भारत एवं विश्व शान्ति विषय पर टिप्पणी लिखिए।
भारत एवं विश्व शान्ति-भारत- का प्राचीनकाल से ही विश्व शान्ति को समर्पित देश रहा है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति वाले राष्ट्र हिन्दुस्तान की शान्ति के सम्बन्ध में स्थिति अभूतपूर्व है। भारत का शान्ति संबंधी दृष्टिकोण, जैसा कि हम सभी जानते हैं, सारा संसार भी जानता है, अति व्यापक विशेष एवं अद्वितीय रहा है। हजारों वर्षों से भारत से संसार को जाने वाले शान्ति-संदेश का धरावासियों के जीवन एवं विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस गहन प्रभाव के मूल में, वास्तव में, वह भारतीय दृष्टिकोण रहा है, जिसके विकास में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष, दोनों रूपों में, महान ऋषियों, परम विद्वानों, युग पुरुषों, तपस्वियों एवं त्यागियों द्वारा अर्जित ज्ञान एवं कर्मों के बल पर अर्जित अमूल्यवान अनुभव की भागीदारी रही।
शान्ति-संबंधी भारतीय दृष्टिकोण गतिशीलता को समर्पित है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में शान्ति सक्रिय स्थिति में है। शान्ति ठहराव अथवा निष्क्रियता का वातावरण नहीं है। शान्ति की अवस्था में तनाव, टकराव तथा दबाव के भय से मुक्त होकर प्रगति उन्नति के मार्ग पर निरन्तर आगे बढ़ने का आह्वान है। शांति संबंधी भारतीय अवधारणा सहअस्तित्व के वातावरण की अपेक्षा करती है। स्वस्थ सह अस्तित्व की अवस्था के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान करती है, ताकि विशाल स्तर पर जनकल्याण सुनिश्चित हो सके। भारतीय परिप्रेक्ष्य में शान्ति की विशाल अवधारणा को, सर्वसौहार्द की व्यक्तिगत से सार्वभौमिक स्तर तक की कामना से, जो वैदिक शांति मंत्र से भली-भाँति प्रकट होती है।
स्पष्टतः समझा जा सकता है। सर्वोच्च शक्तिमान परमात्मा से इस शान्ति प्रकरण के माध्यम से सुप्रसिद्ध वैदिक मंत्र द्वारा जो कामना इस संबंध में की गई है, वह अद्वितीय है। मंत्र के अनुसार-
“ॐ द्यौ शान्तिरन्तरिक्षः शान्तिः पृथिवी
शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः
शान्तिर्ब्रह्मा शान्तिः सर्वं शान्तिः
शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॐ”
अर्थात् “हे परमेश्वर ! त्रिभुवन में शान्ति कीजिए। जल, थल एवं गगन में, अन्तरिक्ष में, अग्नि एवं पवन (वायु) में, औषधि वनस्पति, वन उपवन में, सकल (समस्त) विश्व में, जड़ एवं चेतन में, शान्ति कीजिए परमात्मा शांति कीजिए राष्ट्र निर्माण एवं सृजन में, नगर-ग्राम एवं भवन में, प्राणि मात्र के तन और मन में, जगत के कण-कण में शान्ति कीजिए। ॐ शांति, शान्ति, शांति ॐ ।”
इस प्रकार से भारतीय दृष्टिकोण से विश्व शान्ति सम्बंधी अत्यन्त विशाल सहृदयता प्रतीत होती है। अतः वैश्विक स्तर पर भारत की सोच शान्ति क्षेत्र में अत्यन्त नमनीय रही है। आज इसी दृष्टिकोण के वृहंदू पैमाने पर माँग है, जिससे वैश्विक समरसता कायम हो सके।
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