ई- समाचार-पत्र या इलेक्ट्रॉनिक जरनल – Electronic Journal in Hindi
ई- समाचार-पत्र या इलेक्ट्रॉनिक जरनल (Electronic Journal) – इलेक्ट्रॉनिक जनरल एक तरह के स्कॉलर जरनल या बौद्धिक मैगजीन होते हैं। इनको ई-जरनल के नाम से भी जाना जाता है। ये इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेण्ट में विशिष्ट रूप में होते हैं। ये वेब पर प्रकाशित हो चुके होते हैं। इनकी पहुँच इलेक्ट्रॉनिक ट्रान्समीशन तक हो सकती है। इनका उद्देश्य शैक्षिक शोध कार्यों हेतु सामग्री प्रदान करना है और अनुसंधान कार्यों में अध्ययन के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है। यह जरनल भी परम्परागत छपे हुए जरनल की ही भाँति होते हैं। यह केवल इलेक्ट्रॉनिक फार्म में होते हैं। इसकी सामग्री कभी-कभी मेटाडाटा Metadata) को धारण करती है जो विशिष्ट डाटाबेस में प्रवेश करती है जैसे- DOAJ और OACI और इसी प्रकार शैक्षिक शोध का सम्बन्ध डाटाबेस एवं सर्च इंजन से बना रहता है। कुछ ई-जनरल केवल ऑनलाइन जरनल होते हैं। कुछ छपे हुए जरनल का ऑनलाइन अनुवाद हो चुका होता है और कुछ छपे जरनल ऑनलाइन जरनल की भी भाँति बने रहते हैं। परन्तु इनकी विषय-वस्तु अतिरिक्त रूप से ऑनलाइन के लिए ही होती है। अधिकतर व्यावसायिक जरनल चन्दा आधारित होते हैं या प्रत्येक दृश्य की पहुँच के लिए भुगतान देने पर ही उनके प्रयोग की अनुमति देते हैं। कई विश्वविद्यालय ऐसवे हैं जो ई-जरनल पैकेज का अंशदान करते हैं और अपने संकाय के शिक्षकों एवं छात्रों तक इन जरनल की पहुँच सुनिश्चित करते हैं। वास्तविक प्रकाशक को सालाना अंशदान देकर किसी व्यक्ति के लिए इन जरनल का उपयोग करना सम्भव हो सकता है।
ऑनलाइन पर जनरल तक इण्टरनेट के माध्यम से खुली पहुँच द्वारा आज जरनलों की उपलब्धता और संख्या बढ़ रही है। खुली पहुँच होने पर अंशदान की आवश्यकता नहीं होती है। इन सामग्रियों को निःशुल्क ऑनलाइन होकर देखा जा सकता है। कुछ औद्योगिक जरनल निःशुल्क सामग्री हेतु रास्ते खोजते हैं। वे प्रारम्भिक अवस्था में जनरल के प्रयोग के निःशुल्क ऑफर निकलते हैं और बाद में धीरे-धीरे धन लेने लगते हैं। कुछ ऑफर ऐसे भी होते हैं जिसमें विषय-वस्तु की सामग्री के पहले कुछ पेज निःशुल्क होते हैं और बाद में पेजों पर धन लेते हैं। अधिकांशतः ई-जरनल एच.टी.एम.एल. (HTML) में प्रकाशित होते हैं और इनका फार्मेट डी.पी.एफ. (DPF) होता है। कुछ जरनल एक अथवा दो फार्मेट में भी उपलब्ध होते हैं। छोटे प्रकाशक जरनल को DOC पर प्रकाशित करते हैं और कुछ प्रकाशक एम.पी.3 (MP3) श्रव्य सामग्री के आधार पर ई-जरनल को प्रकाशित करते हैं। कुछ जरनल ऐसे भी होते हैं जो पहले ASCII पर प्रकाशित हो चुके होते हैं जबकि कुछ अनौपचारिक रूप से एक ही फार्मेट पर प्रकाशित होते हैं। इस प्रकार ई-जरनल विभिन्न प्रकाशक अपनी इच्छानुसार प्रकाशित करते हैं।
ई- समाचार पत्र की विशेषताएँ
इस विधि में सर्वप्रथम ई-मैगजीन की सूची प्राप्त होती है। इस तरह से सूची उपयोगकर्त्ता अपने इलेक्ट्रॉनिक बुक में सूचीबद्ध कर लेता है।
(2) सभी प्रकार के समाचार, आने वाले पत्र, कहानी, लेख, राजनीतिक लेख आदि विशेष डाक से या ई-मेल से एक स्थान पर एकत्रित होते हैं।
(3) सभी प्रकार के समाचारों को कम्प्यूटर में आलेखित कर लिया जाता है। उसके पश्चात् दिनोंदिन पत्रिका की रूपरेखा को मुद्रित कर लिया जाता है। यह सम्पादकीय सुधार करने के लिए प्रारूप विकल्प (Draft option) लेख फाइल करने के लिए, लेख फाइल को यहाँ तक कि चित्र फाइल (bmp/tga) या ऑडियो-वीडियो फाइल सॉफ्टवेयर में अटैच कर दिया जाता है। फिर वह संलग्नक के रूप में जुड़कर संक्षिप्त लेख में आ जाती है।
(4) ई-मेल के माध्यम से पत्रिकाएँ तथा समाचार-पत्र शीघ्र ही मुद्रित होकर जनता के पास पहुँच जाते हैं। इस दृष्टि से समाचार पत्रों को तैयार करने में ई-मेल की बहुत बड़ी भूमिका
(5) समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं के अग्र सेवा (Forward service) कम्प्यूटर, इण्टरनेट तथा अन्य इलेक्ट्रानिक संसाधन की व्यवस्था के लिए काफी धन व्यय होता है। यह व्यय एक प्रकार से विज्ञापनदाताओं से प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं को तैयार करने में ई-शिक्षा प्रणाली का अधिक उपयोग किया जाता है। इण्टरनेट तकनीकी से पठन-सामग्री संचारित की जाती है जिससे लोगों को घर बैठे समाचार मिल जाते हैं।
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