अच्छी मुद्रा पदार्थ के आवश्यक गुण
अच्छी मुद्रा पदार्थ के आवश्यक गुण निम्नलिखित हैं।
1. सर्वमान्यता- मुद्रा के रूप में चुना गया पदार्थ प्रत्येक व्यक्ति द्वारा स्वीकृत होना चाहिए। यदि कोई पदार्थ देश के सभी लोगों द्वारा स्वीकृत नहीं किया जाता, तो वह मुद्रा का काम नहीं दे सकता। इस दृष्टि से सोना व चाँदी आदर्श पदार्थ हैं।
2. परिचयता ( पहचाने जाने की योग्यता )- यदि किसी पदार्थ का मुद्रा के लिए प्रयोग करना है, तो वह ऐसा होना चाहिए कि उसे आसानी से पहचाना जा सके। यदि वह आसानी से पहचाना नहीं जा सकता तो जनता के लिए अत्यन्त असुविधाजनक होगा इसके अतिरिक्त इस पदार्थ के प्रयोग से धोखेबाजी व ठगी की सम्भावना भी बनी रहेगी। सोना और चाँदी अच्छे मुद्रा पदार्थ का काम दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अधिक आसानी से पहचाना जा सकता है।
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3. अक्षयशीलता – मुद्रा के रूप में प्रयुक्त होने वाला पदार्थ अनश्वर होना चाहिए। यह एक ऐसा पदार्थ होना चाहिए जिसमें बिना किसी आशंका के क्रय-शक्ति को संचित किया जा सके। गेहूँ मुद्रा का कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि यह कुछ वर्षों के पश्चात् सड़-गल कर नष्ट हो है जाता है। इसके विपरीत, सोना व चाँदी अनश्वर धातुएँ हैं तथा दीर्घकाल तक टिकाऊ रह सकती
4. वहनीयता- चूँकि मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना पड़ता है, इसलिए यह ऐसा पदार्थ होना चाहिए जो सुगमता से वहनीय हो। यह पदार्थ छोटे परिमाण मे अधिक मूल्यवान होना चाहिए। इस दृष्टिकोण से सोना व चाँदी उत्तम मुद्रा पदार्थ माने जा सकते हैं। कागजी मुद्रा में वहनीयता का बहुत महत्त्वपूर्ण गुण पाया जाता है। इसे यात्रियों द्वारा बिना किसी कठिनाई के एक-स्थान तक ले जाया जा सकता है।
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5. विभाज्यता- मुद्रा पदार्थ ऐसा होना चाहिए कि उसे बिना हानि के इकाइयों में विभाजित किया जा सके। पशु मुद्रा का कार्य नहीं कर सकते, क्योंकि वे विभाज्य नहीं होते हैं। इसके विपरीत, सोना व चाँदी बिना किसी प्रकार की हानि के छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित किये जा सकते हैं।
6. ढलाऊपन – मुद्रा-पदार्थ ऐसा होना चाहिए कि उसे गलाकर किसी भी रूप में ढाला जा सके और उस पर चिन्ह अथवा अक्षर आसानी से अंकित किया जा सके। इसलिए मुद्रा-पदार्थ न तो बहुत कड़ा और न बहुत मुलायम होना चाहिए। सोना और चाँदी में ढलाऊपन का गुण विद्यमान है। इनको गलाकर आवश्यकतानुसार सिक्के तैयार किये जा सकते हैं।
7. समरूपता – इससे अभिप्राय यह है कि पदार्थ की विभिन्न इकाइयों में गुणों की समानता हो, अर्थात् पदार्थ के प्रत्येक अंश के गुण समान होने चाहिए । सोना व चाँदी समरूप होते हैं तथा उनसे बनाये गये सिक्के एक जैसे होते हैं। इसके विपरीत, सभी प्रकार के गेहूँ एक जैसे नहीं होते और न सभी पशु ही एक जैसे होते हैं।
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8. मूल्य की स्थिरता – मुद्रा-पदार्थ का सबसे आवश्यक गुण तो उसके मूल्य की स्थिरता है अर्थात् मुद्रा पदार्थ का मूल्य यथासम्भव स्थिर होना चाहिए। इसका कारण यह है कि मुद्रा, मूल्य के मापक, स्थगित भुगतानों के मान तथा क्रय-शक्ति के संचय के साधन का कार्य करती है। यदि मुद्रा के अपने मूल्य में ही परिवर्तन होते रहते हैं, तो इन कार्यों को भली-भाँति सम्पन्न नहीं कर सकती। यदि मुद्रा के मूल्य में समय-समय पर परिवर्तन होते हैं अथवा कीमतों में उतार-चढ़ाव होते हैं, तो इससे समाज के विभिन्न वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मुद्रा-पदार्थ के मूल्य में परिवर्तनों का एक परिणाम यह भी होता है कि साधारण लोग मुद्रा को पिघलाने तथा संचित करने लगते हैं जिससे चलन में मुद्रा की कमी हो जाती है।
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