पर्यावरण विधि (Environmental Law)

लोक न्यास का सिद्धान्त Doctrine of public trust in Hindi 

लोक न्यास का सिद्धान्त
लोक न्यास का सिद्धान्त

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लोक न्यास का सिद्धान्त Doctrine of public trust in Hindi 

लोक न्यास का सिद्धान्त (Public trust doctrine in hindi)- इस सिद्धान्त के अनुसार राज्य जनता द्वारा उपयोग और उपभोग की जाने वाली सभी प्राकृतिक वस्तुओं का न्यासी होता है। जिस प्रकार न्यासी न्यास की वस्तुओं की देखभाल करता है, सुरक्षा करता है, दुरुपयोग नहीं करता है उसी प्रकार राज्य को उन वस्तुओं की जिन्हें प्रकृति ने हमें दी है सुरक्षा करनी है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि जो कर्तव्य न्यासी के न्यास के प्रति होते हैं ठीक वही कर्तव्य राज्य के प्राकृतिक वस्तुओं या स्रोतों के प्रति होते हैं।।

उच्चतम न्यायालय ने एम० सी० मेहता बनाम कमलनाथ AIR 1997 S.C. के वाद में लोक न्यास सिद्धान्त को लागू किया है। न्यायालय ने लोक न्यास’ सिद्धान्त के क्षेत्र की व्याख्या करते समय यह विचार प्रकट किया है कि यह सिद्धान्त प्राथमिक रूप से इस नियम पर आधारित है, हवा, पानी समुद्र, वन इत्यादि प्राकृतिक स्रोतों का जन जीवन के लिये बहुत अधिक महत्व होता है इसलिए इन्हें व्यक्तिगत स्वामित्व की विषय वस्तु होने देना पूर्ण रूप से अनुपयुक्त है। सरकार के प्राधिकार पर यह सिद्धान्त निम्नलिखित प्रतिबन्ध लगाता है-

(1) ट्रस्ट की सम्पत्ति को केवल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे सामान्य जनता के उपयोग के लिए उपबन्ध कराने के लिए धारित किया जाना चाहिये।

(2) न्यास की सम्पत्ति को सामान्य मूल्य से अधिक मूल्य पर नहीं बेचा जाना चाहिए।

(3) न्यास की सम्पत्ति को विशेष प्रकार के उपयोगों के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने ‘पब्लिक ट्रस्ट’ का सिद्धान्त लागू करते समय यह मत व्यक्त किया कि यह सिद्धान्त हमारी विधि का अंग बन गया है।

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