संवैधानिक विधि/constitutional law

संविधान निर्माण की प्रक्रिया | The procedure of the construction of constitution

संविधान निर्माण की प्रक्रिया

संविधान निर्माण की प्रक्रिया

संविधान निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

संविधान निर्माण की प्रक्रिया-

संविधान निर्माण का कार्य कैंबिनेट मिशन योजना के तहत गठित सविधान सभा द्वारा किया गया। इस सभा द्वारा संविधान निर्माण का प्रारम्भ जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किये गये उद्देश्य प्रस्ताव के साथ 13 दिसम्बर 1946 को शुरु हुई।

नेहरूंजी के इस उद्देश्य प्रस्ताव में प्रमुख बातें निम्न थी-

(1) संविधान सभा यह घोषणा करती है कि इसका उद्देश्य और संकल्प भारत में लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाना है, जिसके भावी शासन के लिए संविधान का निर्माण करना है।

(2) ब्रिटिश भारत के सभी क्षेत्रों और देशी रियासतों तथा ब्रिटिश भारत एवं देशी रियासों के बाहर के सभी क्षेत्रों जो स्वतन्त्र तथा प्रभुत्ता सम्पन्न तथा भारत में मिलना चाहते हैं, को मिलाकर भारत संघ का गठन किया जाएगा।

(3) भारतीय संघ, उसकी इकाइयों तथा सरकार एवं सरकार के अंगों की स्वतन्त्रता तथा प्रभुता सम्पन्नता का समस्त स्रोत भारत की जनता है।

(4) भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, प्रतिष्ठा, विधि के समक्ष समता, अवसरों की समानता, न्याय तथा सार्वजनिक सदाचार की सीमा में विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, धर्म, उपासना, विश्वास और कार्य की स्वतंत्रता होगी।

उद्देश्य प्रस्ताव के व्यापक विचार- विमर्श के बाद 22दिसम्बर, 1946 को पारित कर दिया गया। उद्देश्य प्रस्ताव को पारित किए जाने के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण की कार्यवाही को प्रारम्भ किया। चूँकि संविधान निर्माण एक जटिल कार्य है और इसे अकेले संविधान सभा में बहस करके नहीं बनाया जा सकता इसलिए इस कार्य को करने के लिए संविधान सभा ने कई समितियों की स्थापना की जिन्हें दो भागों में बाँटा गया था-

(1) प्रक्रिया सम्बन्धी समितियाँ- इनमें प्रमुख थीं-प्रकिया नियम समिति, वित्त तथा कार्मिक समिति, अधिकार समिति, सभा समिति, गैलरी समिति, परिचालन समिति, कार्यवाही आदेश समिति, हिन्दी अनुवाद समिति, उर्दू अनुवाद समिति, भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम प्रभाव समीक्षा समिति।

(2) विषय सम्बन्धी समिति- रियासत समझौता वार्ता समिति, मूल अधिकार समिति, अल्पसंख्यक समिति, संघ की शक्ति से सम्बन्धित समिति, संघीय संविधान से सम्बन्धित समिति, प्रान्तीय संविधान से सम्बन्धित समिति, प्रारूप समिति, वित्तीय प्रावधान विशेषज्ञ समिति, राष्ट्रीय ध्वज अस्थायी समिति, उच्चतम न्यायालय अस्थायी समिति, भाषायी प्रान्तों से सम्बन्धित समिति, परामर्श समिति, आदि।

संविधान सभा की परामर्श समिति ने 17 मार्च, 1947 को प्राचीन विधानमण्डलों तथा केन्द्रीय विधानमण्डल के सदस्यों को प्रस्तावित संविधान की मुख्य विशेषताओं के सम्बन्ध में उनके विचारों को जानने के लिए एक प्रश्नावली भेजी और संविधान सभा के सदस्यों को विश्व के विभिन्न संविधानों के पूर्व दृष्टान्तों को प्रदान किया गया। प्रान्तीय विधानमण्डलों तथा केन्द्रीय विधानमण्डल के सदस्यों द्वारा प्रश्नावली में शामिल प्रश्नों को भेजे गए उत्तर के आधार पर परामर्श समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसके आधार पर संविधान का निर्माण किया गया।

परामर्श समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करने के लिए 29 अगस्त 1947 ई0 को संविधान सभा के एक संकल्प द्वारा प्रारूप समिति का गठन किया गया। इसका अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया। प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार करने के बाद 21 फरवरी, 1948 को अपनी रिपोर्ट संविधान सभा को सौंप दी। संविधान सभा में संविधान का प्रथम बाचन 4 नवम्बर, 1948 को प्रारम्भ हुआ जो 9 नवम्बर, 1948 तक चला। इसका वाचन 17 नवम्बर से 17 अक्टूबर, 1948 तक चला। इस दौरान संविधान के प्रत्येक खण्ड पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा 7635 संशोधन पेश किए गए एवं 2437 को ज्यों का त्यों स्वीकार किया गया। तीसरा वाचन 14 नवम्बर से 26 नवम्बर 1949 तक चला। इस प्रकार संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल दो वर्ष 11 माह तथा 18 दिन लगे। संविधान सभा के सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए और इसी दिन संविधान सभा के सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किएँ और इसी दिन संविधान सभा को विघटित करके अन्तरिम संसद के रूप में परिवर्तित कर दिया।

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