भविष्य निधि (Provident Fund) से क्या आशय है?
भविष्य निधि (Provident Fund in Hindi)- कर्मचारियों को सुरक्षा तथा छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देने के लिये विभिन्न प्रकार की भविष्य निधियों की स्थापना की गई है। कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित दर से राशि काट ली जाती है तथा भविष्य निधि में नियोक्ता द्वारा भी राशि जमा कराई जा सकती है। जब कर्मचारी सेवा निवृत्त होता है, तो उसे वह राशि उस समय ब्याज सहित दे दी जाती है।
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भविष्य निधि के प्रकार
भविष्य निधि निम्न प्रकार की होती है।
1. वैधानिक भविष्य निधि
2. प्रमाणित भविष्य निधि
3. अप्रमाणित भविष्य निधि
4. सार्वजनिक भविष्य निधि
1. वैधानिक भविष्य निधि (Statutory Provident Fund)
ऐसी भविष्य निधि सरकारी, अर्द्ध सरकारी, रेलवे, सरकारी शिक्षण संस्थाओं तथा स्थानीय सरकारी कार्यालयों, बैंकों, बीमा कम्पनियों द्वारा रखी जाती है। इन पर भविष्य निधि अधिनियम, 1925 लागू होता है। इस भविष्य निधि में किये गये अंशदान को (जब कर्मचारी सेवा में है) वेतन शीर्षक की आय निकालते समय ध्यान में नहीं रखा जाता है। कर्मचारी के अंशदान की छूट धारा 80C के अन्तर्गत प्रदान की जाती है। ऐसे फण्ड से प्राप्त राशि कर्मचारी के नौकरी छोड़ने पर या सेवा निवृत्त होने पर भुगतान की जाती है, तथा उसकी कुल आय में नहीं जोड़ी जाती है क्योंकि यह धारा 10(11) के अन्तर्गत कर मुक्त है।
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2. प्रमाणित भविष्य निधि (Recognised Provident Fund)
ऐसी भविष्य निधि आयकर कमिश्नर द्वारा प्रमाणित ऐसी निधि है जिसे अनुसूचित बैंकों, कारखानों तथा व्यापारिक संस्थाओं द्वारा रखा जाता है। जिसमें कर्मचारी तथा नियोक्ता दोनों ही अंशदान करते हैं। नियोक्ता द्वारा इस फण्ड में कर्मचारी के वेतन का 12% तक अंशदान कुल आय में शामिल नहीं किया जाता है। इससे अधिक नियोक्ता का अंशदान आय में शामिल किया जायेगा। कर्मचारी द्वारा किया गया अंशदान (सेवा में रहते हुए) धारा 80C में छूट के लिए शामिल किया जायेगा। प्रमाणित भविष्य निधि में जमा राशि पर 9.5% की दर से जमा ब्याज को कर्मचारी की आय में नहीं जोड़ा जाता है। यदि इससे अधिक ब्याज प्राप्त होता है तो उसे कर्मचारी की आय में जोड़ा जाता है।
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भविष्य निधि में वार्षिक वृद्धि
इसमें निम्नलिखित शामिल हैं
(i) कर्मचारी के प्रमाणित भविष्य निधि में उसके वेतन के 12% से अधिक किया गया। अंशदान (नियोक्ता द्वारा । की राशि |
(ii) कर्मचारी के वेतन में जमा राशि पर (9.5% से अधिक) वार्षिक से अधिक ब्याज सेवानिवृत्ति या नौकरी छोड़ने पर इस निधि की जो राशि प्राप्त होती है वह पूर्णतः ब्याज सहित कर-मुक्त होती है।
3. अप्रमाणित भविष्य निधि (Unrecognised Provident Fund)
ऐसे निधि जो न तो वैधानिक हो और न ही आयकर कमिश्नर द्वारा प्रमाणित हो अप्रमाणित भविष्य निधि कहलाती हैं। ऐसी निधि लघु उद्योग संस्थाओं द्वारा रखी जाती हैं। इस भविष्य निधि के अंशदान को न तो वेतन शीर्षक की आय निकालते समय ध्यान में रखा जाता है और न ही 80C में कटौती के लिए शामिल किया जाता है।
सेवानिवृत्ति या नौकरी छोड़ने पर इस भविष्य निधि की प्राप्त राशि में से नियोक्ता का अंशदान तथा उसके अंशदान का ब्याज (यदि प्रश्न में स्पष्ट न हो तो 50% अंशदान तथा ब्याज नियोक्ता का माना जाता है) वेतन शीर्षक में कर-योग्य होगा। कर्मचारी का अंशदान कर-मुक्त होता है। कर्मचारी के अंशदान का ब्याज वेतन शीर्षक में कर-योग्य न होकर ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर योग्य होगा।
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4. सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Fund)
यह योजना 1 जुलाई, 1968 को भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई थी। नौकरी करने वालों के अतिरिक्त जैसे— डॉक्टर, वकील, व्यापारी, पेशेवर व्यक्ति आदि भी इस फण्ड में अंशदान कर सकते हैं। इसमें जमा की गई राशि धारा 80C के अन्तर्गत कटौती योग्य है । सार्वजनिक भविष्य निधि से प्राप्त राशि ब्याज सहित कर मुक्त होती है।
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