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बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा | बुद्धि की प्रकृति एवं विशेषताएँ

बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा
बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा

बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा

बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा – प्राचीनकाल से ही मानव क्षमताओं में बुद्धि का विशेष महत्त्व है, क्योंकि मानव जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता पर निर्भर करती है। बुद्धि को सामान्यतः सोचने-समझने और सीखने तथा निर्णय करने की शक्ति के रूप में देखा-समझा जाता है। इन्हीं शक्तियों के आधार पर व्यक्ति को कुशाग्र, तेज बुद्धि, प्रतिभाशाली, बुद्धिमान, चतुर आदि विशेषणां से अलंकृत किया जाता है। एक सामान्य व्यक्ति की दृष्टि में वही व्यक्ति बुद्धिमान है जो साक्षर एवं जानी है। कुछ ही दृष्टि में किसी कार्य को विधिपूर्वक बिना किसी परेशानी के सम्पन्न करना ही बुद्धिमत्ता का प्रतीक है।

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बुद्धि क्या है? इस प्रश्न के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों में मतभेद है। बुद्धि के स्वरूप का वर्णन विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचारों के अनुसार किया है। अतः मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी परिभाषाओं का अध्ययन करके ही हम बुद्धि के स्वरूप को समझ सकते हैं। मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

स्टर्न के अनुसार- “बुद्धि एवं सामान्य योग्यता है, जिसके द्वारा व्यक्ति नयी परिस्थितियों में अपने विचारों को जान-बूझकर समायोजित कर लेता है।”

बर्ट के अनुसार — “बुद्धि सापेक्ष रूप में नवीन परिस्थितियों में अभियोजित करने की जन्मजात योग्यता है।”

बिने के अनुसार – “किसी समस्या को समझना, उसके विषय में तर्क करना तथा किसी निश्चित निर्णय पर पहुँचना बुद्धि की आवश्यक क्रियाएँ हैं।”

कॉलविन के शब्दों में “यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से सामञ्जस्य करना सीख लिया है या सीख सकता है, तो उसमें बुद्धि है। “

बकिंघम के अनुसार- “सीखने की शक्ति ही बुद्धि है।”

मैक्डूगल के अनुसार – “बुद्धि अतीत अनुभवों के आधार पर जन्मजात प्रवृत्ति को सुधारने की योग्यता है। “

वैल्स के अनुसार — “नवीन परिस्थितियों में समायोजन की योग्यता ही बुद्धि है। “

स्पीयरमैन के अनुसार – “व्यक्ति की सामान्य योग्यता का नाम ही बुद्धि है। “

स्टाउट के शब्दों में – “सतर्क रहने की शक्ति का नाम ही बुद्धि है। “

वुडरो के मतानुसार- “बुद्धि, ज्ञान का अर्जन करने की क्षमता है। “

गाल्टन के अनुसार – “बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है। “

टरमन के अनुसार– “अमूर्त वस्तुओं के विषय में सोचने की योग्यता बुद्धि है। “

थार्नडाइक के अनुसार — “वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार अपेक्षित प्रतिक्रिया करने की योग्यता बुद्धि है।”

वेश्लर के अनुसार – “बुद्धि किसी व्यक्ति के द्वारा उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने तार्किक चिन्तन करने तथा वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से क्रिया करने की सामूहिक योग्यता है।”

एबिंगहॉस का मत है – “बुद्धि विभिन्न भागों को मिलाने वाली शक्ति है। “

वेश्लर ने कहा है कि – “अभिप्राय युक्त करने, तर्कयुक्त चिन्तन करने तथा पर्यावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से व्यवहार करने की शक्ति व्यक्ति की सम्पूर्ण अथवा सार्वभौम क्षमता ही बुद्धि है।”

गैरेट के अनुसार- “बुद्धि ऐसी समस्याओं के हल करने की योग्यता है जिनमें ज्ञान और प्रतीकों के समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता है, जैसे- शब्द, अर्थ, रेखाचित्र, समीकरण और सूत्र ।”

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वुडवर्थ के अनुसार- “बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के विवेचन से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि मनोवैज्ञानिक बुद्धि के अर्थ, स्वरूप एवं प्रकृति को लेकर एकमत नहीं हैं। पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक फ्रीमैन ने बुद्धि सम्बन्धी विभिन्न मतों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया है-

1. बुद्धि सीखने की योग्यता है- वुडवर्थ, गाल्टन, डीयरबोर्न और बकिंघम ने बुद्धि को सीखने की योग्यता माना है।

2. बुद्धि पर्यावरण के साथ समायोजन की योग्यता है–स्टर्न, वर्ट, पिंटर, क्रूज और कॉलविन आदि मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को मनुष्य के अपने वातावरण में समायोजन करने की शक्ति के रूप में माना है।

3. बुद्धि अमूर्त चिन्तन की योग्यता है- बिने, टरमन और स्पीयरमैन आदि मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अमूर्त चिन्तन की योग्यता माना है।

4. बुद्धि अनेक योग्यताओं का समुच्चय है- कोलेसनिक, रेक्स एवं नाइट, वेश्लर और स्टोडर्ड आदि मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अनेक योग्यताओं का योग माना है।

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बुद्धि की प्रकृति एवं विशेषताएँ

बुद्धि के अर्थ, स्वरूप एवं परिभाषा को लेकर मनोवैज्ञानिकों में एकमतता नहीं हैं। प्रयोगों, परीक्षणों तथा शोध अध्ययनों के आधार पर बुद्धि के सम्बन्ध में बहुत से तथ्यों को मनोवैज्ञानिकों ने उजागर किया है। बुद्धि सामान्य योग्यता है। इसी योग्यता के आधार पर व्यक्ति सीखता है तथा अपने को एवं दूसरों को समझता है। सामाजिक और वैयक्तिक परिवेश में व्यक्ति की अन्तः क्रियात्मक गतिशीलता तथा क्षमता को बुद्धि की संज्ञा प्रदान की जाती है। अधोलिखित तथ्य बुद्धि को प्रकृति और उसकी विशेषता को स्पष्ट करते हैं-

(i) बुद्धि एक जन्मजात शक्ति है। यह वंशानुक्रम से प्राप्त होती है।

(ii) बुद्धि वह शक्ति है, जिसके द्वारा व्यक्ति कठिनाइयों को दूर करके परिस्थिति के अनुसार अपने व्यवहार का संगठन करता है।

(iii) बुद्धि सीखने की क्षमता है।

(iv) बुद्धि अतीत अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता है।

(v) बुद्धि अमूर्त चिन्तन की योग्यता है अर्थात् बुद्धि के द्वारा जो प्रत्यक्ष नहीं है, उसके बारे में सोच विचार कर सकते हैं।

(vi) बुद्धि विभिन्न योग्यताओं का समूह है।

(vii) बुद्धि भले-बुरे, सत्य-असत्य, नैतिक-अनैतिक कार्यों में अन्तर करने की योग्यता है।

(viii) बुद्धि सभी प्रकार की विशिष्ट योग्यताओं का निचोड़ (सार) है।

(ix) बुद्धि द्वारा अर्जित ज्ञान का नयी परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है।

(x) बुद्धि और ज्ञान में अन्तर होता है।

(xi ) लिंग-भेद के कारण बुद्धि में अन्तर नहीं दिखाई पड़ता।

(xii) बुद्धि में आत्म-निरीक्षण की शक्ति होती है। व्यक्ति द्वारा किये गये कर्मों और विचारों की आलोचना बुद्धि स्वयं करती है।

(xiii) बुद्धि किसी समस्या को समझने का प्रयत्न करती है और समझकर मस्तिष्क को निर्णय करने के लिए प्रेरित करती है।

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