मानव शास्त्र की परिभाषा तथा इसकी प्रमुख शाखायें
मानवशास्त्र (Anthropology) का अर्थ एवं परिभाषा – मानवशास्त्र मानव विज्ञान अंग्रेजी के पर्यायवाची शब्द (Anthropology) का हिन्दी रूपान्तर है। यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘Anthropos’ तथा ‘Logos’ से मिलकर बना है। एन्थ्रोपोल का अर्थ है ‘मानव’ और ‘लोगोस’ का अर्थ है ‘शास्त्र’ या ‘विज्ञान’। इस प्रकार मानव शास्त्र का अर्थ मनुष्य से सम्बन्ध रखने वाला विज्ञान है।
प्रश्न- भारतीय मानव शास्त्र के जनक कौन थे ?
उत्तर- फ्रैंज ब्यास को मानव-शास्त्र के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्हें अमेरिकन मानव-शास्त्र के जनक के रूप में भी जाना जाता है।
मानव शास्त्र की प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-
(1) हरस्कोविट्स के अनुसार- “मानव शास्त्र मानव तथा उसके कार्यों का अध्ययन है।”
(2) मजूमदार एवं मदान के अनुसार– “मानव शास्त्र मानव के उद्भव एवं विकास का शारीरिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण से अध्ययन करता है।’
(3) हाबेल के अनुसार- “मानव शास्त्र मानव और उसके समस्त कार्यों का अध्ययन है। अपने सम्पूर्ण अर्थ में यह मानव की प्रजातियों एवं प्रथाओं का अध्ययन है।”
(4) जैकब्स तथा स्टर्न के अनुसार- “मानव शास्त्र मानव जाति के जन्म से लेकर वर्तमान काल तक के शारीरिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास तथा व्यवहारों का वैज्ञानिक अध्ययन है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं का विश्लेषण किया जाय तो मानव विज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं से निम्नलिखित विशेषतायें स्पष्ट होती हैं-
(i) मानव विज्ञान मानव का पूर्ण अध्ययन करता है।
(ii) सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर मानव जाति का वर्तमान काल तक अध्ययन करता है।
(iii) यह समग्र रूप का विज्ञान है जो उसके शारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास का अध्ययन करता है।
(iv) यह मनुष्य के सम्पूर्ण कार्यों का अध्ययन करता है।
(v) अन्त में यह मानव के व्यवहारों एवं उसके उत्पादन का अध्ययन करता है।
मानव विज्ञान की प्रमुख शाखायें
(1) शारीरिक मानव विज्ञान – जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति एवं उसके विकास का अध्ययन किया जाता है।
(2) सांस्कृतिक मानव विज्ञान – जिसमें मनुष्य के कार्यों एवं सांस्कृतिक तत्व का अध्ययन किया जाता है।
(3) प्रयोगात्मक मानव विज्ञान – जिसमें हम शारीरिक और सामाजिक मानव वैज्ञानिकों द्वारा खोज की गई बातों का प्रजाति और उनके सम्बन्धों में और उनके विकास की योजनाओं पर लागू करते हैं।
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