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शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?

शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?

शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ-लोकतांत्रिक समाज में व्यक्ति को अपना विकास करने के लिए समान अवसर प्रदान किये जाते हैं। यहाँ पर समानता का अर्थ है अवसरों की समानता अर्थात् वर्ग, जाति, धर्म, भाषा इत्यादि को ध्यान में न रखते हुए शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करना शैक्षिक अवसरों की समानता कहलाता है। 1950 में जब भारत का संविधान बनाया गया तो उसमें सभी प्रकार के लोगों के लिए शैक्षिक अवसर प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।

शैक्षिक अवसरों की समानता हेतु संविधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 15-धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग व जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव किसी भी भारतीय नागरिक के साथ नहीं बरता जायेगा।

अनुच्छेद 16- सरकारी नौकरियाँ सभी के लिए खुली होंगी तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए विशेष सुविधाएँ सुरक्षित स्थानों के रूप में होगी।

अनुच्छेद 28- प्रत्येक संस्थाओं में प्रवेश के मामले में कोई भेदभाव किसी के साथ नहीं बरता जायेगा। संक्षेप में अस्पृश्यता निवारण की दृष्टि में संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेद दृष्टव्य हैं

अनुच्छेद 29-राज्य द्वारा घोषित अथवा राज्य निधि से सदृश्यता पाने वाले किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश कर किसी भी तरह से प्रतिबंध निषेध |

अनुच्छेद 46- इन जातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की रक्षा और उनका सभी प्रकार के शोषण और सामाजिक अन्याय से बचाव।

अनुच्छेद 146- केन्द्र व राज्यों में अछूतों के कल्याण हेतु समाज कल्याण व अशासकीय संस्थाओं को खोलने पर बल दिया गया है।

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