शिशु | Maikiyaveli Apne Yug Ka Shishu
- धर्म और नैतिकता के सम्बन्ध में मैकियावेली के विचार तथा आलोचना
- मैकियावेली के राजा सम्बन्धी विचार | मैकियावेली के अनुसार शासक के गुण
- मैकियावेली के राजनीतिक विचार | मैकियावेली के राजनीतिक विचारों की मुख्य विशेषताएँ
- अरस्तू के परिवार सम्बन्धी विचार | Aristotle’s family thoughts in Hindi
- अरस्तू के सम्पत्ति सम्बन्धी विचार | Aristotle’s property ideas in Hindi
- प्लेटो प्रथम साम्यवादी के रूप में (Plato As the First Communist ),
- प्लेटो की शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ (Features of Plato’s Education System),
- प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार तथा उद्देश्य,
- प्लेटो: जीवन परिचय | ( History of Plato) in Hindi
- प्लेटो पर सुकरात का प्रभाव( Influence of Socrates ) in Hindi
- प्लेटो की अवधारणा (Platonic Conception of Justice)- in Hindi
- प्लेटो (Plato): महत्त्वपूर्ण रचनाएँ तथा अध्ययन शैली और पद्धति in Hindi
- प्लेटो: समकालीन परिस्थितियाँ | (Contemporary Situations) in Hindi
- प्लेटो: आदर्श राज्य की विशेषताएँ (Features of Ideal State) in Hindi
- प्लेटो: न्याय का सिद्धान्त ( Theory of Justice )
- प्लेटो के आदर्श राज्य की आलोचना | Criticism of Plato’s ideal state in Hindi
- प्लेटो के अनुसार शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य, पाठ्यक्रम, विधियाँ, तथा क्षेत्र में योगदान
- प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन, गुण व दोष
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
- भारतीय संसद के कार्य (शक्तियाँ अथवा अधिकार)