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लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा | Concept of Gender Sensitization

लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा
लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा

लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा
Concept of Gender Sensitization

लिंग संवेदनशीलता (Gender Sensitization) का आशय सामान्य रूप से स्त्री-पुरुष के मध्य एक ऐसे वातावरण को तैयार करना होता है जिसमें प्रत्येक के अधिकार सुरक्षित रह सकें, जैसे-एक बालक के माता-पिता अपने परिवार में यह सिखाते हैं कि बालिकाओं के प्रति हमको अपनी बहन के समान व्यवहार करना चाहिये तथा बालिकाओं को यह बताया जाता है कि बालकों के साथ उनको अपने भाई के समान व्यवहार करना चाहिये । इस प्रकार लिंग संवेदनशीलता के अन्तर्गत अभिभावकों एवं शिक्षकों से यह अपेक्षा की जाती है कि समाज में बालक एवं बालिकाओं द्वारा विविध प्रकार की गतिविधियों से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं तो उनका सकारात्मक उत्तर बालक एवं बालिकाओं को मिलना चाहिये। लिंग संवेदनशीलता में दोनों ही पक्षों के व्यवहार को समाजोपयोगी एवं सकारात्मक बनाना होता है जिसमें एक बालक एवं बालिका या स्त्री एवं पुरुषको मानसिक आघात, असमानता एवं सामाजिक अन्याय का अनुभव न हो तथा उसे अपने विकास में किसी विपरीत लिंग के व्यक्ति द्वारा बाधा का अनुभव न हो। इस प्रकार लिंग संवेदनशीलता की प्रक्रिया दोनों पक्षों पर समान रूप से लागू होती है। लिंग संवेदनशीलता को परिभाषित करते हुए विद्वानों द्वारा निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये गये हैं-

(1) प्रो. एस.के. दुबे के शब्दों में, “लिंग संवेदनशीलता व्यवहार एवं गतिविधियों के परिमार्जन की वह प्रक्रिया है जो कि समान रूप से स्त्री एवं पुरुष पर क्रियान्वित होती है। इसमें सामाजिक न्याय, विकास के अवसरों की समानता, सामाजिक प्रतिष्ठा, सुरक्षा एवं सद्भाव से प्रेरित कार्य एवं व्यवहार को विकसित किया जाता है जिससे स्त्री-पुरुष एवं समाज का चहुंमुखी विकास सम्भव हो सके।”

(2) डॉ. अनीता बरौलिया के शब्दों में, “लिंग संवेदनशीलता सामाजिक एवं व्यावहारिक गतिविधियों के परिमार्जन की एक व्यापक प्रक्रिया है जो एक ओर लैंगिक असमानता एवं असुरक्षा को दूर करती है तो दूसरी ओर समाज एवं प्रत्येक स्त्री-पुरुष के चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करती है जिसको वर्तमान समाज में अनिवार्य आवश्यकता है।” उपरोक्त विद्वानों के विचार इस तथ्य को स्पष्ट करते हैं कि लिंग संवेदनशीलता वर्तमान समय में परमावश्यक है। समाज में अनेक प्रकार की विसंगतियाँ एवं आपराधिक घटनाएँ लिंग संवेदनशीलता के अभाव में ही होती हैं जबकि लिंग संवेदनशीलता स्त्री एवं पुरुष के व्यवहार को आदर्श रूप प्रदान करती है।

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