शैक्षिक समानता के अवसरों को बढ़ाने हेतु उपाय (Measures to promote Equality of Educational Opportunity)
भारत में शैक्षिक समानता के अवसरों को बढ़ाने हेतु निम्नलिखित उपाय हैं, जो इस प्रकार से हैं –
शिक्षा आयोग के अनुसार-“जीवन के अन्य सभी आदर्शों की भाँति शिक्षा के अवसरों की भी पूरी समता कायम करना सम्भवतः असहय ही है पर ऐसे आम मामलों में असली प्रश्न पूर्ण लक्ष्य की सिद्धि का नहीं होता, ज्वलन आस्था तथा हार्दिक प्रयासों का होता है। किसी भी अच्छी शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण विषमताएँ पैदा करने वाले कारणों को पहचानने का और उन्हें या तो पूरी तरह दूर या कम-से-कम न्यूनतम कर देने के लिए उचित कदम उठाने का प्रयास निरन्तर होता रहना चाहिए।”
इस विसंगतियों निदान के लिए शिक्षा आयोग ने निम्न उपाय बताए हैं –
(1) प्राथमिक शिक्षा सभी विद्यालयों में नि:शुल्क दी जाये।
(2) माध्यमिक शिक्षा को यथाशीघ्र निःशुल्क बनाने का प्रयास किया जाये। इसके लिए एक अवस्थाबद्ध कार्यक्रम बनाया जाये।
(3) आगामी दस वर्षों में उच्चतर माध्यमिक तथा विश्वविद्यालय शिक्षा में फीसों के सम्बन्ध में प्रयास किया जाना चाहिए कि सभी जरूरतमन्द योग्य छात्रों को निःशुल्क शिक्षा दी जाए।
(4) माध्यमिक विद्यालयों व उच्च शिक्षा की संस्थाओं में पुस्तक बैंकों का कार्यक्रम विकसित किया जाए।
(5) प्रतिभाशाली छात्रों को पुस्तकें खरीदने के लिए अनुदान दिये जायें।
(6) आयोग द्वारा छात्रवृत्तियाँ देने सम्बन्धी निम्न कार्यक्रम भी लागू किये गये
(a) राज्य स्तर पर विभिन्न जिलों में शिक्षा के विकास के समाजीकरण की नीति जान-बूझकर अपनायी जाये।
(b) राष्ट्रीय स्तर पर यह भारत सरकार की जिम्मेदारी समझी जाये कि वह विभिन्न राज्यों में शिक्षा के विकास का समाजीकरण करे।
इसके लिए आवश्यक कार्यक्रम जिनमें कम उन्नत राज्यों को विशेष सहायता देना शामिल है। विकसित किये जायें।
(c) प्राथमिक स्तर पर इसके लिए कदम उठाए जाए कि अवसर प्राथमिक स्तर की समाप्ति पर किसी भी होनहार बच्चों को आगे पढ़ायी जारी रखने से रुकना न पड़े और इस उद्देश्य से हर जरूरतमन्द बच्चे को पर्याप्त राशि की छात्रवृत्ति दी जानी चाहिए। सन् 2001 ई. तक समस्त नामांकनों के 5 प्रतिशत बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का लक्ष्य बनाया जाना चाहिए।
(7) लड़कियों व स्त्रियों के बारे में निम्नांकित बातों पर ध्यान दिया जाये –
(a) स्त्रियों की शिक्षा को अगले कुछ वर्षों के लिए शिक्षा का एक बड़ा कार्यक्रम माना जाये और उनमें आने वाली कठिनाइयों का सामना करने तथा पुरुषों व नारियों की शिक्षा के मौजूदा अन्तर को कम करने के लिए साहसपूर्ण प्रयास किये जाये।
(b) इसके अलावा सभी स्तरों पर और सभी क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा की ओर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
(8) अनुसूचित जातियों की शिक्षा का मौजूद कार्यक्रम जारी रहना चाहिए और उसका विकास भी किया जाना चाहिए।
(9) अनुसूचित जातियों के बच्चों में निम्न कार्यक्रमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए
(a) विरल आबादी वाले क्षेत्रों में से आश्रम-स्कूलों की स्थापना की जानी चाहिए।
(b) उच्चतर शिक्षा में छात्रवृत्तियों का काफी विस्तार किया जाना चाहिए।
(c) उच्चतर शिक्षा में छात्रवृत्तियों के कार्यक्रम का विकेन्द्रीकरण किया जाना चाहिए।
(d) माध्यमिक स्तर विद्यालयों, छात्रावासीय सुविधाओं तथा छात्रवृत्तियों का काफी विस्तार किया जाना चाहिए।
(e) उच्चतर शिक्षा में छात्रवृत्तियों के कार्यक्रम का विकेन्द्रीकरण किया जाना चाहिए।
- भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताएँ | Disparities of Educational Opportunities in India in Hindi
- शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ Meaning of Equality of Educational Opportunity in Hindi
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