वाणिज्य / Commerce

वेतन का आशय | वेतन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण नियम | Meaning of Salary in Hindi

वेतन का आशय तथा वेतन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण नियम
वेतन का आशय तथा वेतन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण नियम

वेतन का आशय (Meaning of Salary in Hindi)

वेतन का आशय (Meaning of Salary in Hindi)- आयकर अधिनियम की धारा 15 के अनुसार का आशय निम्न से है-

1. ऐसा पारिश्रमिक जो नियोक्ता से प्राप्त या प्राप्य हो, जिस पर आयकर देना पड़ता हो, चाहे वह राशि प्राप्त हुई हो अथवा नहीं।

2. वर्तमान अथवा भूतपूर्व मालिक अथवा नियोक्ता की ओर से मिला हुआ अथवा स्वीकृत हुआ, वेतन, जो देय नहीं हुआ किन्तु देय होने से पहले ही मिल गया हो।

3. ऐसा बकाया वेतन जो गत वर्ष में कर्मचारी को दे दिया गया हो जिस पर कोई भी गत वर्ष में कर नहीं लगा हो।

इसे भी पढ़े…

वेतन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण नियम (Important Rules Regarding Salary) –

1. नियोक्ता (मालिक) तथा कर्मचारी का सम्बन्ध (Relationship of Employer and Employee)- वेतन शीर्षक के अन्तर्गत वेतन केवल तभी करयोग्य होगा जब भुगतान करने वाले तथा वेतन प्राप्त करने वाले में नियोक्ता तथा कर्मचारी का सम्बन्ध हो ।

यदि भुगतान करने वाले तथा भुगतान प्राप्त करने वाले में मालिक तथा कर्मचारी का सम्बन्ध नहीं है तो ऐसा भुगतान “वेतन” शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य नहीं है। जैसे संचालक को प्राप्त कमीशन या फीस, सांसदों को प्राप्त वेतन आदि। इस प्रकार की आय “अन्य स्रोतों से आय” शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य है। साझेदार को फर्म से प्राप्त वेतन, बोनस व कमीशन इस शीर्षक में कर योग्य न होकर व्यापार एवं पेशे से आय शीर्षक में कर योग्य हैं।

2. एक से अधिक नियोक्ताओं से प्राप्त वेतन (Salary received from more than one Employer)- यदि कोई कर्मचारी एक या एक से अधिक नियोक्ताओं मे वेतन प्राप्त करता है तो ऐसे सभी वेतन भुगतान वेतन शीर्षक की आय में कर योग्य होते हैं। इसके अन्तर्गत बकाया वेतन तथा अग्रिम वेतन भी शामिल है।

इसे भी पढ़े…

3. वर्तमान या भूतकाल के नियोक्ता से प्राप्त वेतन (Salary received from present or former employee)- कर्मचारी द्वारा प्राप्त किये गये भुगतान चाहे वर्तमान नियोक्ता के हों या भूतपूर्व नियोक्ता के हों, सभी वेतन शीर्षक की आय में शामिल होते हैं।

4. कर मुक्त वेतन (Tax free Salary)- कर-मुक्त वेतन से आशय उस वेतन से है जिस वेतन पर आयकर का भुगतान करने का दायित्व नियोक्ता का होता है, कर्मचारी का नहीं। इस सम्बन्ध में नियोक्ता द्वारा चुकाया गया आयकर कर्मचारी की आय में शामिल किया जाता है।

5. विदेशी सरकार से प्राप्त वेतन एवं पेन्शन (Salary and Pension received from Foreign Government)- कर्मचारी को विदेशी सरकार से प्राप्त वेतन एवं पेन्शन वेतन शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य होती है। बशर्ते सरकार द्वारा उसे कर-मुक्त घोषित न किया गया हो।

6. भारत में की गई सेवाओं का विदेश में प्राप्त वेतन एवं पेन्शन- यदि सेवाएँ भारत में प्रदान की गई हैं तथा उनका वेतन या पेन्शन भारत के बाहर प्राप्त होती है तो वह भारत में ही उपार्जित मानी जायेगी।

इसे भी पढ़े…

7. नियोक्ता द्वारा वेतन में से की गई कटौतियाँ (Deductions made by employer from salary)- यदि नियोक्ता कर्मचारी के वेतन में से कुछ कटौतियाँ घटाने के बाद उसे शुद्ध वेतन का भुगतान करता है तो ऐसी सभी कटौतियाँ कर्मचारी के वेतन में जोड़ दी जायेंगी। क्योंकि सकल वेतन (Gross Salary) ही कर योग्य होता है।

8. वेतन तथा मजदूरी दोनों ही कर योग्य (Salary and wages both are taxable)– वेतन शीर्षक के अन्तर्गत वेतन तथा मजदूरी में कोई अन्तर नहीं है, दोनों ही वेतन शीर्षक की आय में कर योग्य होते हैं।

9. वेतन कमाने का स्थान (Place of accural of salary)- वेतन कमाने का स्थान वह होता है जिस स्थान पर सेवाएँ दी जा रही हैं। परन्तु एक सरकारी कर्मचारी की दशा में, उसके द्वारा विदेश में दी गई सेवाओं का वेतन भी भारत में उपार्जित/देय माना जाता है।

10. न्यायालय के आदेश द्वारा रोका गया वेतन (Salary retained by order of Court)- न्यायालय द्वारा रोके गये वेतन को भी वेतन से आय की गणना करते समय कर योग्य आय में जोड़ दिया जायेगा।”

11. महँगाई भत्ता एवं महँगाई वेतन (Dearness Allowances and Dear ness Pay) – महँगाई भत्ता तथा महँगाई वेतन दोनों को ही वेतन शीर्षक की आय की गणना करते समय जोड़ा जाता है।

इसे भी पढ़े…

12. वेतनमान के आधार पर वेतन (Salary on the basis of Salary Grades)- मूल वेतन का अर्थ उस वेतन से है जो वेतन क्रम के अनुसार मिलता है। वेतन क्रम कर्मचारी के मूल वेतन में वृद्धि की प्रक्रिया को बताते हैं। वेतन में वृद्धि प्रत्येक वर्ष लगाई जायेगी, जो वृद्धि वेतन क्रम में दी जाती है। यह वृद्धि तब तक होगी जब तक कि उसके वेतनक्रम की अन्तिम सीमा नहीं आ जाती। यदि वेतन वृद्धि एक से अधिक है तो दर्शायी गई वेतन सीमा के बाद अगली वृद्धि प्रारम्भ की जायेगी। सरकारी तथा अर्द्धसरकारी कर्मचारियों की दशा में, जिस माह का वेतन हो वह उसके अगले माह की पहली तिथि को देय माना जायेगा। इनका वेतन मार्च से फरवरी तक का कर योग्य होगा ।

बैंकों तथा गैर सरकारी कर्मचारियों की दशा में वेतन, जिस माह का हो उसी माह की अन्तिम तिथि को देय माना जाता है। अतः इनका वेतन अप्रैल से मार्च तक का कर-योग्य होगा।

13. सूचना अवधि के बदले में वेतन (Salary in Lieu of notice period)– जब किसी कर्मचारी की सेवा समाप्त करनी होती है तो 3 माह पूर्व उसे इस आशय का नोटिस (Notice) दिया जाता है और यदि उसकी सेवाएँ तुरन्त समाप्त करनी हो तो उसे इस 3 माह की अवधि का वेतन दिया जाता है तो जिस वर्ष में यह प्राप्त होगा उसी वर्ष में यह कर योग्य होगा।

14. वेतन के अतिरिक्त नियोक्ता से अन्य प्राप्त की गई राशि (Any other amount excluding salary received by the employer)- यदि कर्मचारी नियोक्ता से कोई राशि प्राप्त करता है चाहे वह सेवा की शर्तों में शामिल की गई है या नहीं, कर्मचारी के लिए वह शीर्षक में ही कर योग्य होगी।

वेतन के स्थान पर लाभ (Profits in Lieu of Salary)

वेतन के स्थान पर लाभ में निम्नलिखित शामिल हैं:

(1) करदाता द्वारा अपने वर्तमान अथवा किसी पहले नियोक्ता से, नौकरी से हटाने के सम्बन्ध में अथवा नौकरी की शर्तों में परिवर्तन करने के सम्बन्ध में प्राप्त होने वाली क्षतिपूर्ति की कोई रकम ।

(2) किसी वर्तमान अथवा भूतपूर्व नियोक्ता द्वारा करदाता को देय अथवा दिया हुआ कोई भुगतान। यदि नियोक्ता अपने कर्मचारी को कोई राशि व्यक्तिगत भेंट के रूप में देता है जो उसकी अच्छी सेवाओं के कारण न दी गयी हो तो वह राशि उस कर्मचारी के लिए कर योग्य नहीं होगी।

(3) अप्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड अथवा किसी अन्य फण्ड में से किया गया कोई भुगतान केवल नियोक्ता के अंशदान तथा उस पर ब्याज की राशि तक कर योग्य होगा। इस फण्ड में कर्मचारी के स्वयं के अंशदान पर प्राप्त ब्याज कर-मुक्त नहीं है। यह ‘वेतन’ शीर्षक के बजाय, ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर योग्य है।

(4) Keyman बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत प्राप्त राशि (बोनस सहित) |

(5) यदि करदाता को किसी व्यक्ति से उसके पास नौकरी आरम्भ करने से पूर्व या नौकरी समाप्त करने के पश्चात् कोई राशि एकमुश्त या अन्य प्रकार से प्राप्त हुई या शोध्य (due) है।

अपवाद- धारा 10 के वाक्यांश (10), (10-अ), (10-ब), (10-स), (11), (12), (13) तथा (13-अ) में दिये हुए भुगतान ‘वेतन के स्थान पर लाभ’ में शामिल नहीं किये जाएंगे:

(1) मृत्यु तथा अवकाश ग्रहण करने पर ग्रेच्युइटी [धारा 10 (10)] 

(2) पेंशन की एकमुश्त राशि[धारा [धारा 10 (10A)]

(3) क्षतिपूर्ति [ धारा 10 (10B ) ]

(4) सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी अथवा स्थानीय सत्ता अथवा सहकारी समिति अथवा किसी विश्वविद्यालय से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के समय केन्द्रीय सरकार की योजनानुसार प्राप्त राशि |[ धारा 10 (10C)]

(5) वैधानिक प्रॉविडेण्ट फण्ड से भुगतान । [ धारा 10 (11) ]

(6) प्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड से भुगतान । [ धारा 10 (12) ]

(7) अनुमोदित सुपरऐनुएशन फण्ड से भुगतान जो धारा 10(13) के अन्तर्गत हो। इस फण्ड से अन्य कोई भुगतान वेतन शीर्षक में वेतन के स्थान पर लाभ के रूप में कर योग्य होगा।

(8) मकान किराया भत्ता । [ धारा 10 (13A ) ]

इसे भी पढ़े…

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment