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उपदान/ग्रेच्युइटी क्या है? | Gratuity in Hindi

उपदान/ग्रेच्युइटी क्या है?
उपदान/ग्रेच्युइटी क्या है?

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उपदान/ग्रेच्युइटी क्या है? | Gratuity in Hindi

उपदान/ग्रेच्युइटी (Gratuity) [धारा 10 (10)] – जब कोई कर्मचारी अवकाश ग्रहण करता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है तब उसे अथवा उसकी मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को एक मुश्त राशि नियोक्ता द्वारा दी जाती है, जिसे ग्रेच्युइटी कहते हैं। यदि कर्मचारी सेवा निवृत्ति पर स्वयं ग्रेच्युइटी की राशि प्राप्त करता है तो वह वेतन शीर्षक में आयकर नियमों के अनुसार कर योग्य होती है। यदि कर्मचारी की मृत्यु के बाद यह राशि उसके उत्तराधिकारी द्वारा प्राप्त की जाती है तो यह अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर योग्य होगी परन्तु इस पर छूट धारा 10 (10) के अनुसार ही प्रदान की जायेगी अर्थात् छूट की राशि का निर्धारण वेतन शीर्षक में दिये गये प्रावधानों के अन्तर्गत ही होगा।

ग्रेच्युइटी पर कर की गणना करने के लिए कर्मचारियों को निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-

(A) सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, स्थानीय सत्ता व निगमों के कर्मचारियों की दशा में (In case Government Semi – Government, Local Authorities and Corpo ration Employees) – यदि कर्मचारी केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सत्ता या जीवन बीमा निगम, वित्तीय निगम या बैंक से कोई एक मुश्त राशि मृत्यु या अवकाश ग्रहण पर प्राप्त करता है तो सम्पूर्ण राशि कर मुक्त होगी।

(B) अन्य कर्मचारियों की दशा में धारा 10 (10) (i) (In case of other employees)— निजी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों या उपरोक्त कर्मचारियों की श्रेणी में न आने वाले कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली ग्रेच्युइटी एक मुश्त राशि में से कर मुक्त राशि या कर योग्य राशि ज्ञात करने के लिए आयकर अधिनियम के प्रावधानों को दो भागों में बाँटा गया है-

1. ऐसे कर्मचारी जिन पर ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम, 1972 लागू होता है [ धारा 10 (10) (ii)] – इस अधिनियम के अन्तर्गत कारखानों, खानों, बागानों, तेल क्षेत्रों, बन्दरगाहों तथा ऐसे व्यापारिक दुकानों एवं प्रतिष्ठानों (जहाँ गत वर्ष में 10 या 10 से अधिक व्यक्ति कार्य कर रहे हों) में कार्यरत गैर-सरकारी कर्मचारी आते हैं। उन पर ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम, 1972 लागू होता है।

इस अधिनियम के अन्तर्गत आने वाले कर्मचारी को प्राप्त ग्रेच्युइटी राशि में से कर मुक्त राशि निम्न प्रकार ज्ञात करते हैं-

(i) ग्रेच्युइटी की वास्तविक प्राप्त रकम

(ii) नौकरी के प्रत्येक सम्पूर्ण वर्ष तथा 6 माह से अधिक अंश पर (जिसे पूरा वर्ष माना जाएगा) सबसे अन्त में प्राप्त वेतन के आधार पर, 15 दिन का वेतन (मौसमी संस्थाओं की दशा में 7 दिन का वेतन)

(iii) अधिकतम राशि रु.10,00,000

उपरोक्त तीनों में से जो भी राशि कम होगी उसे कर-मुक्त माना जायेगा शेष राशि कर योग्य होगी। परन्तु धारा 89 के अन्तर्गत करदाता कर से छूट का दावा कर सकता है। वेतन का आशय = मूल वेतन + महँगाई वेतन + महँगाई भत्ता (सभी अन्तिम माह के )

Salary + Dearness Pay and Dearness

2. ऐसे कर्मचारी जिन पर ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम, 1972 लागू नहीं होता है | धारा 10 (10)(iii) – ऐसे कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति पर या नौकरी से त्यागपत्र देने पर या नौकरी से निकाले जाने पर या मृत्यु पर स्वयं द्वारा या वैधानिक उत्तराधिकारी द्वारा ग्रेच्युइटी प्राप्त की जाती है तो इनके लिए कर मुक्त च्युइटी की राशि निम्न प्रकार ज्ञात की जायेगी

(a) ग्रेच्युइटी की वास्तविक प्राप्त राशि

(b) एक वर्ष की सम्पूर्ण सेवा के लिए आधे माह का वेतन (c) अधिकतम राशि रु.10,00,000

उपरोक्त तीनों में जो राशि सबसे कम है, वह करमुक्त है। शेष राशि करयोग्य होगी। वेतन का आशय = मूल वेतन + महँगाई वेतन + महँगाई भत्ता (यदि सेवा शर्तों के अधीन है)

+ बिक्री पर कमीशन (यदि विक्रय पर निश्चित प्रतिशत से दिया जाता है) (सभी अवकाश ग्रहण के पूर्व 10 माह के लिए जायेंगे)

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