संचार भाषा के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
संचार भाषा- मानवीय सभ्यता के विकास का प्रमुख आधार सम्प्रेषणेयता जन्म लेते हो शिशु अपने सर्वाधिक निकट पारिवारिक सदस्य अपने माता-पिता के साथ भावनाओं का सम्प्रेषण प्रारम्भ कर देता है। यह बात दूसरी है कि भाषा-अर्जन के अथवा में वह यह सम्प्रेषण विभिन्न भाव-भंगिमाओं जैसे-रोकर, हँसकर, हाथ-पैर हिलाकर करता हैं।
इस प्रकार मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक आत्मानुभूतियों की अभिव्यक्ति उनके पारस्परिक आदान-प्रदान के लिए सम्प्रेषण का सहारा लेता है इस सम्प्रेषण को साकार करती है भाषा। भावों का संचार ये सम्प्रेषण मुख्यतः भाषिक और भाषिकेतर दो रूपों में होता है। भाषिक रूप मुख्यतः लिखित और उच्चरित दो रूपों में होता है। लिखित रूप लिपिबद्ध होने से स्थान और समय की दूरी पार कर लेता है। वर्तमान युग को कम्प्यूटर या संचार का युग माना गया। संचार माध्यम से आज हम एक स्थान पर बैठे हुए विश्व के कोने-कोने की जानकारी पा लेते हैं। हिन्दी भारत के अधिकांश लोगों द्वारा समझी और प्रयोग की जाने वाली भाषा है। इसका प्रयोग भारतवर्ष से बाहर गयाना, सूरीनाम, फिजी, ट्रिनीडाड, टुबैगों कनाडा और अमेरिका आदि देशों में होता है। विभिन्न संचार माध्यमों में हिन्दी अभिव्यक्ति का साधन है। इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों का आधार पाकर हिन्दी दिक्-काल की सीमा पारकर वैश्विक धारातल को अपना चुकी है। संचार माध्यमों आकाशवाणी, दूरदर्शन, दूरसंचार और कम्प्यूटर में हिन्दी के बढ़ते प्रयोग और प्रयुक्तियों को देख सकते हैं। हिन्दी भाषा ने इस चुनौती को स्वीकार किया तथा संचार अहुआयामी स्वरूप के अनुरूप ही भूमिका निर्धारित करने में सफलता प्राप्त की।
संचार के बहुआयामी स्वरूप के अन्तर्गत समाचार-पत्र, आकाशवाणी, दूरदर्शन, विज्ञापन कम्प्यूटर, इंटरनेट, बेवसाइट, ई-मेल, ई-कामर्स आदि महत्वपूर्ण माध्यम आते हैं।
समाचारपत्र प्रात: उठते ही उसे और कुछ जिले या न मिले, समाचार पत्र अवश्य मिलना, चाहिए आस-पास ही नहीं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में घटने वाली घटनाओं से मनुष्य समाचार पत्र के माध्यम से ही सर्वाधिक जुड़ता है आज सर्वाधिक पाठक संख्या हिन्दी भाषा के समाचार पत्रों की ही है। हिन्दी का दैनिक जागरण, पाठक संख्या के आधार पर, भारत का शीर्षस्थ समाचार पत्र बन गया है। इस प्रकार हिन्दी संचार भाषा की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का सफलता से निर्वाह कर रही है।
आधुनिक युग उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का युग है। उदारीकरण की तीव्र गति ने इस संस्कृति को नया आयाम दिया है। बाजार तेजी से फैल रहा है देशकाल की सीमा सिमट रही है। उपभोक्ताओं का नया वर्ग तैयार हो रहा है। हर कम्पनी इनको अपने उत्पादन की ओर आकर्षिक करने में व्यस्त है।
दूरदर्शन कार्यक्रम के अन्त में अभिवादन, नमस्कार ऐसे शब्दों का प्रयोग करना विशेष प्रभाव छोड़ता है।
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