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मुद्रा की पूर्ति के आधुनिक दृष्टिकोण | Modern Views of money supply in Hindi

मुद्रा की पूर्ति के आधुनिक दृष्टिकोण
मुद्रा की पूर्ति के आधुनिक दृष्टिकोण

मुद्रा की पूर्ति के आधुनिक दृष्टिकोण-Modern Views of money supply in Hindi

मुद्रा की पूर्ति के आधुनिक दृष्टिकोण (Modern Views of money supply)-  आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार किसी देश की मुद्रा की कुल पूर्ति में चलन मुद्रा (Currency) और बैंक मुद्रा अर्थात् माँग जमा। (Demand Deposits) को ही सम्मिलित किया जाता है, अर्थात्

मुद्रा की पूर्ति = करेन्सी (सिक्के + नोट) + माँग जमा

Supply of Money = Currency (Coins + Notes ) + Demand Deposits

में भारत में मुद्रा पूर्ति के मापक व संघटक (Measures and Components of Money Supply in India)- मुद्रा पूर्ति के द्वितीय कार्यकारी दल (Second Working Group of Money Supply) की सिफारिशों के आधार पर अप्रैल 1977 से भारतीय रिजर्व बैंक भारत में मुद्रा पूर्ति का आकलन चार संघटकों की सहायता से करता है जो कि निम्नलिखित हैं।

M1, M2, M3, M4,

(1) M1 अर्थात् मुद्रा की पूर्ति की संकुचित धारणा (M1 or Narrow Concept of Supply of Money)- भारत जैसे अर्द्ध-विकसित देश के लिए मुद्रा की पूर्ति की संकुचित धारणा अर्थात् M, सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मुद्रा पूर्ति की इस अवधारणा अर्थात् M, के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्वों को सम्मिलित किया जाता है।

(a) जनता के पास करेन्सी (Currency with the Public-C)- जनता के पास करेन्सी का मुद्रा की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं–(i) संचलन में नोट (Notes in circulation), (ii) रूपयों के सिक्के (Rupess Coins),

(iii) छोटे सिक्के (Small coins), इनके जोड़ में से बैंकों के पास नकदी को घटा दिया जाता है। अतएव जनता के पास करेन्सी = चलन में नोट + रूपयों के सिक्के + छोटे सिक्के बैंकों के पास नकदी।

(b) बैंकों में माँग जमा (Demand Deposits with the Banks DD) बैंकों में माँग जमा से अभिप्राय व्यापारिक तथा सहकारी बैंकों की माँग जमा से है। इनका निर्माण दो प्रकार से किया जाता है- (i) सक्रिय (Active) तथा (ii) निष्क्रिय (Passive) | पहली प्रकार की जमा राशियों का निर्माण तब होता है जब लोग बैंक में नकदी जमा करते हैं। इसे उच्च शक्ति (High Powered Money) भी कहा जाता है। दूसरी प्रकार की जमा राशियों का निर्माण तब होता है जब बैंक ऋण देकर जमा राशियाँ एकत्र करते हैं।

(c) रिजर्व बैंक के पास अन्य जमा (Other Deposits with the Reserve Bank OD) रिजर्व बैंक के पास अन्य जमा के अन्तर्गत विदेशी सरकारों, अन्य केन्द्रीय बैंकों व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की माँग जमाएँ शामिल होती हैं। संक्षेप में,

M1,=C+ DD + OD

उदाहरण (Example) 1- हम M1, का मूल्य निम्न सारणी के अंकों द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे।

सारणी: 21 जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार M, की बकाया राशि (करोड़ रूपयों में)

M, (i + ii +iii) 691640
(i) जनता के पास करेन्सी (C) 4,10,110
(ii) बैंकों के पास माँग जमाएँ (DD) 2,75,420
(iii) रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाएँ (OD) 6,110

उपर्युक्त से स्पष्ट है कि M1 में सर्वाधिक अंश जनता के पास करेन्सी (C) का होता है। 21 जनवरी, 2011 को M1 की कुल बकाया राशि में C का अंश 56%, DD का अंश 42.8% का और OD का अंश मात्र 0.8% था जिसे नगण्य समझकर प्रायः विवेचन में छोड़ दिया जाता है।

बैंक के पास माँग जमाओं (DD) व रिजर्व बैंक के पास की अन्य जमाओं (i + iii) को मिलाकर जनता के पास जमा मुद्रा (Deposit Money) कहा जाता है।

(2) मुद्रा की पूर्ति की M2 धारणा (M2 Concept of Supply of Money) M1 में पोस्ट ऑफिस बचत बैंक की जमाओं को जोड़ने से M2 की राशि प्राप्त होती है,

M1 = M2 + डाकघरों के बचत बैंकों में जमा

(3) M3 या मुद्रा की पूर्ति की विस्तृत धारणा (Mg or Broader Concept of the Supply of Money)- मुद्रा की पूर्ति की विस्तृत धारणा में M1 (जनता के पास करेन्सी) + बैंक माँग जमा + रिजर्व बैंक के पास अन्य जमा) के अतिरिक्त बैंकों की सावधि जमा (Time Deposit) भी शामिल की जाती है, अर्थात्

M3 = M1 – बैंकों की सावधि जमा

(4) मुद्रा की पूर्ति की M4 धारणा (M4 Concept of the Supply of Money)- M4 मुद्रा की पूर्ति की सबसे अधिक विस्तृत धारणा है। इसके अन्तर्गत M. के अतिरिक्त डाकघरों की कुल जमा शामिल होती है चाहे ये बचत बैंकों द्वारा किया जाये या अन्य स्कीमों द्वारा किया जाये।

M4 = M3 + डाकखानों की कुल जमा

तरलता की दृष्टि से (From Liquidity view-point) – M1 मुद्रा में जनता के पास करेन्सी, बैंकों के पास माँग जमाओं तथा रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाओं को शामिल किया जाता है। यह सबसे तरल धारणा है। इन्हें जनता के पास मुद्रा की पूर्ति भी कहा जाता है। यहां जनता से अर्थ उस क्षेत्र से है जो मुद्रा का उपभोग करता है। इसमें सरकार तथा बैंकों को शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि ये मुद्रा का निर्माण करते हैं।

M2 में M1 के अतिरिक्त डाकघरों के बचत खातों की जमाओ को भी शामिल किया जाता है। ये बैंकों की माँग जमाओं की तुलना में कम तरल (Liquid) होती हैं।

M3 में M1 के अतिरिक्त बैंकों की सावधि जमाओं ( Time Deposits) को भी शामिल किया जाता है। समय जमा, बैंकों की माँग तथा डाकखानों की बचत जमाओं से कम तरल होती है।

M4 में M2 के अतिरिक्त डाकघरों की कुल जमा राशियों को शामिल किया जाता है।

रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा की पूर्ति की जो उपयुक्त चार धारणाएँ दी गयी हैं, उनमें से M1 तथा M3 अधिक महत्वपूर्ण हैं। M1 संकुचित धारणा है तथा M3 विस्तृत धारणा है।

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