शिक्षण कार्य के लिए रेडियो का महत्त्व
शिक्षण कार्य के लिए रेडियो का महत्त्व- शिक्षण कार्य में रेडियो जैसी श्रवण सामग्री का बहुत महत्त्व है। विशेषकर पत्राचार कार्यक्रमों के लिए रेडियो वरदान साबित हुआ है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि रेडियो का आम आदमी के जीवन से बहुत गहरा सम्बन्ध स्थापित हो चुका है। रेडियो के कारण हर क्षेत्र में क्रान्ति आई है। इसी कारण शिक्षा का क्षेत्र भी रेडियो के प्रभाव में आकर क्रान्ति लाया है। रेडियो का जन्म या आविष्कार 1885 में हुआ था। धीरे-धीरे उसका इतना विकास हो चुका है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं रहा है। रेडियो छात्रों को नवीनतम सूचनाएँ देता है। रेडियो पर शिक्षाशास्त्रियों, विद्वानों तथा अन्य लोगों के भाषण प्रसारित किए जाते हैं जिसका लाभ सभी लोग उठाते हैं।
शैक्षिक पाठों का स्वरूप-
शैक्षिक पाठों के प्रसारण की तिथियाँ बहुत पहले प्रसारित कर दी जाती हैं। इसलिए विद्यालयों के प्रधानाध्यापक तथा विषय से सम्बन्धित शिक्षक उन तिथियों को नोट कर लेते हैं। शैक्षिक पाठ्य विषय से सम्बन्धित होते हैं। शैक्षिक विशेषज्ञ उन पाठों का संयोजन समग्र रूप से करते हैं। उसके पश्चात् उनको प्रसारित करने का समय व तिथि निर्धारित कर ली जाती है। उस तिथि को ही शैक्षिक प्रसारण का कार्य चलता है। यह कार्य रचित उत्तरयुक्त मशीन के सामने होता है। यह विद्युत द्वारा संचालित की जाती है।
रेडियो से प्रसारण दो प्रकार के होते हैं
(i) साधारण प्रसारण (Ordinary Broadcast)- इस प्रसारण के अन्तर्गत साधारण घटनाओं तथा स्थितियों की सामान्य जानकारी दी जाती है।
(ii) शैक्षिक प्रसारण (Educational Broadcast)- शिक्षण अधिगम परिस्थितियों में रेडियो का प्रयोग करना विशेष योग्यता (Learning) का परिचय देता है। शिक्षण अधिगम की परिस्थितियों में शैक्षिक प्रसारण ही सम्मिलित किए जाते हैं। इसके साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह होती है कि विद्यार्थियों को रेडियो पाठ के लिए तैयार किया जाता है।
प्रसारण – कक्षा में शिक्षक पहले से ही विद्यार्थियों को रेडियो द्वारा शिक्षा देने के लिए तैयार कर लेते हैं। इसके लिए निम्नलिखित कार्यक्रम बनाये जाते हैं
(1) जिस विषय से सम्बन्धित पाठ रेडियो द्वारा विद्यार्थियों को सुनाना होता है, उसी विषय के कक्ष में विद्यार्थियों को ले जाया जाता है। उदाहरण के लिए रेडियो से भूगोल का पाठ सुनाना है, तो उसी की व्यवस्था की जाती है। अन्य विषयों के लिए भी इसी प्रणाली से काम किया जाता है।
(2) विद्यार्थियों को रेडियो-पाठ सुनने के लिए मानसिक रूप तैयार किया जाता है।
(3) रेडियो-पाठ को समझने के लिए सहायक सामग्री पहले से तैयार कर ली जाती
(4) विद्यार्थियों को रेडियो से पाठ के प्रसारण के समय उचित मुद्रा में बिठा दिया जाता है।
(5) रेडियो के शैक्षिक-पाठों के बारे में उपलब्ध साहित्य के अध्ययन से सूचनाओं के आधार पर पाठ-प्रसारण की योजना ध्यानपूर्वक बनानी चाहिए। इनसे छात्रों के सामने समस्याएँ उपस्थित नहीं होती हैं।
(6) रेडियो प्रसारणों को ध्यानपूर्वक सुनने के लिए शिक्षकों को विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करना भी आवश्यक है।
(7) रेडियो प्रसारण को सुनने के लिए पर्यावरणीय परिस्थितियों पर भी ध्यान रखा जाता है। उदाहरण के लिए, रेडियो सैंट, बैठने का स्थान, प्रकाश की व्यवस्था, वायु की उचित व्यवस्था आदि की ओर पूर्ण ध्यान देना आवश्यक माना जाता है।
(8) रेडियो प्रसारण के पश्चात् अनुवर्ती कार्य (Follow up) भी किया जाता है। रेडियों में सुने गए विषय-पाठ पर वाद-विवाद भी होता है। विद्यार्थियों को अपने संदेह दूर करने के अवसर भी मिलते हैं। दूर
रेडियो द्वारा शिक्षा सम्बन्धी पाठों की समाप्ति के पश्चात यह ज्ञात किया जाता है कि किस सीमा तक विद्यार्थियों ने पाठ के उद्देश्यों को ग्रहण किया है। मूल्यांकन के पश्चात् यदि शिक्षक कोई कमी अनुभव करते हैं, तो वे छात्रों को बताते हैं कि यह कमी किस कारण से हुई है। यदि कोई स्थानीय त्रुटि होती है, तो उसमें सुधार लाने के लिए शिक्षक प्रधानाध्यापक के परामर्श से उसे दूर करते हैं। शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाने तथा रेडियो शिक्षा को सफल बनाने के लिए मूल्यांकन आवश्यक है।
रेडियो एवं रेडियो शिक्षा से लाभ (Advantages from Radio and Radio Education ) –
इसके लाभ निम्नलिखित हैं-
(1) रेडियो प्रसारण कक्षा में शिक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों की प्राप्ति में शिक्षक को बहुत सहायता प्रदान करते हैं।
(2) दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ शैक्षिक सुविधाएँ बहुत कम हैं, वहाँ रेडियो प्रसारण का अत्यधिक महत्त्व है।
(3) रेडियो शिक्षा द्वारा एक ओर शैक्षिक उद्देश्य पूर्ण होते हैं, तो दूसरी ओर मनोरंजन भी होता है।
(4) रेडियो शिक्षा अधिक व्यय साध्य नहीं हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति इससे लाभ उठा. सकता है।
(5) रेडियो द्वारा विख्यात व्यक्ति, शिक्षाशास्त्री तथा कलाकारों के विचारों, भाषाओं तथा उनकी
कलाकृति को सुनने के अवसर प्राप्त होते हैं। वैसे बिना आकाशवाणी के यह सब कुछ सम्भव नहीं है।
(6) जनसंख्या की वृद्धि के संदर्भ में भी रेडियो का शिक्षण के क्षेत्र में प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
(7) रेडियो शिक्षा के द्वारा अच्छी पाठ्य पुस्तकों तथा योग्य शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सकता है।
(8) रेडियो पाठों की शिक्षा से अध्यापक स्वयं भी ज्ञान प्राप्त करते हैं। अनेक नवीन तथ्यों, प्रत्ययों तथा सिद्धान्तों की जानकारी शिक्षकों को हो जाती है।
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