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रिजर्व बैंक या केन्द्रीय बैंक के कार्य या भूमिका | आधुनिक अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय बैंक की भूमिका

रिजर्व बैंक या केन्द्रीय बैंक के कार्य या भूमिका
रिजर्व बैंक या केन्द्रीय बैंक के कार्य या भूमिका

रिजर्व बैंक या केन्द्रीय बैंक के कार्य या भूमिका

रिजर्व बैंक या केन्द्रीय बैंक के कार्य या भूमिका- रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बैंक के रूप में मुख्य कार्य निम्न हैं-

1. नोट निर्गमन

 केन्द्रीय बैंक का यह एक अति महत्त्वपूर्ण कार्य है। यह कार्य केन्द्रीय बैंक को अन्य बैंकों से अलग करता है। नोट निर्गमन पर केन्द्रीय बैंक का एकाधिकार होता है। इसी कारण इसे ‘नोट निर्गमन बैंक भी कहते हैं। इस नोट निर्गमन के पीछे प्रत्येक देश अपने सामर्थ्य के हिसाब से सोने का कोष रखता है। केन्द्रीय बैंक की स्थापना के पहले नोट निर्गमन का कार्य व्यापारिक बैंक किया करते थे। व्यापारिक बैंकों के नोटों में समरूपता का अभाव था, जिससे जनता को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयाँ उठानी पड़ती थीं। नोट निर्गमन के केन्द्रीयकरण से बहुत सारे लाभ हुए जैसे-नोटों पर जनता को अधिक विश्वास होने लगा, नोटों का निर्गमन देश की आवश्यकतानुसार होने लगा, मुद्रा प्रणाली में एकरूपता और लोच आयी, खास पर नियन्त्रण सम्भव हो पाया, मुद्रा की मात्रा को नियन्त्रित करके मुद्रा के आन्तरिक एवं बाह्य मूल्यों को स्थिरता प्रदान किया गया तथा नोट निर्गमन का लाभ सरकारी प्रयोग में आने लगा इत्यादि ।

2. सरकार का बैंक

केन्द्रीय बैंक सरकार को विभिन्न प्रकार की बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करके विभिन्न प्रकार से सरकार की सहायता करता है। केन्द्रीय बैंक में केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों का पैसा जमा रहता है, जिससे सरकार के विभिन्न देनदारियों का भुगतान किया जाता है। सरकार के प्रतिनिधि के रूप में यह बैंक जमा एवं भुगतान प्राप्त करता है। सरकार के लिए देश विदेश से ऋणों की व्यवस्था करता है। इन ऋणों की प्राप्ति एवं पुनर्भुगतान से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएँ करता है। आवश्यकता पड़ने पर यह सरकार से सेवा शुल्क भी ले लेता है। उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त केन्द्रीय बैंक सरकार को विभिन्न मामलों पर आर्थिक सलाह भी प्रदान करता है। मुद्रा, साख, सार्वजनिक ऋण, विदेशी विनिमय, व्यापारिक नीति एवं राजस्व सम्बन्धी निर्णय सरकार केन्द्रीय बैंक की सलाह से ही लेती है। केन्द्रीय बैंक में सरकार की ओर से नियुक्त विभिन्न मामलों के विशेषज्ञ इस कार्य में केन्द्रीय बैंक और सरकार की सहायता करते हैं।

3. बैंकों का बैंक एवं विनिमय बिलों की पुनर्कटौती

जिस प्रकार सामान्य जनता किसी बैंक में खाता खोलती है, उसी प्रकार सभी अनुसूचित बैंक केन्द्रीय बैंक में अपना खाता खोलते हैं। सामान्य जनता अपने पैसों को सुरक्षा की दृष्टि से बैंक में रखती है और आवश्यकता पड़ने पर ऋण भी लेती है, उसी प्रकार व्यापारिक बैंक भी अपने दायित्वों का कुछ भाग केन्द्रीय बैंक में रखते हैं और अधिक पैसे की आवश्यकता पड़ने पर केन्द्रीय बैंक से ऋण भी लेते हैं। जिस प्रकार लोग अपने विनिमय विपत्रों का बैंक में कटौती कराते हैं (शीघ्र पैसे की आवश्यकता पड़ने पर), उसी प्रकार बैंक भी पैसे की शीघ्र आवश्यकता पड़ने पर इन विनिमय विपत्रों की पुनर्कटौती केन्द्रीय बैंक से कराते हैं। इसी कारण केन्द्रीय बैंक को बैंकों का बैंक भी कहा जाता है।

4. बैंक के नकद कोषों का संरक्षक

व्यापारिक बैंकों को अपने दायित्वों का एक निश्चित भाग केन्द्रीय बैंक के पास नकद के रूप में रखना होता है ताकि बैंकों की नकदी की आकस्मिक आवश्यकता को तुरन्त पूरा किया जा सके। यह नकद कोष उस नकद कोष के अतिरिक्त होता है जो व्यापारिक बैंक स्वयं अपने पास रखते हैं। जब बैंकों को स्वयं के रखे गये कोष के अतिरिक्त नकद की आवश्यकता होती है तो उस समय केन्द्रीय बैंक में रखा गया कोष उनके काम आता है। इस प्रकार केन्द्रीय बैंक में रखा गया नकद कोष आवश्यकता पड़ने पर निकाला जा सकता है। इस नकद कोष की दर प्रत्येक देश में प्रचलित विधान के अन्तर्गत होती है।

5. स्वर्ण कोष एवं विदेशी मुद्रा कोष का संरक्षक

राष्ट्र के स्वर्ण कोष एवं विदेशी विनिमय कोषों को रखने का अधिकार मात्र केन्द्रीय बैंक को होता है। स्वर्ण कोष का प्रयोग तो मुख्यतया मुद्रा निर्गमन के उद्देश्य से किया जाता है जबकि विदेशी मुद्रा का कोष विदेशी भुगतान अथवा देश से बाहर जाने वाले व्यक्तियों को देने के लिए रखा जाता है। इस प्रकार विदेशी मुद्रा का लेन-देन केन्द्रित होने के कारण विदेशी विनिमय दर के उच्चावचन पर नियन्त्रण रखा जा सकता है। उसी प्रकार स्वर्ण कोषों को उपयुक्त एवं आवश्यक कार्यों हेतु प्रयोग करने के लिए इन कोषों को रखने के सम्बन्ध में केन्द्रीय बैंक को एकाधिकार प्राप्त है।

6. समाशोधन गृह का कार्य

केन्द्रीय बैंक में सभी व्यापारिक बैंकों के खाते होने के कारण एक व्यापारिक बैंक को दूसरे व्यापारिक बैंकों से/को भुगतान केन्द्रीय बैंक के माध्यम सं बहुत ही आसान ढंग से और कम समय में हो जाता है। केन्द्रीय बैंक इन बैंकों के समाशोधन गृह के रूप में कार्य करता है। केवल प्रविष्टियों के द्वारा ही नाम/जमा हो जाता है, नकद की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस प्रकार केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों के एक अति महत्त्वपूर्ण और आवश्यक कार्य को स्वयं निपटा देता है।

निष्कर्ष- इस प्रकार, रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंकिंग के रूप में उपर्युक्त कार्यों का निष्पादन करक बैंकों का बैंक कहलाता है।

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