अनुसंधान अभिकल्प क्या है ?
अनुसंधान अभिकल्प क्या है? इसकी प्रकृति का वर्णन कीजिए।
अनुसंधान अभिकल्प – अनुसंधान अभिकल्प एक ऐसी प्ररचना अथवा रूपरेखा है जो न केवल अध्ययन को व्यवस्थित बनाकर उसे सही मार्ग प्रदान करती है अपितु अध्ययन से सम्बन्धित विवादपूर्ण दशाओं पर नियंत्रण बनाये रखने में भी सहायक होती है। वास्तव में जिस प्रकार किसी विशाल भवन का निर्माण प्रारम्भ करने से पहले उसका एक व्यवस्थित प्रारूप तैयार कर लेना आवश्यक होता है, उसी प्रकार अनुसंधान कार्य को प्रारम्भ करने से पहले अनुसंधान प्रारूप का निर्धारण करना भी अत्यन्त आवश्यक है। अनुसंधान प्रारूप का निर्माण इस दृष्टि से भी उपयोगी है कि इनके माध्यम से किसी भी अनुसन्धान कार्य के विभिन्न आयामों तथा उसकी वास्तविक प्रकृति को सरलतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता है।
एकॉफ के अनुसार, “निर्णय क्रियान्वित करने की स्थिति आने से पूर्व ही निर्णय निर्धारित करने की प्रक्रिया को ही हम अभिकल्प अथवा प्ररचना कहते हैं।”
यी.वी. यंग के अनुसार, “एक अनुसंधान प्रारूप शोध का तार्किक तथा व्यवस्थित आयोजन एवं निदर्शन है।”
जहोवा के शब्दों में, “अनुसंधान प्ररचना आँकड़ों के संकलन तथा विश्लेषण की दशाओं की उस व्यवस्था को कहते हैं जिसका लक्ष्य अनुसंधान के उद्देश्य की प्रासंगिकता तथा कार्यविधि की मिलव्ययिता का समन्वय करना है।” शोध प्ररचना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका लक्ष्य सीमिल संसाधनों में समस्या से संबंधित तथ्यों अथवा सूचनाओं का वास्तविक संकलना करना तथा उन्हें एक रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत करने तक की संपूर्ण क्रियाओं का निर्धारण करना है।
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट होता है कि अनुसंधान अभिकल्प अध्ययन का केवल एक व्यवस्थित प्रारूप ही नहीं है अपितु यह अध्ययन से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों का तार्किक आधार पर भी प्रस्तुत करता है।
करलिंगर के शब्दों में, “शोध-प्रारूप अनुसंधान की एक योजना संरचना तथा नीति है जिसका उपयोग अनुसंधान से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने एवं विवाद पर नियंत्रण रखने के लिए किया जाता है।”
विमल शाह के अनुसार “शोध-प्रारूप किसी भी अध्ययन की एक योजना है। अतः इसका आयोजन प्रत्येक अध्ययन में किया जाता है, चाहे वह अध्ययन नियंत्रित हो या अनियंत्रित, भावना प्रधान हो या वस्तुनिष्ठ।”
अनुसन्धान अभिकल्प की प्रकृति
अनुसंधान- प्रारूप शोध कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही निर्मित एक ऐसी व्यवस्थित रूपरेखा है जो कुछ विशेष उद्देश्यो के सन्दर्भ में अध्ययन- विषय के विभिन्न पक्षों को स्पष्ट करती है। शोध-प्रारूप का निर्माण करते समय अध्ययनकर्ता केवल इसी तथ्य को ध्यान में नहीं रखता कि उसके अध्ययन की प्रकृति वर्णनात्मक है अथवा अन्वेषणात्मक, अपितु उसे यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि एक निर्धारित समय एवं सीमित साधनों के अन्तर्गत वह किन प्रविधियों का उपयोग करके अधिक से अधिक वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष प्राप्त कर सकता है। सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में शोध प्रारूप इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि सामाजिक जीवन की असीम व्यापकता में से उपयोगी, तार्किक एवं संगत तथ्य तब तक प्राप्त नहीं किये जा सकते जब तक अनुसंधानकर्ता एक निर्धारित क्षेत्र से सम्बन्धित रहते हुए कार्य न करे। इस तरह के अनुसंधान अभिकल्प केवल सामाजिक घटनाओं के अध्ययन से ही सम्बन्धित होता है, तो उसे हम सामाजिक अनुसंधान का प्रारूप अथवा अभिकल्प कहते हैं। अनुसंधान प्ररचना की विशेषताएँ
अनुसंधान प्ररचना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- इसका निर्माण अनुसंधान कार्य प्रारंभ करने से पूर्व होता है।
- अनुसंधान प्ररचना का प्रत्यक्ष संबंध अनुसंधान से है।
- अनुसंधान प्ररचना सामाजिक अनुसंधान की जटिल प्रकृति को सरल बनाती है।
- अनुसंधान प्ररचना अनुसंधानकर्ता का दिशा निर्देशन करती है।
- अनुसंधान प्ररचना अनुसंधान प्रक्रिया की परिस्थतियों को नियंत्रित करती है।
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