बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध
बेरोजगारी की समस्या और समाधान- बेरोजगारी का अभिप्राय उस स्थिति से है, जब कोई योग्य तथा काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के लिए तैयार हो और उसे काम न मिलता हो। बालक, वृद्ध, रोगी, अक्षम एवं अपंग व्यक्तियों को बेरोजगारों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि जो व्यक्ति काम करने के इच्छुक नहीं हैं और परजीवी हैं वे बेरोजगारों की श्रेणी में नहीं आते।
बेरोजगारी किसी भी देश अथवा समाज के लिए अभिशाप होती है। इससे एक ओर निर्धनता, भुखमरी तथा मानसिक अशान्ति फैलती है तो दूसरी ओर युवकों में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता को भी प्रोत्साहन मिलता है। चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध-वृत्ति एवं आत्महत्या आदि अनेक समस्याओं के मूल में एक बड़ी सीमा तक बेरोजगारी ही जिम्मेदार है। बेरोजगारी एक ऐसा भयंकर विष है, जो सम्पूर्ण देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दूषित कर देता है।
बेरोजगारी के कारण
हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नलिखित है-
1. बेरोजगारी का प्रमुख कारण है- जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि। विगत कुछ दशकों में भारत में जनसंख्या का विस्फोट हुआ है। हमारे देश की जनसंख्या में प्रति वर्ष लगभग 2.5% की वृद्धि हो जाती है, जबकि इस दर से बेकार हो रहे व्यक्तियों के लिए हमारे देश में रोजगार की व्यवस्था नहीं है।
2. भारतीय शिक्षा सैद्धान्तिक अधिक है। यह व्यावहारिकता से शून्य है। इसमें पुस्तकीय ज्ञान पर ही विशेष ध्यान दिया जाता फलतः यहाँ के स्कूल-कॉलेजों से | निकलने वाले छात्र दफ्तर के लिपिक ही बन पाते हैं। वे निजी उद्योग-धन्धे स्थापित करने योग्य नहीं बन पाते हैं।
3. विगत पंचवर्षीय योजनाओं में देश के औद्योगिक विकास के लिए प्रशंसनीय कदम उठाए गए हैं, किन्तु समुचित रूप से देश का औद्योगिकीकरण नहीं किया जा सकता है; अतः बेकार व्यक्तियों के लिए रोजगार नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं।
4. हमारे देश में कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी है। अतः उद्योगों के सफल संचालन के लिए विदेशों से प्रशिक्षित कर्मचारी बुलाने पड़ते हैं। इस कारण से देश के कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों के बेकार हो जाने की भी समस्या हो जाती है।
इनके अतिरिक्त मानसून की अनियमितता, भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन, मशीनीकरण के फलस्वरूप होनेवाली श्रमिकों की छँटनी, श्रम की माँग एवं पूर्ति से असन्तुलन, आर्थिक साधनों की कमी आदि से भी बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। देश को बेरोजगारी से उबारने के लिए इनका समुचित समाधान नितान्त है।
बेरोजगारी को दूर करने के उपाय
बेरोजगारी को दूर करने में निम्नलिखित उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं-
1. जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि बेरोजगारी का मूल कारण है, अतः इस पर नियन्त्रण बहुत आवश्यक है। जनता को परिवार नियोजन का महत्त्व समझाते हुए उसमें छोटे परिवार के प्रति चेतना जाग्रत करनी चाहिए।
2. शिक्षा को व्यवसाय प्रधान बनाकर शारीरिक श्रम को भी उचित महत्त्व दिया जाना चाहिए।
3. कुटार उद्योगों के विकास की आर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
4. देश में व्यापक स्तर पर औद्योगिकीकरण किया जाना चाहिए। इसके लिए विशाल उद्योगों की अपेक्षा लघस्तरीय उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
5. मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगो का भी विकास किया जाना चाहिए, जैसे- दृषि के साथ पशुपालन तथा मुर्गीपालन आदि। सहायक उद्योगों का विकास करके ग्रामीणजनों को बेरोजगारी से मुक्त कराया जा सकता है।
6. देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी विविध कार्यों का विस्तार किया जाना चाहिए। सड़कों का निर्माण, रेल-परिवहन का विकास, पुल निर्माण तथा वृक्षारोपण जैसे कार्यों पर बल दिया जाना चाहिए।
उपसंहार
हमारी सरकार बेरोजगारी उन्मूलन के लिए जागरूक है और इस के दिशा में उसने महत्त्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं। परिवार नियोजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि की हदबन्दी, नये नये उद्योगों की स्थापना, अप्रेण्टिस (प्रशिक्षु) योजना, प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना आदि अनेकानेक कार्य ऐसे हैं, जो बेरोजगारी को दूर करने में एक सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं।
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