शिक्षण संस्थाओं में समानता से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए
भारत के संविधान सभा में अल्पसंख्यकों के विषय में 1 मई, सन् 1947 ई. के दिन सरदार पटेल ने वाक्य खण्ड-18 प्रस्तुत किया जिसका विश्लेषण निम्न है –
शिक्षण संस्थाओं में समानता (Equality in Educational Institutions)
(1) हर इकाई के अल्पसंख्यकों के विषय, भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा की जायेगी और ऐसे कानून या व्यवस्था का निर्माण नहीं किया जायेगा, जिनसे इन बातों पर विरोधी असर पड़े।
(2) कोई भी अल्पसंख्यक चाहे वे धार्मिकता के आधार पर हो या सम्प्रदाय व भाषा की दृष्टि से राष्ट्र की रक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने से वंचित नहीं रहेगा, न उन पर कोई धार्मिक शिक्षा अनिवार्य रूप से लागू की जायेगी।
(3) (अ) सभी अल्पसंख्यक चाहे उनका आधार धर्म-सम्प्रदाय हो या भाषा किसी भी इकाई में अपनी पसन्द की शिक्षा संस्था स्थापित करने को स्वतन्त्र होंगे।
(ब) राज्य शिक्षा संस्थाओं को सहायता देते समय अल्पसंख्यकों की, धर्म-सम्प्रदाय या भाषा पर आधारित शिक्षा संस्थाओं के प्रति भेदभाव नहीं रखेगा।
महावीर त्यागी व मोहन सक्सेना दोनों प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया इस पर भीमराव अम्बेडकर ने सिफारिश की कि इस वाक्य खण्ड-18 को पारित करने में पाकिस्तान बनने या न बनने के निर्णय की प्रतिरक्षा न की जाए। अधिक-से-अधिक, उपखण्ड 18(2) को छोड़कर शेष पूरा वाक्य खण्ड अपने वर्तमान स्वरूप में स्वीकार किया जाए। इस प्रकार केवल उपखण्ड 18(2) एडवायजरी कमेटी के पास संशोधन के लिए भेजा गया और समय हो जाने के कारण 1 मई, सन् 1947 ई. की बैठक समाप्त हुई।
धारा 29 (2)– “राज्य द्वारा संचालित व सहायता प्राप्त किसी भी शैक्षणिक संस्था में धर्म, प्रजाति, जाति, भाषा के आधारों पर अथवा इनमें से किसी एक आधार पर किसी नागरिक को प्रवेश करने से इंकार कर दिया जायेगा।”
धारा 30 (i) “सभी अल्पसंख्यकों का चाहे उनका आधार धर्म हो या भाषा अपनी पसन्द की शिक्षा संस्था स्थापित करने का अधिकार होगा।”
(ii) राज्य शिक्षा संस्थाओं को सहायता देते समय इस आधार पर भेद-भाव नहीं रखेगा कि वह किसी अल्पसंख्यक की संस्था है चाहे उसका आधार धर्म हो अथवा भाषा हो।
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