“प्रयोजनमूलक भाषा ही राजभाषा होती है।” इस दृष्टि से हिन्दी के संवैधानिक स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
हिन्दी का प्रयोग क्षेत्र निस्तृत है। जनता के साथ पत्र व्यवहार से लेकर टिप्पणी, प्रतिवेदन, सरकारी ज्ञापन और अधिनियम, विभिन्न देशों की संधियों एवं पत्राचार, राजनयिकों के अभिलेख वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावलियाँ, राजपत्र आदि सभी क्षेत्रों में हिन्दी का प्रयोग हो रहा है।
प्राचीन भाषा शक्तियों ने हिन्दी को प्रयोजन मूलक बनाने के लिए उसके व्याकरण और शब्दकोष को समृद्ध करने का प्रयास किया था। साथ ही विभिन्न भाषाओं के शब्दों के साथ संस्कृत भाषा को आधार बनाया था। किन्तु वर्तमान समय में लोकभाषा को तथा भाषाओं के शब्दों और रचना पद्धतियों को भी प्रमुखता दी जाने लगी है। प्रयोजनमूलक हिन्दी का नवीन रूप दिन प्रतिदिन वृद्धि को प्राप्त हो रहा है। पारिमाणिक शब्दावली तथा व्यावहारिक शब्दावली की निरन्तर समृद्धि हो रही है। भाषा के प्रयोजन के दो आधार होते हैं। वैयक्तिक प्रयोजन और सामाजिक प्रयोजन। वैयक्तित प्रयोजन- में भाषा के द्वारा व्यक्ति अपने मन की बात दूसरे से कहता है, वह अपने मन की क्षुब्धता, आकुलता, रोष, शोक तथा पीड़ा को भाषा द्वारा कहकर अपने दु:ख के भार को हल्का करता है। अपनी विवशता और पीड़ा को व्यक्त कर, प्रेम, करुणा और सहानुभूति प्राप्त कर लेता है। हिन्दी भाषी व्यक्ति लेखक के रूप में कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक आदि ललित कलाओं की सृष्टि करता है इसीलिए प्रयोजन मूलक हिन्दी का प्रयोग क्षेत्र व्यापकता को प्राप्त हो गया है। मानवता के प्रचार प्रसार में हिन्दी के ग्रन्थ सहायक सिद्ध हुए हैं। वह सन्तों की भाषा बन चुकी है अतः प्रयोजन मूलक भाषा ही राजभाषा होती है।
हिन्दी का संवैधानिक स्वरूप-
भारतीय संविधान- राजभाषा- संघ की भाषा (संघ की राजभाषा) धारा 343 (1) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देव नागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोजनों के लिए होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा।
किसी बात के होते हुए भी इसे संविधाना के आरम्भ से पन्द्रह वर्ष की कालावधि के लिए संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रयोग की जाती रहेगी जिनके लिए ऐसे प्रारम्भ के पहले वह प्रयोग की जाती थी। परन्तु राष्ट्रपति उक्त कालाविधि में आदेश द्वारा संघ के राजकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिन्दी भाषा का तथा भारतीय अंकों के अन्तर्राष्ट्रीय रूप के साथ-साथ देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
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