उच्च शक्ति मुद्रा के संघटक का वर्णन कीजिए।
उच्च शक्ति मुद्रा के संघटक (Components of High Powered Money)- एक आधुनिक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक आधार (उच्च शक्ति मुद्रा) पर ही साख तथा मुद्रा की पूर्ति का निर्माण किया जाता है। उच्च शक्ति मुद्रा को निम्नलिखित समीकरण द्वारा प्रकट किया जाता है।
(H= C + R+ OD)
उपर्युक्त समीकरण के आधार पर हम कह सकते हैं कि उच्च शक्ति मुद्रा (H) के संघटक निम्नलिखित हैं।
1. जनता के पास करेन्सी (C)- उच्च शक्ति मुद्रा का एक महत्त्वपूर्ण संघटक करेंन्सी (C) है। भारत के सन्दर्भ में करेंन्सी RBI तथा भारत सरकार द्वारा जारी की जाती है। करेन्सी की मात्रा में केवल दीर्घकाल में ही परिवर्तन सम्भव हो पाते हैं, अतः उच्च शक्ति मुद्रा (H) में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं होती।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि निर्गमित करेन्सी का एक भाग जनता द्वारा बैंकों में रखा जाता है। अतः यदि लोगों में बैंकिग की आदत नहीं है और वे अपने मुद्रा धारणों को नकदी रूप में रखना बेहतर समझते हैं तो बैंकों द्वारा साख निर्माण अपेक्षाकृत कम होगा और मुद्रा पूर्ति का स्तर नीचा होगा।
(2) बैंक के पास नकद रिजर्व (R)- आवश्यक रिजर्व से अभिप्राय बैकों द्वारा रखे गये नकदी रिजवों से हैं ये नकदी रिजर्व निम्नलिखित दो प्रकार के हो सकते है।
(a) आवश्यक रिजर्व (Required Reserve, RR)- केन्द्रीय बैंक सभी वाणिज्य बैंकों के लिए यह आवश्यक कर देता है कि वे अपनी सावधि एवं माँग जमाओं, दोनों का एक निश्चित प्रतिशत भाग आरक्षित या रिजर्व (Reserve) के रूप में रखें। यही कानूनी न्यूनतम अथवा आवश्यक रिजर्व हैं। आवश्यक रिजर्वो (RR) को वाणिज्य बैंक आवश्यक रिजर्व अनुपात (RRr) तथा जमाओं के स्तर (D) निर्धारित करते है- RR RRr D यदि जमाओं की राशि रुपये 50 लाख और आवश्यक रिजर्व अनुपात 10 प्रतिशत है तो आवश्यक रिज़र्व 10% x 50= रु.5 लाख होंगे। इस प्रकार रिजर्व अनुपात जितना अधिक होगा, बैंक को उतने ही अधिक आवश्यक रिजर्व रखने होंगे। भारत में इसे नकदी रिजर्व अनुपात (Cash Reserve Ratio CRR) कहते हैं ।
(b) अतिरेक रिजर्व (Excess Reserve, ER)- आवश्यक रिजर्व (RR) से अधिक नकदी के जो रिजर्व वाणिज्य बैंकों के पास उपलब्ध होते हैं, उन्हें अतिरेक रिजर्व (ER) का नाम दिया जाता है। संक्षेप में कुल नकद रिजर्व (Total Cash Reserve) तथा आवश्यक रिजर्व (ER) का अन्तर अतिरिक्त या अतिरेक रिजर्व (ER) कहलाता है। उदाहरण के लिए, कुल नकद रिजर्व रुपये 50 लाख है और आवश्यक रिजर्व रुपये 5 लाख है तो अतिरेक रिजर्व रु.45 लाख (50) रुपये 5लाख) होंगे। जब आवश्यक रिजर्व घटाकर 2.5 लाख रूपए कर दिये जाते हैं तो अतिरेक रिजर्व बढ़कर रूपये 47.5 लाख हो जाते हैं। ER का उपयोग जमाकर्ताओं द्वारा अपनी जमाओं की वापसी माँगने तथा अन्य वाणिज्य बैंकों के प्रति निबल दायित्वों के भुगतान के लिए किया जाता है। उच्च शक्ति मुद्रा की मात्रा निर्धारित करने में अतिरेक रिजर्व (ER) ही अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वाणिज्य बैंक के अतिरेक रिजर्व ही उसकी जमा देयताओं के आकार को प्रभावित करते है। वाणिज्य बैंक अपनी अतिरेक रिजर्व (ER) के बराबर ऋण देते हैं और अतिरेक रिजर्व (ER) मुद्रा पूर्ति का आवश्यक अंग है। (Bank Rate Policy) के द्वारा वाणिज्य बैंक के रिजवों को प्रभावित करके मुद्रा पूर्ति को निर्धारित करता है।
(3) केन्द्रीय बैंक के पास अन्य जमाएँ (Other Deposits with Centre Bank OD)- उच्च शक्ति मुद्रा का तीसरा संघटक है OD। इसके अन्तर्गत गैर-बैकिंग संस्थाओं; जैसे-औद्योगिक बैंक, यूनिट ट्रस्ट, विदेशी सरकारें, केन्द्रीय बैंक के पास जमा करती हैं। चूँकि केन्द्रीय बैंक की अन्य जमाएँ भी बैंकों द्वारा माँग जमाओं के बहुगुणी सृजन के आधार के रूप में कार्य करती हैं अतः वे भी उच्च शक्ति मुद्रा H का एक संघटक हैं। चूँकि इनकी मात्रा बहुत कम होती है अतः उच्च शक्ति मुद्रा में परिवर्तन के स्रोत के रूप में बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं होती।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि उच्च शक्ति मुद्रा के प्रमुख संघटकों में केन्द्रीय बैंक के पास अन्य जमाएँ (OD) महत्त्वपूर्ण नहीं है। ऐसी स्थिति में जनता द्वारा धारित करेंसी, व्यापारिक बैंकों के कन्द्रीय बैंक में आवश्यक रिजर्व तथा अतिरिक्त रिजर्वों के बीच उच्च शक्ति मुद्रा का विभाजन दिया हुआ होने पर मुद्रा पूर्ति C, RR तथा ER से उल्टे अनुपात में बदलती है परन्तु मुद्रा की पूर्ति उच्च शक्ति मुद्रा के परिवर्तन से प्रत्यक्ष अनुपात में परिवर्तित होती है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
(i) यदि उच्च शक्ति मुद्रा की पूर्ति में AH की वृद्धि होती है तो HS वक्र ऊपर की ओर विवर्तित होकर HS पर चला जाता है।
(ii) E बिन्दु पर उच्च शक्ति मुद्रा की माँग और पूर्ति सन्तुलन में है और मुद्रा पूर्ति OM है।
(iii) जब उच्च शक्ति मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि होने से वक्र HS हो जाता है तो नये सन्तुलन बिन्दु E, पर मुद्रा की पूर्ति भी बढ़कर OM, हो जाती है।
(iv) चित्र से यह भी स्पष्ट होता है कि जब उच्च शक्ति मुद्रा में AH की वृद्धि होती हैं. तो मुद्रा पूर्ति (AM) में कई गुना वृद्धि होती है जिससे मुद्रा गुणक के कार्यकरण का पता चलता है।
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